पुनीत खंडेलिया ने क्यों छोडा हिन्दुस्तान?



हिन्दुस्तान पटना में कभी जीएम, विज्ञापन के रुप में कार्यरत और काम के प्रति काफी मेहनती माने जाने वाले पुनीत खंडेलिया ने आखिर हिन्दुस्तान को छोड़कर प्रभात खबर क्यों ज्वाइन किया? यह जगजाहिर है कि पुनीत हिन्दुस्तान में विज्ञापन विभाग की रीढ़ माने जाते थे। पुनीत ने हिन्दुस्तान क्यों छोड़ा इसे जानकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा रहा हैं।
मामला तीन साल पुराना है हिन्दुस्तान ने पटना के गांधी मैदान में डा. पलास सेन के ग्रुप 'इफोरिया' नाम से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराया। इस आयोजन के कुछ दिन पूर्व ही गांधी मैदान में ही 'महुआ' ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें काफी भगदड़ मची थी। महुआ के कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए हिन्दुस्तान ने अपने कार्यक्रम में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम का ध्यान रखा। हिन्दुस्तान के संपादक ने कई अपने कई पत्रकारों को इसके लिए दबाव दिया कि वो पुलिस के आलाधिकारियों से सुरक्षा इंतजाम के लिए बात करें पर चूकि उस वक्त झारखंड में विधान सभा चुनाव होने थे और बिहार पुलिस और बीएमपी की अच्छी खासी टुकड़ी को झारखंड जाना था इसलिए आलाधिकारियों ने फोर्स देने से मना कर दिया।
तब हिन्दुस्तान के संपादक अकु श्रीवास्तव ने बिहार के तत्कालीन डीजीपी के नाम एक पत्र लिखवाया जिसमें उन्होंने दैनिक भुगतान के आधार पर फोर्स डिप्यूट करने का आग्रह किया पर अकू ने चालाकी यह की कि बिना मजमून पढ़ाए हिन्दुस्तान के लेटर पैड पर लिखे गए इस आवेदन में अपनी जगह तत्कालीन जीएम, विज्ञापन पुनीत खंडेलिया को बिना मजमून पढ़ाए उनसे हस्ताक्षर करवा दिया। खैर भारी मात्रा में पुलिस बल की मौजूदगी के कारण चर्चित गायक डा. पलास सेन का कार्यक्रम तो काफी सफल रहा पर अकु श्रीवास्तव के हाथ-पैर उस वक्त फूल गए जब पटना पुलिस मुख्यालय ने कार्यक्रम में मेहनताना के आधार पर प्रतिनियुक्त किए गए पुलिसकर्मिर्यों को देने के लिए लगभग तीन लाख का बिल भेजा।
तब तक पुनीत खंडेलिया को भी यह पता नहीं था कि संपादक ने पूर्व में जिस लेटर पर उनसे हस्ताक्षर करवाया है वह मेहनताने के आधार पर पुलिस की प्रतिनियुक्ति का था। रुपये भुगतान के लिए पुलिस मुख्यालय से जो पत्र आया वह भी पुनीत खंडेलिया के नाम ही था और भुगतान की जिम्मेवारी भी पुनीत खंडेलिया की ही थी। उस समय तो हिन्दुस्तान में कार्यरत एक पत्रकार और पुलिस विभाग में पहुंच रखने वाले एक सीनियर रिपोर्टर के कारण यह मामला दब गया, पर उस रिपोर्टर के हिन्दुस्तान से इस्तीफा देने के बाद एक साल पूर्व पुलिस मुख्यालय ने फिर से पुनीत खंडेलिया पर भुगतान करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
बताया जाता है कि ब्याज सहित अब यह राशि चार लाख से उपर पहुंच चुकी है। अगर पुनीत हिन्दुस्तान नहीं छोड़ते तो उन्हें ये रुपये अपने पॉकेट से भुगतान करने पड़ते। सूत्र बताते हैं कि हिन्दुस्तान प्रबंधन हिन्दुस्तान छोड़कर गए पुनीत खंडेलिया को हिन्दुस्तान में फिर वापस लाने के लिए उनसे कई बार संपर्क किया पर उन्होंने अपनी वापसी से इनकार कर दिया। इधर पुलिस मुख्यालय बकाया भुगतान के लिए हिन्दुस्तान प्रबंधन पर एफआईआर करने का मन बना चुकी है। अब देखना होगा कि हिंदुस्तानन प्रबंधन इस मामले से कैसे निपटता है।
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