आर्यन टीवी पर बरपा नीतीश का कहर

बिहार में अघोषित आपातकाल





पाटलिपुत्रा बिल्डर्स के यहां निगरानी का छापा







जमीन घोटाले का समाचार दिखाने का बदला







आर्यन टीवी पाटलिपुत्रा ग्रुप का है । आर्यन टीवी के अनिल सिंह पहले नीतीश के खासमखास थें बाद में दोनो के बीच दुरी बढती गई , विग्यापन मिलना कम हो गया । नीतीश को भी छोटे चैनलों की दरकार नही रही । जब बडे चैनल और पत्रकार पिकदान लेकर घुम रहे हों तो आर्यन जैसे को कौन घास डालेगा। अनिल सिंह यह नही समझ पायें की अब छोटे चैनलों को मिलाने की जगह पत्रकारों के सिंडिकेट को हीं मिलाने का रिवाज शुरु हो चुका है ।



एक बडे पत्रकार को सेट कर दो वह अपने ग्रुप के सब पत्रकारों को लामबंद कर देगा और सब एक स्वर में हुआं- हुआं बोलेंगें। अनिल सिंह ने बियाडा जमीन घोटाला आवंटन पर समाचार दिखाना शुरु किया । नीतीश के अहंम को चोट पहुंची , परिणाम सामने है , आज अनिल सिंह जो पाटलिपुत्रा बिल्डर्स के प्रबंध निदेशक है तथा आर्यन टीवी के भी मालिक हैं, उनके पटना के फ़्रेजर रोड स्थित महाराजा कमप्लेक्स में पाटलिपुत्रा के कार्यालय में निगरानी विभाग ने छापा मारा।



उसी कमप्लेक्स में आर्यन टीवी का भी कार्यालय है तथा पाटलिपुत्रा शापर्स माल भी है । बिहार मीडिया ने आर्यन टीवी के द्वारा आवंटन घोटाले के बारे में दिखाये जा रहे समाचार और अनिल सिंह की असलियत के बारे मे भी एक समाचार “कहानी आर्यन टीवी के निदेशक अनिल सिंह की शीर्षक से २६ जूलाई को प्रकाशित की थी । वैसे तो यह पत्रकारिता पर हमला लगता है लेकिन आज कल बिल्डरों द्वारा अपने गैर कानूनी काम को छिपाने तथा सता और अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के लिए टीवी चैनल खोलने का जो सिस्टम चल निकला है उस हिसाब से यह कार्रवाई गलत नही है अगर इसके पिछे बदले की भावना नही होती ।



लेकिन जबतक आर्यन टीवी सरकार के खिलाफ़ नही दिखा रहा था , तबतक निगरानी विभाग सो रहा था लेकिन जैसे हीं आका के बारे में न्यूज दिखाया पड गया छापा। नीतीश के साथ उनके एक अधिकारी भी हैं मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी जिन्होने बियाडा घोटाले में न सिर्फ़ क्लीन चीट दी सरकार के घोटाले में शामिल मंत्रियों को बल्कि यह भी लिखा अपनी रिपोर्ट में की उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिये जो घोटाले के मामले को उठाकर सरकार की छवि घुमिल कर रहे हैं। अनूप मुखर्जी पर भी एक रिपोर्ट बिहार मीडिया ने अनूप मुखर्जी ,यह आपातकाल नही है " शीर्षक से प्रकाशित कर के उन्हें चेतावनी दी थी कि आपातकाल नही है तानाशाह की तरह बात न करें।



लगता है नीतीश के पतन की शुरुआत हो गई है । एक छोटे से मामले में ईलाहाबद उच्च न्यायालय द्वरा ईंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द करने के आदेश के बाद अपने चमचों की सलाह पर आपातकाल लगाया था , परिणाम भुगतना पडा । नीतीश अभी गैर राजनीतिक अफ़सरशाह जैसे अनूप मुखर्जी, अफ़जल अमानुल्लाह तथा अधिवक्ता पी के शाही की सलाह पर काम कर रहे हैं। इन लोगों को कभी जनता से कोई सरोकार नही रहा ।



आनेवाला समय नीतीश के लिए संकट भरा है । ्वक्त हैं चेत जायें , अपने गिरेबां में झांके , खुद में सुधार लायें , चरम पर पहुंचे हुये भ्रष्टाचार को मिटायें अन्यथा रोड पर मटरगश्ती करनी पडेगी ।
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Comments

  1. ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा ह़ा......... लगे रहो मदन भाई!

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