भडास ४ मीडिया डाट .कॉम का पेड़ न्यूज़ का काला कारोबार
सुशील गंगवार और यशवंत में छिडा गैंगवार
हा हा हा हा , मजा आ गया । सुशील गंगवार एक पत्रकार हैं फ़िलहाल मुंबई में अपना आशियाना जमाया है क्योंकि पत्नी वहीं काम करती हैं। गंगवार जी बेवसाईट डेवलपमेंट सस्ते दाम पर करते हैं । उन्होनें अपनी साईट पर भडास ४ मीडिया के संपादक यशवंत के खिलाफ़ अपनी भडास निकाली है । मुझे तो पढकर मजा आ गया । इधर यशवंत भी कम नहीं हैं , उन्होनें भी नहले पे दहला मारते हुये सुशील गंगवार की इस पोस्टिंग को अपने बेव साईट भडास४मीडिया पर प्रकाशित कर दिया । सुशील भाई यशवंत तो नेहरु बन गया और आपको लोहिया बना दिया । मेरी तो भाई दोनो से मित्रता है , इसलिये फ़िलहाल टिका टिप्पणी छोडकर आंनद ले रहा हूं । बहुत दिनों के बाद आज ठहाके लगाकर हस रहा हूं । ( दोनो को संदेश ' लगे रहो मुन्ना भाई ' )
मीडिया की खबर छापने का सिलसिला
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकेंExchange ४ Media .com और समाचार ४ मीडिया डाट कॉम ने शुरू किया फिर इसी की धुन में अपनी धुन सुनाने की जुगत और मीडिया को उजागर करने का मकसद लेकर मीडिया खबर.डाट .कॉम और भडास ४ मीडिया डाट .कॉम शुरू हुए |
जो लोग मीडिया के खिलाफ जम कर छापते है वह कितने दूध के धुले है ? ये सबसे बड़ा सवाल है | कैसे चलता है इनके मीडिया की खबरों का काला कारोबार ? क्या ये लोग बड़े मीडिया घरानों के स्टिंग और बसूली करते है | यशवंत सिंह भड़ास नाम से ब्लॉग लिखते थे जो अब भी चल रहा है भडास ब्लॉग में काफी फेमस हुआ | उसके बाद भड़ास ४ मीडिया डाट .कॉम का जन्म हुआ | हम ये कह सकते है यह यशवंत की जिन्दगी का नया चेहरा था जो भडास ४ मीडिया डाट .कॉम बनके उभरा था |
मीडिया जगत के लोगो ने Exchange ४ media .com को छोड़ कर भड़ास ४ मीडिया डाट काम पढना शुरू कर दिया | भड़ास ४ मीडिया खबरों में दम था चाहे वह शुरूआती दौर में कट एंड पेस्ट के जरिये लिखी जाती थी | धीरे धीरे मीडिया की खबरे पत्रकार दोस्तों और मेल से आना शुरू हो चुकी थी | यशवंत की नजर हर मीडिया हाउस , न्यूज़ पेपर पर जमने लगी | दैनिक जागरण , अमर उजाला अखबारों का अनुभव रखने वाले यशवंत सिंह सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहे थे परन्तु पैसे का जरिया नजर नहीं आ रहा था |
मीडिया जगत के लोगो ने Exchange ४ media .com को छोड़ कर भड़ास ४ मीडिया डाट काम पढना शुरू कर दिया | भड़ास ४ मीडिया खबरों में दम था चाहे वह शुरूआती दौर में कट एंड पेस्ट के जरिये लिखी जाती थी | धीरे धीरे मीडिया की खबरे पत्रकार दोस्तों और मेल से आना शुरू हो चुकी थी | यशवंत की नजर हर मीडिया हाउस , न्यूज़ पेपर पर जमने लगी | दैनिक जागरण , अमर उजाला अखबारों का अनुभव रखने वाले यशवंत सिंह सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहे थे परन्तु पैसे का जरिया नजर नहीं आ रहा था |
आखिर करे तो क्या करे ? ये बड़ा सवाल था . न्यूज़ वेबसाइट खोलना आसान था मगर चलाना उतना ही कठिन था | इसी दौर में शुरू हुआ पेड़ न्यूज़ और वसूली का गरमा गरम धंधा | जिससे खर्चे निकलने लगे | किस्मत ने साथ दिया तो भड़ास ४ मीडिया डाट .कॉम चल निकली और फिर यशवंत सिंह दौड़ने लगे |
