अनूप मुखर्जी , यह आपातकाल नही है



अनूप मुखर्जी , यह आपातकाल नही है




किसके दबाव में दी रिपोर्ट




बिहार के औद्योगिक विकास के लिए स्थापित संस्था बियाडा के द्वारा मनमाने तरीके से मंत्रियों , अफ़सरशाहों और सता के नजदीक रहनेवालों को बाजार भाव से बहुत हीं कम दर पर जमीन दी गई । जिन्हें जमीन की इस लूट से फ़ायदा हुआ उनमें मंत्री परवीन अमानुल्लाह जिनकेपति अफ़जल अमानुल्लाह एक नौकरशाह हैं की बेटी फ़ातिमा, पूर्व महाधिवक्ता पी के शाही की पुत्री उर्वशी , कभी चारा घोटाला के अभियुक्त रहे बाहुबली सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल तथा अन्य अफ़सरों और नेताओं के बाल बच्चे शामिल है । शिक्षा माफ़ियों को भी जमीन का आवंटन हुआ है । इस पुरे घोटाले का पर्दाफ़ाश जगदीश शर्मा के एक नजदीकी ने किया , उसने महुआ चैनल को सबसे पहले इसकी खबर दी। बाद में यह खबर नेट पर प्रकाशित की गई। विपक्ष द्वारा भी विधान सभा में हंगामा हुआ। नीतीश ने मामले को टरकाने के उद्देश्य से अपने एक नौकरशाह मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी को जांच का जिम्मा दिया । अनूप मुखर्जी ने अपनी रिपोर्ट में न सिर्फ़ घोटालेबाजों को क्लीन चीट दे दी बल्कि छुपी हुई धमकी भी अपने रिपोर्ट में मीडिया को दी और लिखा की राज्य की छवि धुमिल करने के लिए मीडिया यह हरकत कर रहा है । उनपर कार्रवाई की अनुशंसा भी उक्त नौकरशाह ने की । हालांकि उसका यह कहना कोई गलत नही था । बिहार में मीडिया अपनी जमीर गिरवी रख चुका है । सभी बडे-बडे पत्रकार नीतीश का तलवा चाट रहे हैं , इसलिए गाली भी सुनने को तैयार रहना चाहिए । लेकिन अनूप मुखर्जी ने बियाडा घोटाले का ्पर्दाफ़ाश करनेवालों को चेतावनी दी है इसलिए जवाब देना जरुरी है । पहले अनूप मुखर्जी के बारे में जान लेना आवश्यक है ।ये बिहार के पटना के रहनेवाले हैं, इनके पिताश्री का एक पेट्रोल पंप था पट्ना में , १९५१ में जन्में मुखर्जी १९७४ के आइ ए एस है , वर्ष १९७६ में गया के एस डी ओ के रुप में इनकी पहली पोस्टिंग हुई थी। नई पोस्टिंग थी मिजाज कडक था । आपातकाल का मजा ले चुके अनूप मुखर्जी समस्तीपुर , हजारीबाग , रांची में जिलाधिकारी रहें । केन्द्र में भी इनकी नियुक्ति विभिन्न मंत्रालयों में हुई । बिहार का शायद हीं कोई मंत्रालय इनसे बचा हो । ग्रामीण विकास , आपूर्ति विभाग से लेकर ईलेक्ट्रोनिक डेवलपमेंट कारपोरेशन तक के यह प्रबंध निदेशक रहें लेकिन एक भी विभाग को नही सुधार पायें। कारण अनूप मुखर्जी हीं बता सकते हैं। बिहार में जिले का कलक्टर जिला निबंधक भी होता है । जिला निबंधन कार्यालय में हीं जमीनों का निबंधन होता है जहां घुस की रकम का लेन देन बडे हीं कायदे से होता है । अब कोई कलक्टर कहे कि उसे इन बातों की जानकारी नही है या उसको इसमें से हिस्सा नही मिलता है तो उसके कथन की तुलना वेश्या के इस कथन से की जा सकती है कि वह कुंवारी है । अनूप मुखर्जी दुसरे अधिकारियों की तरह बेईमान नही है छवि अच्छी है लेकिन ईमानदार भी नही हैं। कोई आई ए एस जो जिलाधिकारी के पद पर रह चुका हो , यह नही कह सकता कि वह ईमानदार है । जमीन आवंटन में घोटाला नही हुआ कहने वाले अनुप मुखर्जी झूठे हैं। रह गई पत्रकारों को धमकी देने की बात तो शीशे के मकान में रहनेवाले दुसरे के मकान पर पत्थर नही फ़ेकते । अनूप मुखर्जी ने किसके दबाव में यह रिपोर्ट दी है इसकी भी जांच आवश्यक है । सरकार के कालेजों के पास जमीन नही है और शिक्षा माफ़िया को गया में ३१ एकड में से तकरीबन १५ एकड जमीन आवंटित कर दी गई , यह घोटाला नही है तो क्या है । जहां प्रदुषण फ़ैलाने वाले उद्योग लगे हों वहां शिक्षा संस्थान का क्या अर्थ है । राज्य ने शिक्षा को उद्योग घोषित नही किया है लेकिन उद्योग के लिए आरक्षित जमीन उसे आवंटित कर दी गई.
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