तोपपाल ने बनाया सबको उल्लू


तोपपाल ने बनाया सबको उल्लू

किसी भी चीज को बिना परखे उसके लिये चाह नही पैदा करनी चाहिये ।

दो खुराफ़ाती थें , उन्हें नाम कमाने की बडी इच्छा थी । चाहते ्थें कुछ ऐसा करें कि नाम और दाम दोनो आये और महान भी कहलायें। एक था पत्रकार और एक आइएएस बनने में फ़ेल हो गया आइआरएस । लगे रहें खोजबीन में । अचानक उन्होनें देखा पूरी दुनिया में उथल पुथल मची हुई है । अनेको देश में क्रांति क्रांति का नारा लग रहा है , बस उछल पडे दोनो । उन्हें राह मिल गई थी । उन्होने अपने मित्र , सलाहकार , व्यवसायिक मित्रों से सलाह मशवरा शुरु किया । खोजकर के एक नाम निकाला लोकपाल । बडा धांसू नाम था । लोगो को लूभा  सकता था । क्रांति के लिये विषय चुनने में कोई मेहनत नही करनी पडी । देश के लोगों का गुस्सा भ्रष्टाचार के खिलाफ़ था । उसको हीं मुद्दा बनाने का फ़ैसला लिया । माल के लिये एक व्यवसायिक मित्र ने विदेश से दान दिला दिया । सज गया मंच । अब कुछ महा गदहों को खोजने की जरुरत थी, जो अक्ल के अंधे हो लेकिन नाम नयन सुख हो । वह भी मिल गयें , हमारे देश में नयनसुखों की कमी तो है नही। नाम दारोगा काम चोरी, नाम रामजी काम चिरहरण । अब एक जमूरा चाहिये था जो नाम का भुखा तो हो लेकिन महा गदहा हो । वह भी मिल गया । जमूरे  को गांधी का कलियुगी संस्करण घोषित करने का अभियान चलाया गया । प्रचार शुरु हो गया लोकपाल नाम के एक तोपपाल जी को लाने का , तोपपाल जी हीं सारे संकट का हरण कर सकते हैम । सब चोर हैं , सभी के उपर तोपपाल जी रहेंगें । देश से भ्रष्टाचार मिट जायेगा। गरीबी तो यूं उडन छूं हो जायेगी जैसे गदहे के सिर से सिंग । संप्रदायिकता क्या होती है लोग भूल जायेंगे । लगा जैसे तोपपाल जी के आते हीं राम राज्य आ जायेगा । राम राज्य की बात हो और उसके लिये दिन रात मंदिर मस्जिद तोडने , खुन खौलने  के नारे लगाने वाली पार्टी  आगे न आये ऐसा कहीं हो सकता था । राम राज्य का ठेका लेनेवाली पार्टी के संयोजक ने फ़रमान जारी कर दिया । रामलीला मंडली का साथ दो राम राज्य आयेगा । इन जमूरों के सहारे हमारे राम आयेंगें बस वाली रथ पर सवार हो कर ।    एक दिन के लिये जमूरे को गांधी जैसी टोपी पहनाकर मंतर तंतर पर बैठा दिया । लेकिन हर काम में बाधा न हो और कोई विलेन न हो तो मजा नही आता । मेरे जैसा एक विध्न पैदा हो गया । आप इसे राहु कहें , केतू कहें या शनीचरा । अपनी दुरबीन से देखा अरे यह तो अपना ओबडसमैन है , उसी को यह साले लोकपाल का तोपपाल बनाकर दिखा रहे हैं । चिल्लाया , अबे अबे यह क्या ड्रामा है । साले चार आदमी मिलकर सारी मलाई मारना चाहते हो और कह रहे हो जनता चाहती है , रुको बताता हूं । जमूरों का इतना असर हो चुका था कि भेडवाली भीड ने राहू यानी की मेरी नानी दिला दी। जहां देखो गाली । जिस साइट पर लिखता , जमूरों के चमचे गालियों की बौछार कर देतें। लेकिन वह राहू हीं क्या जो हार मान ले । धिरे धिरे उसने पर्दा हटाना शुरु किया । सबसे पहले दो बाप बेटा जो कानूनविद बने बैठे थें उनकी पोल खोली , साले स्वंय करोडो की जमीन को एक लाख में रजिस्ट्री करा लिया और चले हो , भ्रष्टाचार मिटाने। अगला नंबर माता कैकयी का था । दिन रात फ़र्जी यात्रा का बिल बनाती हो चली हो राम की मैया बनने। उसके बाद दोनो खुराफ़ती की कब्र खोदी। लोग भी समझ गये लेकिन जहर की तरह इस तोपपाल का असर हो चुका था । देश की जनता से लेकर संसद तक लग गई तोपपाल को लाने में ।

