प्रभात खबर का असर : कोहरा छटा
प्रभात खबर का असर : कोहरा छटा
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प्रभात खबर बिहार से निकलनेवाला अखबार है । अभी कुछेक माह पहले इसने गया से अपना प्रकाशन शुरु किया है । खबरें तो हर अखबार में छपती हैं लेकिन उनका असर तभी होता है जब प्रभात खबर में छपे । प्रभात खबर भी अपने कर्तव्य का पालन करता है , सुबह सुबह बताता है कि उसके अखबार में छ्पी खबर का क्या असर हुआ । आपको बताता हूं कुछ खबरों का असर ;
जनाना अस्पताल में पांच गर्भवती महिलायें भर्ती , बच्चे होने में हो रही है देर : इसका असर पडा , दुसरे दिन प्रभात खबर ने छापा ;
खबरों का असर : जनाना अस्पताल में भर्ती महिलाओं को बच्चे पैदा हुयें , हमने बच्चे पैदा होने में हो रही देर की खबर छापी थी , हमारी खबर का असर है कि आज सुबह सभी महिलाओं को बच्चे पैदा हुयें ।
प्रभात खबर की खबर का असर बडा जबर्दस्त होता है , जनाना अस्पताल में कुतियों ने भी खबर छपने के बाद बच्चे पैदा किये ।
फ़ाल्गू में पानी नही , कैसे करेंगें पिंडदान : प्रभात खबर ने छापा
खबर का असर : हमने दस दिन पहले फ़ाल्गू में पानी नही होने की खबर छापी थी , आज फ़ाल्गू में पानी भर गया , यह है हमारी खबर का असर ।
प्रभात खबर की खबर का असर पडा , एक यात्री पानी में बह गया ।
ठंढ का कहर जारी: प्रभात खबर की खबर
खबर का असर : हमने कल ठंढ के कहर की खबर छापी थी , हमारी खबर का असर है कि आज आसमान साफ़ है , सूर्य देवता नजर आयें।
अब थोडा प्रभात खबर की अन्य विशेषताओं के बारे में बता दूं । इसके संपादक हरिवंश जी हैं । एक बार सावन के मौसम में उनके आंख की रौशनी चली गई , तब से उन्हें बिहार में सबकुछ हरा भरा दिखता है । नीतीश का गुणगान तो ऐसे करते हैं कि हनुमान की चरणवंदना करने वाले शरमा जायें ।
हरवंश जी , अब दया करें माई बाप , आपकी खबर से अब भय लगता है न जाने कब आप छाप देंगे कि अब मर्दों को भी बच्चे पैदा होंगे , और हमसब को जनाना अस्पताल में लाईन लगानी पडेगी ।
बोरियत होती है इस तरह के दावे को पढकर , कभी कभार कोई बडी बात हुई हो और आपने उसके खिलाफ़ लिखा , उसपर कार्रवाई हुई , उसे छापा, वहां तक तो ठिक हैं , लेकिन कोई भी काम गया में या बिहार में हो और आप उसे अपनी खबर का असर बतायें तो बाकि अखबार वाले क्या गदहे हैं , वह भी उसी खबर को छाप रहे हैं ।
आपने तो अपना जुगाड फ़िट कर लिया है , हर दिन एक हीं काम बाबा नाम केवलम , आं नही समझें ऐसा मत कहिये , अब समझ गयें , सुरेन्द्र किशोर जी को साथ में रखियेगा , बहुत दिन बाद बेचारे को कुछ काम मिला है । आपकी दया होगी तो कुछ माल पानी सुरेन्द्र जी भी कमा लेंगें ।
लेकिन सर जी एक खतरा मंडरा रहा है , ये आपके दुश्मन दैनिक जागरण और हिंदुस्तान भी गया से अपना प्रकाशन शुरु करने जा रहे हैं । खैर कोई खास चिंता की जरुरत नही है , इन्हें अभी अंधा होने में समय लगेगा ।
एक छोटी सी सलाह , बिहार वाले उल्लू नही हैं , यूपी अगर तुलसीदास है तो बिहार कबीर । आपका अखबार पढकर अब लोग ठहाके लगाते हैं , चलिये ठहाके लगाने तक तो ठिक है , लेकिन आपकी खबरों के असर की तरह कुछ नान वेज टाईप की गालियां देने लगते हैं , चलिये वह भी बर्दाश्त करतें अगर सिर्फ़ प्रभात खबर को देतें , वह तो सभी पत्रकारों को गरियाते हैं , आपके प्रभात खबर की शासन की चम्मचई वाली खबरों के असर के कारण ।
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हरिवंश को समझाएगा कौन? नीतीश के गुणगान से मुक्ति मिले तब तो।
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