साध्वी चिदर्पिता एवं बीपी गौतम के खिलाफ भी मामला दर्ज
साध्वी चिदर्पिता एवं बीपी गौतम के खिलाफ भी मामला दर्ज
Posted bySushil Gangwar - 09167618866
शाहजहांपुर : स्वामी चिन्मयानंद पक्ष ने भी सोमवार को चिदर्पिता और उनके पति बीपी गौतम के खिलाफ कानूनी लड़ाई छेड़ दी। दोनों के खिलाफ लूट, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कराया गया है। एक अन्य मामले में उन्हें मानहानि का नोटिस जारी किया गया। शहर के कटिया टोला निवासी प्रेमपाल सिंह ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहनलाल की अदालत में अर्जी दी।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
Posted bySushil Gangwar - 09167618866

कहा गया है कि चिदर्पिता ने आश्रम की संपत्ति (पूजा के जेवरात) लूटकर सितंबर, 2011 में एक निजी बैंक के लॉकर में रख दिया। जानकारी होने पर 8 सितंबर को चिन्मयानंद ने बैंक को पत्र लिखकर आगे चिदर्पिता के लॉकर खोलने पर प्रतिबंध लगवा दिया। इसमें यह भी कहा गया है कि चिदर्पिता ने खुद को प्रधानाचार्य पद से हटाए जाने के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की। बाद में उसने गौतम से शादी कर ली। दोनों ने आश्रम से जाते समय धमकी दी थी कि यदि स्वामी ने रुपये नहीं दिए तो उनकी इज्जत धूल में मिला दी जाएगी।
एक अन्य मामले में एसएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अवनीश कुमार मिश्र ने चिदर्पिता और गौतम को मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है। चिदर्पिता ने प्राचार्य की नियुक्ति को अवैध ठहराया था। प्राचार्य डॉ. मिश्र ने बताया कि मुमुक्षु आश्रम संस्था को बदनाम करने और उनकी खुद की छवि को धूमिल करने के लिए चिदर्पिता ने जो बयान दिया, राज्यपाल से झूठी शिकायत की, उससे उन्हें ठेस पहुंची है। यदि वे सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते तो मानहानि का मुकदमा किया जाएगा।
डॉ. मिश्र ने बताया कि उन्होंने एमकॉम, एलएलबी, पीएचडी और डीलिट करने के बाद महाविद्यालय पीलीभीत और बरेली कॉलेज में शैक्षिक कार्य किया। वर्ष 1985 में उच्च शिक्षा सेवा आयोग से चयनित होकर शाहजहांपुर में प्रवक्ता बने। वर्ष 2008 में आयोग ने प्राचार्य नियुक्त किया। आयोग के निर्देश पर 7 फरवरी, 2009 को उन्होंने एसएस कॉलेज के प्राचार्य पद का कार्यभार ग्रहण किया। उनके कार्यकाल में ही चिदर्पिता ने कॉलेज से एमए और एमएड किया। आश्रम की वह कई समितियों में भी रहीं। आयोग का कहना है कि यदि उन्हें आपत्ति थी तो उसी समय आपत्ति दर्ज करातीं।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
Comments
Post a Comment
टिपण्णी के लिये धन्यवाद