पंचम को क्यों मारा नीतीश जी

पंचम को क्यों मारा नीतीश जी
हरवंश जी , अक्कू महोदय कहां सोये हैं


जूली के सामने उसके पति को पुलिस ने घर से बाहर खींचकर गोली मार दी । जूली के पति का नाम था पंचम । पंचम दलित था , गरीब था, और पुलिस की नजर में नक्सलवादी था। था या नही , यह तो जांच से हीं पता चलेगा। लेकिन हालात बयां कर रहे हैं कि पंचम निर्दोष था। घटना गत शुक्रवार की रात की है । गया जिले के अतरी गांव का रहनेवाला पंचम चेन्नई की एक फ़ैक्टरी में नौकरी करता था, छुट्टियों में गांव आया हुआ था । चेन्नई से हर माह दो हजार रुपये घर भेजता था । धान की कटनी का समय, बुढे बाप रामदेव ने घर बुला लिया बेटे को । २५ दिसंबर को वापस जानेवाला था अपनी नौकरी पर । मात्र एक माह पहले गांव लौटा था, पुलिस ने जाने के पहले २३ दिसंबर को मार गिराया । पंचम के परिवार की त्रासदी है , माथे पर लगा नक्सलवादी होने का कलंक । १९८७ में जब पंचम पैदा भी नही हुआ था , उसके गांव में नक्सलवादी और पुलिस के बीच मुठभेड हुई, पंचम के पिता रामदेव पासवान को नक्सलवादी होने के शक में पुलिस पकडकर ले गई थी। एक बार जो बिहार पुलिस के हत्थे चढ गया , उसकी आनेवाली पीढियों तक को दंश झेलना पडेगा।जिस मुठभेड में पुलिस ने पंचम को मारा था, उसमें कोई पुलिसवाला घायल नही हुआ था। पंचम को दो माह की मासूम बच्ची भी है अंजनी । अंजनी को अहसास नही है कि उसका बाप अब नही रहा। कैसे उसका पालन पोषण होगा , कौन बाहर से आते समय उसके लिये कपडे लायेगा , खिलौने लायेगा , बिमार पडने पर कौन ईलाज करायेगा। उसे तो यह भी नही पता कि  वह गरीबी और बिमारी का सामना करते हुये बडी भी हो पायेगी या वक्त के पहले अपने पिता के पास चली जायेगी। नक्सलवादी के नाम पर गैरकानूनी तरीके   से प्रताडित करना बिहार पुलिस के लिये कोई नई बात नही है । पूर्व में जब अमित लोढा गया के वरीय पुलिस अधीक्षक थें तो बोधगया से तीन लोगों को नक्सलवादी होने के संदेह में पकडकर सीआरपीएफ़ के गया कैंप में चार दिन तक रखा गया था , कैंप में रखने की बात लोढा ने बिहार मीडिया के सामने स्वीकार किया था , जिलाधिकारी के कक्ष में प्रेस कांफ़्रेस के दौरान । घटना गत विधान सभा चुनाव के समय की है । । कोई मुकदमा नही हुआ। उन तीनों का क्या हुआ , नही पता । पंचम के मामले में रामश्रय प्रसाद पूर्व सांसद ने पहले करते हुये प्रेस कांफ़्रेस की और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दकी ने सारी घटना की जानकारी लेने के उपरांत मगध रेंज के डीआइजी नैयर हसनैन खान से बात की । राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी घटना का संग्यान लिया है तथा प्राप्त सूचना के अनुसार डीआईजी से इस मामले की जांच कर अविलंब जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश प्रदान किया है । डीआईजी नैयर हसनैन खान की  अभीतक एक निष्पक्ष  अधिकारी की छवि  है । इससे आशा बंधी है कि पंचम वापस भले न आये, उसके परिवार को न्याय मिलेगा। देखना यह है कि क्या राजनीतिक दबाव को दरकिनार कर डीआईजी सच को सामने लायेंगें ? इस पूरे प्रकरण में बिहार की मीडिया का घिनौना चेहरा सामने आया । वैसे तो बिहार से प्रकाशित होनेवाले अखबारों में गरीब विरोधी पत्रकार भरे पडे हैं। लेकिन जब इस तरह के मामलों की भी रिपोर्टिंग न हो तो मीडिया में आई  गिरावट पर सोचना पडता है । प्रभात खबर, दैनिक जागरण और हिंदुस्तान नीतीश के गुणगान में व्यस्त हैं । इन अखबारों के डी फ़ेक्टो संपादक नीतीश कुमार हैं । एकमात्र अखबार सन्मार्ग ने इस घटना को उजागर किया । सन्मार्ग के विशेष संवाददाता विनायक विजेता ने पूरी घटना तथा उससे संबंधित खबरों को सामने लाने का कार्य किया है । चलिये अगर पंचम को न्याय मिलता है तो अंजनी विजेता जी को थैंक यू जरुर कहेगी । यहां हम सन्मार्ग में प्रकाशित खबरों की कटिंग दे रहे हैं

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  1. नैयर खान की निष्पक्षता से पंचम लौट जाएगा ? इन नीतीश भक्तों का क्या करें ?

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