एक दिन मैंने भड़ास ४ मीडिया डाट .कॉम के मालिक यशवंत सिंह को फ़ोन करके बोला, भाई मैंने एक नयी साईट बॉलीवुड खबर.कॉम शुरुआत की है जरा भडास ४ मीडिया डाट .कॉम पर न्यूज़ लगा दो, तो यशवंत सिंह बोले यार हम क्या चूतिया है जो तुम्हारी खबर लगा दे तुम माल छापो ? पहले तुम मुझे पैसा दो फिर मै न्यूज़ लगा सकता हु | मै बोला भाई ये बताओ कितना पैसा दिया जाये | इस पर यशवंत सिंह बोले की तुम कम से कम ५०००/- दान करो |
मेरी यशवंत से यदा कदा बातचीत फ़ोन पर हुई थी | मै यशवंत को मीडिया गुरु माने लगा था | एक दिन मेरा भ्रम टूट गया | गुरु घंटाल यशवंत मुझसे ही न्यूज़ डालने के पैसे माग रहा था और वह हड्काने वाली आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी ये बात पिछले साल मार्च की है | यार एक पत्रकार दूसरे पत्रकार से पैसे माग रहा है मै सोचने लगा ये आदमी इंतना गिर सकता है |
जब मैंने अपने मीडिया मित्र से पूछा यार ये यशवंत का असली काम क्या है वह तपाक से बोला कुछ नहीं यार बहुत सारे काम है दलाली कर लेता है ,लोगो को नौकरी पर लगवा देता है और उसके बदले में पैसा खा लेता है | जो लोग टीवी चेंनेल न्यूज़ पेपर स्ट्रिन्गेर , रिपोर्टर , एडिटर है और कंपनी उनको पगार देने में आनाकानी करती है तो यशवंत पैसा निकलवाता है और उसके बदले कमीशन उसके खा लेता है |
जब मैंने अपने मीडिया मित्र से पूछा यार ये यशवंत का असली काम क्या है वह तपाक से बोला कुछ नहीं यार बहुत सारे काम है दलाली कर लेता है ,लोगो को नौकरी पर लगवा देता है और उसके बदले में पैसा खा लेता है | जो लोग टीवी चेंनेल न्यूज़ पेपर स्ट्रिन्गेर , रिपोर्टर , एडिटर है और कंपनी उनको पगार देने में आनाकानी करती है तो यशवंत पैसा निकलवाता है और उसके बदले कमीशन उसके खा लेता है |
मै समझ चुका था भड़ास ४ मीडिया डाट .कॉम पेड़ न्यूज़ का धंधा कर रहा है | दूसरी बार जब फेसबुक पर मेरी मुलाकात यशवंत से हुई तो यशवंत सिंह को मजाक में बोला भाई मुझे काम दे दो ? तो यशवंत ने जवाब दिया |आप नौकरी के लायक नहीं है हम लोग मिलके किसी विषय पर काम करते है | मीडिया में ११ साल काम करते हुए हो गए है तो ये समझते देर नहीं लगी आखिर ये यशवंत सिंह क्या काम करवाना चाहता है |
अगर भडास ४ मीडिया .कॉम को देखेगे तो साईट विज्ञापन के नाम पर जीरो है फिर कैसे चलती है खबरों की कालाबाजारी की दुकान | आखिर कौन मसीहा है | जो इनके खर्चो को देता है और क्यों देता है | मै पिछले ११ साल से मीडिया में हु |
अभी तक साक्षात्कार डाट .कॉम ब्लॉगर पर चला रहा हु | मुझे अभी तक मसीहा नहीं मिला है अगर मिलता है तो तुरंत इतला कर दूगा | मीडिया के कालाबाजारियो पर रौशनी डालने जरुरत है | अभी बहुत कुछ उजागर होना बाकी है जरा रखो तसल्ली | पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त |
यह लेख सुशील गंगवार ने लिखा है जो पिछले ११ वर्षो से प्रिंट , वेब , इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए काम कर रहे है वह साक्षात्कार डाट.कॉम , साक्षात्कार टीवी .कॉम , साक्षात्कार .ओर्ग के संपादक है इनसे संपर्क ०९१६७६१८८६६ पर किया जा सकता है |
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