राजद उतरा जमीन माफ़ियाओं के पक्ष में
राजद उतरा जमीन माफ़ियाओं के पक्ष में
एक तरह लालू यादव ने मौन तोडते हुये नीतीश के खिलाफ़ ्जनता के बीच जाने और ्जनता से यह पुछने की घोषणा की है कि उनका कसूर क्या है , वहीं दुसरी और उनके दल के विधान परिषद में सदस्य और विपक्ष के नेता गुलाम गौस ने गया में भू माफ़ियाओं के पक्ष में आंदोलन चलाने का एलान किया है ।
गया नगर के लिये जीवनदायिनी का काम करती है फ़ाल्गू नदी । यह नदी गया शहर के दक्षिण दिशा से होती हुई पुनपुन तक जाती है । फ़ाल्गू एक बरसाती नदी है सिर्फ़ बरसात में हीं इस नदी में पानी रहता है बाकी दिनों यह सुखी रहती है पहले यह गंगा में मिलती थी , बाद में पुनपुन के आगे भू अतिक्रमण के कारण इसका मार्ग अवरुद्ध हो गया और यही कारण है कि जब बरसात में तेज बारिश होती है तो पटना –गया मार्ग जिसके किनारे-किनारे यह नदी गुजरती है उस सडक के उपर तक पानी आ जाता है ।
गया शहर से पटना जाने के लिए सडक है उसी सडक पर पंचायती अखाडा नामक मुहल्ला है । पंचायती अखाडा से आगे बढने पर रेलवे की ट्रेन गुजरने के लिये रेल लाईन का पुल है । उसके बाद एक जगह है जिसे एकबाल नगर कहते हैं पंचायती अखाडा क्षेत्र में हीं फ़ाल्गू के तट पर अतिक्रमण कर के एक और कालोनी वारिस नगर बस दी गई है । यह वारिस नगर तथा एकबाल नगर फ़ाल्गू के किनारे बसा है और पूरी तरह सरकारी जमीन पर बसा है । अब तो स्थिति यह हो गई है कि फ़ाल्गू के तट को भरकर वहां मकान बना दिये गये हैं। फ़ाल्गू के जल के बहाव को भी बाधित कर दिया गया है । एकबाल नगर के बसने की भी अलग कहानी है ।
गया में दुर्गाबाडी नामक एक स्थान है , २५-३० वर्ष पूर्व वहां सरकारी जमीन पर कुछ हरिजन परिवार झोपडी डालकर रहते थें । बाद में सरकार ने उस जमीन पर खाद्य निगम का गोदाम बनाने की योजना बनाई तब यह प्रश्न खडा हुआ कि दशको से रह रहे उन गरीब हरिजनों का क्या किया जाय । कम्युनिस्ट पार्टी ने उनके उजाडने के खिलाफ़ आंदोलन शुरु किया । अंत में यह समझौता हुआ कि इन हरिजन परिवारों को पंचायती अखाडा के आगे फ़ाल्गू के किनारे जमीन दे दी जाय और वहां जमीन दी गई । उजाडे गये परिवारों में कुछ मुस्लिम परिवार भी थें।
गया में दुर्गाबाडी नामक एक स्थान है , २५-३० वर्ष पूर्व वहां सरकारी जमीन पर कुछ हरिजन परिवार झोपडी डालकर रहते थें । बाद में सरकार ने उस जमीन पर खाद्य निगम का गोदाम बनाने की योजना बनाई तब यह प्रश्न खडा हुआ कि दशको से रह रहे उन गरीब हरिजनों का क्या किया जाय । कम्युनिस्ट पार्टी ने उनके उजाडने के खिलाफ़ आंदोलन शुरु किया । अंत में यह समझौता हुआ कि इन हरिजन परिवारों को पंचायती अखाडा के आगे फ़ाल्गू के किनारे जमीन दे दी जाय और वहां जमीन दी गई । उजाडे गये परिवारों में कुछ मुस्लिम परिवार भी थें।
धीरे-धीरे वह जगह विकसित होने लगी और भू माफ़ियाओं ने फ़र्जी कागजात बनाकर हरिजनो को कुछ पैसे दे कर उनकी जमीन औने-पौने दाम में खरीद ली । वह एकबाल नगर आज गया –पटना मार्ग पर स्थित है तथा वहां जमीन की कीमत दस लाख रुपया कठ्ठा है । फ़ाल्गू पर अतिक्रमण करके और भी कालोनी बसा दी गई है । फ़ाल्गू के दोनो तटों पर अतिक्रमण कर के मकान बन गये हैं। फ़ाल्गू का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर आ गया तब गया के जागरुक लोगों ने फ़ाल्गू को बचाने की मुहिम छेडी । सरकार भी जग गई । प्रशासन ने नापी की तो खुलासा हुआ की एकबाल नगर पुरा सरकारी जमीन पर बसा है । एक्बाल नगर कोई गरीबों का मुहल्ला नही रहा। संगमरमर के मकान बने हुये है वहां। ।
ऐसा नही है कि सिर्फ़ एकबाल नगर और वारिस नगर बल्कि फ़ाल्गू के उस पार मानपुर के तरफ़ दक्षिणी तट पर भी अतिक्रमण कर के एक कालोनी लक्खीबाग बसा दी गई है । सरकार द्वारा अतिक्रमण हटाने की बात पर भू माफ़ियाओं कि निंद उड गई और राजद के नेतागण भी मौका देखकर भू माफ़ियाओं के पक्ष में खडे हो गयें । कल ३० जूलाई को पटना से गुलाम गौस गया आयें । एकबाल नगर में एक सभा हुई , जोश भरे भाषण दिये गयें एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी लाश पर से गुजरना होगा अतिक्रमण हटानेवालों को । यानी भू माफ़ियाओं के समर्थन में राजद ने कि अपनी लडाई की शुरुआत .
।यह लडाई कामयाब होने से रही लेकिन भूमाफ़ियाओं के पक्ष में खडे होकर राजद ने यह तो जता दिया कि राजद में कोई बदलाव नही आया । अगर गरीबों को उजाडा जाता और राजद उनके पक्ष में खदा होता तो यह माना जा सकता था कि वह जायज लडाई लड रहा है । जब गरीब फ़ुटपाथी दुकानदारों को उजाडा जा रहा था तब राजद के किसी नेता ने आंदोलन की बात नही की लेकिन आज भू माफ़ियाओं के पक्ष में आंदोलन की बात की जा रही है । लालू यादव को भी समझ जाना चाहिये की इसी तरह कि हरकतों के कारण जनता ने उनके दल को नकार दिया था। यही कसूर था उनका।
।यह लडाई कामयाब होने से रही लेकिन भूमाफ़ियाओं के पक्ष में खडे होकर राजद ने यह तो जता दिया कि राजद में कोई बदलाव नही आया । अगर गरीबों को उजाडा जाता और राजद उनके पक्ष में खदा होता तो यह माना जा सकता था कि वह जायज लडाई लड रहा है । जब गरीब फ़ुटपाथी दुकानदारों को उजाडा जा रहा था तब राजद के किसी नेता ने आंदोलन की बात नही की लेकिन आज भू माफ़ियाओं के पक्ष में आंदोलन की बात की जा रही है । लालू यादव को भी समझ जाना चाहिये की इसी तरह कि हरकतों के कारण जनता ने उनके दल को नकार दिया था। यही कसूर था उनका।
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