नीतीश हैं बिहार के अखबारों के संपादक ; पत्रकारो ने बताया



मीडिया का भ्रष्टाचार : बिहार के संदर्भ में
पटना में बिहार टाईम्स कनक्लेव के समापन सत्र में पत्रकारों ने मीडिया के अंदर आइ गिरावट पर रोष और चिंता प्रकट की । इस दौरान बिहारकी मीडिया के संदर्भ में जो बातें उभर कर आई वह शर्मनाक थीं । अधिकांश वक्ताओं ने मीडिया की विश्वसनियता में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त की । पत्रकार प्रंजय गुहा ने मीडिया की स्तरहिनता को दर्शाते हुये कहा कि अब मीडिया मिशन नही बल्कि कमीशन के लिये कार्य कर रही है । नारायण दत तिवारी के सेक्स संबंधित न्यूज का हवाला देते हुये खेद जताया कि मीडिया को यह भी अहसास नही है कि उसके कार्यक्रम का  परिवार सहित देखने वाले लोगों पर क्या असर पडेगा । आउटलुक हिंदी के संपादक नीलाभ मिश्रा ने टीवी की रेटिंग में की जा रही धोखाधडी यानी अपने फ़ायदे के लिये हेरफ़ेर का मामला उठाया . सबसे ज्यादा तार्किक ढंग से प्रंजय गुहा ने मीडिया के सामने आ रही चुनौतियों को प्रस्तुत किया । उन्होनें उदाहरण दिया कि कैसे बेनेट कोलमैन एंड कंपनी जिसका प्रकाशन टाइम्स आफ़ ईंडिया और इकोनोमिक टाइम्स है,  ने भ्रष्टाचार का मार्ग दिखाया । वहीं चुनाव आयोग द्वारा यूपी की विधायिका उमेश यादव के खिलाफ़ पेड न्यूज का हिसाब न देने के कारण की गई कारर्वाई की प्रशंसा की । भारत में बहत्तर  हजार समाचार पत्र निबंधित है लेकिन उनमे से मात्र १२० के द्वारा सत्तर प्रतिशत अखबारी कागज का उठाव किया जाता है । अखबार के दुरुपयोग करने के कारण न्यूज आफ़ द वर्ल्ड पर हुई कार्रवाई को भी बतलाया गया । किसी भी नये कानून को बनाये बगैर मौजूदा कानून के तहत मर्डोक के अखबार के खिलाफ़ उठाया गया कदम एक उदाहरण है । कभी वाचडाग माना जानेवाला मीडिया आज लैप डाग बन गया है ।

इंडिअयन मेडीकल एसोशियेशन के पूर्व अध्यक्ष  डाक्टर अजय कुमार ने सुझाव दिया कि बिहार टाइम्स के इस कनक्लेव की थीम मीडिया द्वारा मैनेज बिहार का विकास का होता तो ज्यादा उचित था ।

डाक्टर कुमार ने आश्चर्य प्रकट किया कि क्या कारण है कि कल उनके द्वारा जो कहा गया उसका एक शब्द भी किसी अखबार में नही आया , क्या इसलिये कि उन्होने सरकार की आलोचना की थी । जब प्रंजय गुहा ठकुर्ता सुबह पाच बजे की फ़्लाईट पकड कर पटना आ सकते हैं तो अक्कू श्रीवास्तव आज की परिचर्चा में क्यों नही आयें । जागरण मास कम्यूनिकेशन संस्थान के डायरेक्टर तथा हिंदुस्तान टाइम्स पटना के पूर्व रेजीडेंट संपादक एन आर मोहंती ने बताया कि यह आम अवधारणा है कि बिहार से प्रकाशित होने वाले सभी अखबारों के डि फ़ेक्टो संपादक हैं नीतीश कुमार । बिहार में एक नये प्रकार का सेंसरशिप लागू है । चौथी दुनिया के सरोज सिंह ने आश्चर्य प्रकट किया कि मात्र २८ करोड के एड के लिये बिहार का मीडिया क्यों बिक गया ? क्या कोई और कारण भी है ? शिव प्रसाद राय जो आर टी आई कार्यकर्ता हैं उन्होने अपने कडवे अनुभव को बताया कि कैसे उन्हें आर टी आई के द्वारा सूचना मांगने के कारण बक्सर के जिलाधिकारी विशनुदेव प्रसाद सिंह ने गलत केस में जेल भेज दिया जहां उन्हें २९ दिन गुजारना पडा । सुशील मोदी के द्वारा फ़ोन पर दी गई धमकी का भी जिक्र उन्होने किया । कुछ दिन पहले मोदी ने उन्हें फ़ोन करके कहा कि उनके कारण प्रशासनिक कार्यों में बाधा पैदा हो रही है । लखीसराय के आर टी आई कार्यकर्ता राम विलास सिंह की ८ दिसंबर को हुई हत्या का मामला भी उठाया गया । जनसत्ता के गंगा प्रसाद ने टाइम्स आफ़ इंडिया के हटाये गये कर्मचारियों की १५५ दिनों तक चली हडताल का जिक्र किया और बताया कि जब उनका मामला नीतीश कुमार के सामने उन्होनें उठाया तो नीतीश ने कहा कि उन्होने तो इस हडताल के बारे में सुना भी नही है । क्या हक है ऐसे आदमी का मुख्यंमत्री पद पर रहने का । आई नेक्स्ट के उज्जवल ने उस घटना का जिक्र किया जब उसने नीतीश से महात्मा गांधी सेतु पर लग रहे जाम के बारे में एक प्रेस कांफ़्रेस में सवाल किये थें और उन्हें नीतीश ने अपमानित किया था । इस कनक्लेव में दो मुख्य  बाते  उभर कर सामने आई , एक , मीडिया का व्यवसायिकरण और दुसरा बिहार में मीडिया की दलाल वाली भूमिका ।

बिहार मीडिया पहले से हीं बिहार में मीडिया के हालात और वरिष्ठ पत्रकारो के चरित्र में आई गिरावट को उठाता रहा है । अक्कू श्रीवास्तव जो हिंदुस्तान पटना के कार्यकारी संपादक हैं कैसे उन्हें नीतीश कुमार ने खिलाफ़ में एक समाचार छापने के लिये अपमानित किया था और अपने आकाओं के दबाव के कारण अक्कू श्रीवास्तव स्वंय जहानाबद में नीतीश की रैली को कवर करने गये थें , जहां पुलिस वालो ने उन्हें धक्का देकर मंच से ढकेल दिया था । बाद में कर्ष्ण मेमोरियल हाल में एक सभा करके उन्होने नीतीश से क्षमादान प्राप्त किया था । प्रभात खबर के बारे में हम लगातार दे बता रहे हैं कि कैसे प्रभात खबर नीतीश का जनसंपर्क अखबार बन कर रह गया है । हरिवंश जी लाख तर्क दें जो सच है वह सबको पता है ।
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Comments

  1. बढिया और ईमानदार बयान लग रहे हैं।

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