हिंदुस्तान पटना द्वारा सरकारी जमीन का अतिक्रमण



हिंदुस्तान पटना द्वारा सरकारी जमीन का अतिक्रमण


उच्च न्यायालय से लेकर प्रशासन तक बिहार में छोटे दुकानदारों को अतिक्रमण के नाम पर रोज उजाड रहा है । बिहार के अखबार भी प्रशासन के इस कार्य की प्रशंसा में पेज का पेज रंग देते हैं लेकिन किसी अखबार की हिम्मत नही होती है एक बडे अखबार द्वारा किये गये अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ़ लिखने की परन्तु बिहार मीडिया आ्प को बता रहा है न सिर्फ़ बिहार बल्कि हिंदुस्तान के नामी अखबार, पटना से प्रकाशित दैनिक हिंदु्स्तान की कहानी है। कुछ साल पहले पटना के बुद्ध मार्ग में सरकारी जमीन पर एक बकरी बाजार हुआ करता था। पटना नगर निगम ने तब बकरी बाजार खत्म कर उस जमीन पर छोटे दुकानदारों के लिए सौ से अधिक छोटी-छोटी दुकान बनाने का फैसला लिया।
जब जमीन की मापी की गई तो पता चला कि निगम की उस जमीन के कुछ अंश बगल में ही स्थित हिंदुस्तान समाचार पत्र के प्रबंधन ने हड़प रखे हैं, जब निगम ने कार्रवाई शुरु की तो हिंदुस्तान अखबार में हड़कंप मच गया और प्रबंधन ने उस अवैध कब्जे वाली जमीन को बचाने की कवायद शुरू कर दी। हिंदुस्तान अखबार के शातिर दिमाग एक पत्रकार ने हमेशा के लिये अवैध रुप से नगर निगम की जमीन पर काबिज रहने का सदियों पुराना तरीका अपनाया और एक पंडि़त जी को पकड़ा जो अखबार द्वारा हड़पे गए जमीन के आगे हनुमान जी की तस्वीर लगाकर पूजा-पाठ करते थे। प्रबंधन ने पंडित जी को आगे कर यह बात फैलाई कि निगम यहां बनने वाले मंदिर को बनने नहीं देना चाहता जबकि यह जमीन मंदिर की है।
प्रबंधन ने अपने खर्चे पर वहां मंदिर का निर्माण भी शुरू करा दिया। बात जब मंदिर-मस्जिद की हो तो लोगों की श्रद्धा और उत्तेजना लाजिमी है। अखबार प्रबंधन ने वहां भव्य मंदिर बनवा दिया। लोगों की भावनाओं को ध्यान में रख निगम ने मंदिर और उसके पीछे की लगभग दो कट्ठा जमीन छोड़ दिया। इसके बाद खाली जमीन पर अखबार ने अपना कब्जा कर उसपर साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड बना दिया जो कब्जा अबतक बदस्तूर जारी है। हालांकि निगम भी यह जानता है कि उसकी जमीन पर अखबार ने गलत तरीके से कब्जा कर रखा है और यदा कदा निगम के अधिकारी अखबार प्रबंधन को हड़काते भी हैं।
इसका उदाहरण तीन वर्ष पूर्व देखने को मिला था। इस अखबार ने पटना के गांधी मैदान में 'यूफोरिया' के नाम से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। पटना नगर निगम के अधिकारियों ने इस कार्यक्रम को देखने के लिए अखबार प्रबंधन से तीस पास मांगे थे पर उन्हें दस पास ही दिया गया। फिर क्या था निगम के अधिकारी बुलडोजर लेकर अतिक्रमण हटाने अखबार के दफ्तर पहुंच गए। फिर जब तीस के बदले उन्हें 50 पास दिया गया तब बुलडोजर वापस हुआ। चलिये यह तो मंदिर बनाकर जमीन हडपने की घटना अब बताते हैं, अपने स्वार्थ के लिये मंदिर तुडवाने की बात और वह भी हिंदुस्तान के पटना के अक्कू श्रीवास्तव के द्वारा जो खुद को बहुत धार्मिक होने का दिखावा करते हैं और बोरिंग रोड चौराहा पर स्थित एक मंदिर में बिना मत्था टेके वहां से नही गुजरते हैं।
हिंदुस्तान अखबार का एक नया प्रिंटिंग प्रेस पटना के शिवाला चौक स्थित भगवतीपुर गांव के पास स्थापित हुआ है । उस प्रेस तक जाने में बडे वाहनों को बहुत दिक्कत होती थी। इस स्थान पर जाने के लिए बड़े वाहन दानापुर (खगौल) रेलवे स्टेशन से होकर आते हैं। स्टेशन परिसर में ही एक प्राचीन मंदिर है जिसके बगल से और पीछे होते हुए वाहन आते जाते हैं। मंदिर के कारण बड़े वाहनों को गुजरने में काफी कठिनाई होती है, चूंकि इस अखबार के कागजों को लेकर भी वाहन इसी रास्ते से गुजरते हैं इसलिए अखबार प्रबंधन ने वहां से मंदिर तुड़वाने की जुगत भिड़ायी।
पहले तो कई माध्यमों से मंदिर प्रंबंधन को दूसरी जगह जमीन लेकर मंदिर बनवाने का खर्च देने का वादा किया गया पर जब मंदिर प्रबंधन इसके लिए तैयार नहीं हुआ तो दूसरा तरीका निकाला गया। अखबार के एक रिपोर्टर को तीन दिनों तक दानापुर में कैंप कराया गया। उस रिपोर्टर ने भाड़े के कुछ लोगों को लेकर दो तीन दिनों तक मंदिर के पास यह कहकर धरना-प्रदर्शन कराया कि मंदिर में असमाजिक तत्व रहते हैं और मंदिर को यहां से हटाया जाए। जिस अखबार ने यह साजिश रची उसमें इस धरना प्रदर्शन से संबंधित खबर प्रमुखता से लगातार कई दिनों तक छापी गई।यह सारा ड्रामा हिंदुस्तान के प्रबंधक की जानकारी में हुआ, यह अलग बात है कि अखबार प्रबंधन मंदिर तुड़वाने की अपनी साजिश में अबतक सफल नहीं हो पाया। पटना के एक पत्रकार ने पटना नगर निगम से आरटीआई के तहत बकरी बाजार की उस जमीन जिसपर दैनिक अखबार ने कब्जा कर रखा है के बारे में जानकारी मांगी है। उक्त पत्रकार इस मामले को लेकर अखबार प्रबंधन को हाइकोर्ट में घसीटने की तैयारी कर रहा है।

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