अबतक का सबसे बडा जमीन घोटाला

सताधारी दल के बडे-बडे नेता जायेंगे जेल

बूडा वंश रामानंद (तिवारी ) का

उपजा पूत शिवानंद

रामानंद तिवारी बिहार के समाजवादी आंदोलन की रीढ रहे हैं। उन्होनें सर्वप्रथम पुलिस के जवानों को संगठित होने का अधिकार दिलाने के लिये संघर्ष किया । उनकी हीं देन है कि उनके पुत्र शिवानंद तिवारी को बिहार के सभी नेता सम्मान देते आये हैं लेकिन शिवानंद ने कभी भी अपने पिता की गरिमा के अनुकुल कार्य नही किया। सता के लालच में ये हमेशा सताधारी दल से चिपके रहें परिणाम है कि आज इनकी तुलना कबीर के नालायक पुत्र कमाल से की जा रही है जिसके बारे में यह कहावत प्रसिद्ध है “बूडा वंश कबीर का , उपजा पूत कमाल “।रामानंद जी ने जहां जिवन भर समाज के हित में नेतागीरी की वहीं शिवानंद चमचागिरी की नेतागिरी कर रहे हैं।

देखिये उनके कर्‍त्य की एक झांकी

जमीन घोटाले के खुलासे के बाद बिहार सरकार के नेतागण, उप –मुख्यमंत्री सुशील मोदी , शिवानंद तिवारी सहित मीडिया जगत की बडी-बडी हस्तियां इस घोटाले को दबाने में लग गई हैं । सबसे पहले शिवानंद तिवारी ने जो तर्क दिया उसका वर्णन करते हैं । उन्होने कहा है कि १९६०-७० के दशक में छोटे उद्योग स्थापित करने के नाम पर बिहार के विभिन्न शहरों में जमीन का अधिग्रहण किया गया था तथा दशकों तक उन प्लाटों का कोई खरिदार नही था। २००६ में यानी सता में आने के कुछ हीं समय बाद नीतीश कुमार की वर्तमान सरकार ने निर्णय लिया कि बिहार में निवेश करनेवाले उध्यमियों से आवेदन मांगा जाय तथा विग्यापन निकालने की प्रक्रिया समाप्त करते हुये कमेटी बनाकर आवंटन किया गया ।
इससे बडा कुतर्क क्या हो सकता है , जब आवेदन मांगने की बात है तो बिना आवेदन निकाले किससे आवेदन मांगा गया , और उसके लिये क्या पद्धति अपनाई गई , दुसरी बात सार्वजनिक रुप से विग्यापन निकालकर आवेदन न मांगने का कारण क्या था और विग्यापन निकालकर आवेदन मांगने में दिक्कत क्या थी ? क्या यह पारदर्शिता की नीति के खिलाफ़ नही है ?

अब आवंटन किन लोगों को हुआ , यह जानना भी जरुरी है । आवंटन की एक अनिवार्य शर्त व्यवसाय का अनुभव भी है । दो नाम ऐसे हैं जिनको लेथर बाल यानी चमडे के बाल के लिये जमीन आवंटित की गई।
एक हैं कंचन स्पोर्टस के नाम की फ़र्म के मालिक नंदकिशोर यादव, खाजेकला , पटना तथा दुसरी हैं सुपर स्पोर्टस इन्टरनेशनल की मीरा सिंहा , पत्नी -स्व० नवीन किशोर प्रसाद सिंहा , पीरमोहानी , पटना . ।
दोनो नाम भाजपा के दो बडे नेताओं के नाम तथा पता से मिल रहे हैं , क्या ये दोनो वाकई भाजपा के नेतागण हीं है ? अगर भाजपा के नेतागण हीं हैं तो इनको व्यवसाय का अनुभव कब से हो गया ?

एक और नाम है पूर्वांचल उर्जा प्रा० लि० के सुशील कुमार सिंह का, यह नाम भी बिहार के सताधारी दल के सांसद का है । अगर वाकई यह सांसद महोदय हीं हैं तब तो यह गंभीर मामला है ।

बिहार के एक और नेता पुर्णमासी राम के नाम पर भी एक फ़र्म है यह नाम भी एक राजनीतिक का है , अगर यह भी वही हैं जिसका कयास लगाया जा रहा है तो इसकी भी जांच जरुरी है ।


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