तोपपाल जी के लिये कैसी व्यवस्था हो इसपर चर्चा होने लगी । वहां जमूरों ने फ़िर अनशन शुरु कर दिया । लेकिन इस बार चाल गलत पड गई । रामराज्य वाली पार्टी को गरिया दिया , बस वह अलग हो गई । भीड नही जुटी । खुराफ़ातियों ने दिमाग लगाया , इस गांधी टोपी वाले का क्रिया करम कर दो । ये बुढा शहीद हो जायेगा । भीड फ़िर जूटने लगेगी, हमलोग गांधी टोपी पहनकर बैठ जायेंगें। टोपी पहनने और पहनाने की प्रेक्टिस कर हीं चुके हैं । लेकिन एक पत्रकार ने भाडा फ़ोड दिया ।

अब जरा तोपपाल को देखें । राहू अभी शांत   नही हुआ है । जबतक दोनो ख्राफ़ाती जेल न जायेंगे शांत भी नही होगा।

तोपपाल हमारे देश की चीज नही है । पहले से हीं यह ओबडसमैन के नाम यह है । हमारे देश के लोग नई चीजों को पंसंद करते हैं । बस आप नाम बदलकर सजाकर पेश करें । ओबडसमैन एक व्यवस्था है जिसमे किसी विभाग के अंदर फ़ैले भ्रष्टाचार को दुर करने के लिये इसकी स्थापना की जाती है । यह कारगर व्यवस्था है अगर इसे अधिकारयुक्त करके स्थापित किया जाय ।

ओबडसमैन किसी भी विभाग में स्थापित किया जा सकता है । इसकी संरचना द्विस्तरीय होगी,

जिला स्तर पर

दुसरा राज्य स्तर पर

इसके सदस्यों की संख्या तिन से पांच तक रखी जा सकती है , अध्यक्ष एक रिटायर्ड जज , सदस्य संबधित विभाग का रिटायर्ड आलाअधिकारी , कोई अच्छा समाजसेवक और कानून का ग्याता ।

इसका कार्य होगा , प्राप्त शिकायतों की जांच करके अगर यह लगे कि भ्रष्टाचार का मामला हओ तो सक्षम जांच एजेंसी को मुकदमा दायर करके जांच करने का निर्देश देना। जांच एजेसी जांच करने के बाद पहले से स्थापित न्यायिक व्यवस्था के तहत न्यायालय को अपनी रिपोर्ट देगी और न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर फ़ैसला करेगा। अगर जिला स्तरीय तोपपाल के फ़ैसले से पीडित व्यक्ति संतुष्ट नही ्है तो वह राज्य स्तरीय तोपपाल के यहां अपील कर सकता है ।

अब एक उदाहरण देकर समझाता हूं

पुलिस विभाग में जिला स्तर पर एक तोपपाल बनाया जायेगा। उसके अध्यक्ष होंगे रिटायर्ड जज , सद्स्य एक रिटाय्रड आला पुलिस अधिकारी (आईपीएस ) , एक समाजसेवी ।

यह तोपपाल जिला स्तर पर पुलिस के खिलाफ़ किसी भी शिकायत के प्राप्त होने की स्थिति में , उसकी जांच करेगा। अगर छोटी मोटी कोई शिकायत है और उसका निश्पादन जुर्माना या संबंधित पुलिसकर्मी के तबादले से हो सकता है तो वह आदेश प्रदान करेगा। आला पुलिस अधिकारी उसके आदेश का पालन करेंगें। स्वंय भी समय समय पर पुलिस तोपपाल संग्यान में आये मामले की जांच करेगा । अगर शिकायत गंभीर है तथा भ्रष्टाचार से संबंधित है तो तोपपाल मुकदमा दर्ज करके जांच का आदेश देगा।

अगर किसी शिकायतकर्ता के आवेदन को जिला स्तर का तोपपाल खारिज करता है, तब शिकायत कर्ता राज्य स्तर के तोपपाल के पास अपील करेगा । राज्य स्तर का तोपपाल पांच सदस्यीय होगा।

इसी प्रकार केन्द्रीय सेवाओं के लिये भी तोपपाल होगा।

न्यायपालिका के लिये भी इसी तरह का तोपपाल होगा ।

विधायिका यानी एम एल ए , एम पी के लिये भी ।

यही परिकल्पना है तोपपाल की ।

तोपपाल वस्तुत: त्वरित एवं सस्ते न्याय का एक मंच है ।

खुराफ़ातियों ने इसे एक भगवान का अवतार बनाकर पेश किया , जो स्वर्ग से आयेगा , सबके उपर उसका नियंत्रण होगा। उसके अंदर कोई बुराई नही होगी क्योंकि वह स्वर्ग से आया है ।

जनता को चिंता करने की जरुरत नही ।

जनता बस सुबह सुबह उठकर तोपपाल जी की वंदना करे सारी समस्या दुर हो जायेगी ।

हमारी जनता

ओबडसमैन जैसे निरस शब्द से तो प्रभावित होती नही , इसलिये लौहपथगामिनी जैसा एक शब्द इजाद किया गया । रेलवे कितना निरस लगता है , वहीं लौहपथगामिनी , वाह वाह क्या कहने लगता है किसी बलखाती कमरवाली ह्सीना है । बस यही किया इन खुराफ़ातियों ने और इनकी खुराफ़ात के शिकार हुये हमारे महान सांसद । एक वाहियात बिल के लिये माथा खपा रहे हैं .

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