लालू को झटका, शकील अहमद खान ने राजद से नाता तोडा
लालू को झटका
शकील अहमद खान ने राजद से नाता तोडा
शकील अहमद खान राजद के वरीय नेता रहे हैं । राजद के शासन काल में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं। गया जिले के निवासी शकील अहमद खान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता भी हैं। लालू के काफ़ि नजदीक रहे शकील अहमद खान का वैसे समय में राजद से नाता तोडना, जब नीतीश सरकार कठघरे में है , उसके उपर जमीन आवंटन से लेकर अन्य अभियोग लग रहे हैं , निश्चित रुप से नीतीश के लिए राहत का काम करेगा। हालांकि इससे राजद के वोट बैंक पर कोई खास असर नही पडनेवाला । l लेकिन यह सोचनीय है कि आखिर कौन सा कारण है जिससे बाध्य हो कर शकील अहमद को राजद छोडना पडा।
शकील अहमद से बहुत पहले हुई बिहार मीडिया के संपादक मदन तिवारी के साथ बातचीत से यह अंदाज लग गया था कि वे राजद में लगातार हो रही उपेक्षा से क्षुब्ध हैं। शकील अहमद खान को अपने गर्ह क्षेत्र गया में भी राजद के बाहुबली विधायक सुरेन्द्र यादव के कारण राजनीतिक क्षति ्हो रही थी ।
सुरेन्द्र यादव ने हमेशा शकील अहमद के खिलाफ़ हीं चुनाव में काम किया था। लेकिन मात्र यह दो कारण नही हो सकते पार्टी से अलग होने का। विगत विधानसभा चुनाव में हुई हार से लालू यादव अभी तक नहीं उबर पाये हैं, और न हीं राजद के द्वारा प्रतिपक्ष की जो भुमिका होनी चाहिये , वह निभाया जा रहा है ।
शकील अहमद ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अपने राजनीतिक जिवन की शुरुआत की थी , गया नगर से विधायक का चुनाव भी लडा लेकिन हार जाने के कारण राजद का दामन थाम लिया था ।
निकट भविष्य में राजद सता में आता नही दिख रहा , शायद यह भी एक कारण रहा हो उनका राजद छोडने का । उम्र के ऐसे मुकाम पर शकील अहमद खडे हैं जहां बहुत इंतजार नही किया जा सकता और सता सुख नेताओं का अम्तिम लक्ष्य होता है । ऐसी संभावना है कि शकील अहमद जल्द हीं जदयू में शामिल होंगें ।
सुलझे विचार के शकील अहमद एक अच्छे राजनेता हैं , राजद के अच्छी छवि वाले नेताओं में उनकी गिनती होती है । भले हीं राजद के वोट बैंक पर असर न पडे लेकिन छवि पर असर पडेगा ।
अब मगध में सुरेन्द्र यादव के लिये मुश्किले बढ गई । शकील अहमद अपने अपमान का बदला लेने के लिये सुरेन्द्र के खिलाफ़ खुलकर काम करेंगें, हालांकि अप्रत्यक्ष रुप से तो पह्ले भी दोनो एक दुसरे के खिलाफ़ काम करते थें। ।
शकील अहमद खान के जेल में बंद बाहुबली शहाबुद्दिन के साथ अच्छे संबंध रहे हैं , शकील अहमद के जदयू में जाने के बाद शहाबु को भी राहत मिलने की उम्मीद है । नीतीश भी शहाबुद्दिन का साथ चाहते हैं क्योंकि मुसलमानों में आज भी शहाबु की पकड कायम है ।
गया के राजनीति में भी बिंदी यादव से शकील अहमद के अच्छे संबंध हैं। बिंदी यादव अभी नक्सलियों को हथियार आपूर्ति करने के आरोप में जेल में हैं। लेकिन वह भी सताधारी दल की ओर आस लगाये बैठे हैं । ्सताधारी दल में मंत्री जितन राम मांझी से भी बिंदी यादव की घनिष्टता है ।
बिहार मीडिया से बातचीत में राजद के प्रधान महासचिव रामकर्पाल यादव ने शकील अहमद के द्वारा पार्टी छोडने वाले कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा कहा की राजद ने हमेशा शकील अहमद को सम्मान दिया है, शकील अहमद के हटने का कारण क्या है पुछने पर उन्होने कहा कि यह तो शकील साहब हीं बेहतर बता सकते हैं। ,
नितीश के लिये आनेवाला लोकसभा का चुनाव बहुत बडी चु्नौती है , आनेवाले चुनाव के लिये जदयू के द्वारा अभी से तैयारी शुरु कर दी गई है । जदयू का प्रचार तंत्र मजबुत है , वहां जाने के बाद अपराधी भी समाजसेवी बन जाता है । वर्तमान में दसियों विधायक जदयू में नक्सलियों से सहानुभूति रखने और मदद पहुंचाने वाले हैं। लेकिन सबकुछ माकूल होने के बाद भी अगर गैर संप्रदायिक दल एक मंच पर आ जायें तो बिहार में एनडीए के लिये आने वाले लोकसभा में अपनी सीटे बचाना मुश्किल होगा ।
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