ब्लू फ़िल्म की सीडी और पायरेटेड सीडी जप्त
रेड में पकडाये मुजरिम को छोडा
घटना बिहार के गया जिले की है । यहां दिनांक ९ जूलाई की शाम को पायरेटेड सीडी के धंधे के माफ़िया कहलानेवाले संजय जैन की दुकान में टी सिरीज कंपनी के पायरेसी विरोधी टीम के अधिकारी वाई पी सिंह तथा दो अन्य कर्मचारियों ने सिविल लाईन थाने की पुलिस के सहयोग से संजय जैन की दुकान जो केदार नाथ मार्केट के सामने हथुआ मार्केट में स्थित है , वहां छापामारी की । छापामारी के दरम्यान हजारो की संख्या में पायरेटेड सीडी तथा ब्लू फ़िल्म की सीडी भी बरामद हुई। संजय जैन और उसके एक कर्मचारी को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया । दोनो गिरफ़्तार अपराधियों को थाने लाया गया । वहां पर संजय जैन को छुडाने के लिये लेन देन की बात करनेवाले उसके समर्थक इकठ्ठे हो गयें। रात तक तो सबकुछ ठिक ठाक रहा लेकिन सुबह में जब थाने से जेल भेजने की बारी आई तो सिर्फ़ संजय जैन के कर्मचारी को हीं भेजा गया । विशेष सुत्र ने बिहार मीडिया को बताया की पुलिस तथा टी सिरीज कंपनी के अधिकारियों की साठ –गांठ से संजय जैन को छोड दिया गया । टी सीरीज के अधिकारियों ने भी अच्छा खासा माल बनाया । इस बात की भी चर्चा है कि गिरफ़्तारी के बाद छोडने की हिम्मत थाना के प्रभारी की नही हो सकती है , इसमें उच्च अधिकारियों की भी मिलीभगत की संभावना व्यक्त की जा रही है। संजय जैन का पायरेटेड सीडी का व्यवसाय बिहार से लेकर झारखंड तक फ़ैला हुआ है । उसने पायरेटेड सीडी के व्यवसाय से करोडो रुपये कमाये हैं । पुलिस के भ्रष्टाचार की बात हीं बेमानी है . गया में ब्लू फ़िल्म बनाने के काम में पहले भी गिरफ़्तारी हो चुकी है तथा उक्त अपराधी को सजा भी हुई है । पुलिस को इस पहलू की भी जांच करने की जरुरत है । भारतीय महिलाओं की ब्लू फ़िल्मों की मांग विदेशों में बहुत ज्यादा है और यह अरबो का व्यवसाय बन चुका है । कालेज जानेवाली शरीफ़ घर की लडकियों को बहला फ़ुसलाकर इस व्यवसाय में उतारने वालों का एक रैकेट है । गया नशीली दवाओं का बहुत बडा केन्द्र है , दुर्भाग्य यह है कि यह सबकुछ पुलिस विभाग और पुलिस के आला अफ़सरों की जानकारी में है , उसके बाद भी कोई कडी कार्रवाई न करना , पुलिस विभाग की संलिप्तता को दर्शाता है । पुलिस के आला अधिकारी भी अपनी जिम्मेवारी से नही बच सकते हैं। गया शहर का सिविल लाईन थाना आजकल इस तरह के कार्यों के लिये कुछ ज्यादा हीं चर्चित है । अभी कुछ माह पहले थाने में एक नौजवान को नगर डी एस पी पंकज रावत के सामने , उसके निर्देश पर पिटाई की गई जिससे उसकी मौत हो गई , उस कांड में नागरिकों के विरोध के कारण उक्त पुलिस उपाधिक्षक का तबादला भर किया गया । उक्त मुकदमें न्यायिक जांच भी हुई है । सतीश नामक जिस नौवजान की हत्या सिविल लाईन पुलिस ने की , उसके भाई द्वारा दर्ज एफ़ आई आर को भी पुलिस ने बदल दिया । इसलिये पुलिस से बहुत ज्यादा अपेक्षा भी नही की जा सकती । टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
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