कल जदयू में शामिल होंगे शकील अहमद खान
कल जदयू में शामिल होंगे शकील अहमद खान
अगले माह यानी अगस्त की पांच तारीख को मंत्रीमंडल विस्तार की भी संभावना व्यक्त की जा रही है । शकील अहमद मंत्रीपद के लिए प्रयासरत हैं। गया तथा उसके आसपास के क्षेत्र के शकील समर्थक तथा राजद विधायक सुरेन्द्र यादव के विरोधी शकील अहमद के पक्ष में गोलबंद हो गए हैं , वहीं सुरेन्द्र यादव ने चाल चलते हुये राजद छोडकर गए कुछ चेहरों को राजद में लाने की कवायद शुरु कर दी है , हालांकि वे सभी छुटभैये नेता हैं और उनकी छवि भी साफ़ सुथरी नही है । शकील अहमद के पाला बदलते हीं बिहार की राजनीति गर्मा गई है । शकील अहमद के जाने से खाली हुई जगह को किसी साफ़ छवि के नेता से हीं पुरी हो सकती है।
अपने प्रभाव क्षेत्र से बुलवाया समर्थको को
राजद के कुछ छुटभैये भी हो सकते हैं शामिल
मंत्रीपद की आस
शकील अहमद के राजद राजद छोड्ने के साथ हीं सभी को यह अंदाज हो गया था कि उनका अगला ठिकाना जदयू है । कल २९ जुलाई को शकील अहमद के जदयू में शामिल होने की पुरी संभावना है । बिहार मीडिया ने २ २ जुलाई को “लालू को झटका, शकील अहमद ने राजद से नाता तोडा “शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था तथा संभावना जताई थी कि शकील अहमद के सहारे बिंदी यादव जो कभी गया के आतंक रह चुके हैं , वह भी जदयू में शामिल होना चाहते हैं , वह बात सत्य होने जा रही है ।
बिंदी यादव फ़िलहाल नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने के आरोप में जेल में बंद है । शकील अहमद खान के समर्थकों को ले जाने और भीड जुटाने की जिम्मेवारी बिंदी यादव के भाई शीतल यादव संभाले हुए हैं । बस और गाडियों की व्यवस्था से लेकर दारु-मुर्गा का जिम्मा भी उनका है । शीतल यादव अभी गया जिला परिषद के अध्यक्ष हैं। पूर्व में बिंदी यादव भी जिला परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं। बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी स्थानीय निकाय से विधान पार्षद रह चुकी हैं। शीतल यादव शराब माफ़िया के रुप में चर्चित रहे हैं। बिहार मीडिया ने “”प्रभात खबर; शराब माफ़ियों की आवाज”” शीर्षक से एक समाचार शीतल यादव से संबंधित प्रकाशित कर चुका है ।
सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन भी जेल में रहते – रहते उब गए हैं , उनकी भी आस अब शकील अहमद पर टिक गई है। वैसे श्हाबुद्दीन की छवि मीडिया के नजरों में चाहे जो हो , वह किसी भी साफ़ –सुथरी छवि वाले राजनेता से ज्यादा लोकप्रिय और अच्छे चरित्र के नेता हैं। शहाबुद्दीन ने सिवान में डाक्टरों पर लगाम लगाते हुए उनकी फ़ीस ४० रुपया निर्धारित कर दी थी , जो सरकार या न्यायालय भी नही कर पाया । आम जनता को भी शहाबुद्दीन से कभी शिकायत नही रही । वे भाकपा – माओवादियों के षडयंत्र के शिकार हैं।
सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन भी जेल में रहते – रहते उब गए हैं , उनकी भी आस अब शकील अहमद पर टिक गई है। वैसे श्हाबुद्दीन की छवि मीडिया के नजरों में चाहे जो हो , वह किसी भी साफ़ –सुथरी छवि वाले राजनेता से ज्यादा लोकप्रिय और अच्छे चरित्र के नेता हैं। शहाबुद्दीन ने सिवान में डाक्टरों पर लगाम लगाते हुए उनकी फ़ीस ४० रुपया निर्धारित कर दी थी , जो सरकार या न्यायालय भी नही कर पाया । आम जनता को भी शहाबुद्दीन से कभी शिकायत नही रही । वे भाकपा – माओवादियों के षडयंत्र के शिकार हैं।
अगले माह यानी अगस्त की पांच तारीख को मंत्रीमंडल विस्तार की भी संभावना व्यक्त की जा रही है । शकील अहमद मंत्रीपद के लिए प्रयासरत हैं। गया तथा उसके आसपास के क्षेत्र के शकील समर्थक तथा राजद विधायक सुरेन्द्र यादव के विरोधी शकील अहमद के पक्ष में गोलबंद हो गए हैं , वहीं सुरेन्द्र यादव ने चाल चलते हुये राजद छोडकर गए कुछ चेहरों को राजद में लाने की कवायद शुरु कर दी है , हालांकि वे सभी छुटभैये नेता हैं और उनकी छवि भी साफ़ सुथरी नही है । शकील अहमद के पाला बदलते हीं बिहार की राजनीति गर्मा गई है । शकील अहमद के जाने से खाली हुई जगह को किसी साफ़ छवि के नेता से हीं पुरी हो सकती है।
शकील अहमद का राजद छोडने का कारण भले हीं सुरेन्द्र यादव रहे हों , लेकिन जदयू में जाकर भी वह सुरेन्द्र यादव का कुछ नही बिगाड पायेंगें क्योंकि जदयू के विधायक छोटे सरकार यानी अनंत सिंह से सुरेन्द्र यादव की निकटता बहुत गहरी हैं।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
Comments
Post a Comment
टिपण्णी के लिये धन्यवाद