नीतीश कुमार की बेशर्मी : होश में रहते गडबड नही होगी
जरुरतमंदों को नही मिळी जमीन
ईतिहास थूकेगा नीतीश पर
बियाडा जमीन आवंटन घोटाले पर मुख्यमंत्री द्वारा एक जांच कमेटी बनाई बनाई गई थी और बिहार के मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी को जांच का जिम्मा दिया गया था। उन्होने कल २५ जूलाई को क्लीन चीट दे दी , कोई अनियमितता नही पाई जमीन आवंटन में। सरकार के अधिकारी को हिम्मत भी कहां है कि अनियमितता रहते हुये भी बता दे। इस घोटाले के बाद नीतीश कुमार का एक बयान आया जब तक होश - हवास में हूं गडबडी नही होगी। रिपोर्ट क्या आयेगी हम सभी को मालूम था । रिपोर्ट आने के एक दिन पहले हीं , बिहार मीडिया के कार्यालय में बैठे एक पत्रकार ने संपादक को बताया था कि क्लीन चीट मिल गई है । अनुप मुखर्जी ने कहा है कि आवंटन नियमानूकुल हुआ है । ए राजा ने भी यही बात टूजी घोटाले में कही है । सर्वप्रथम तो यह जान लेना जरुरी है कि कोई भी भ्रष्टाचार पुरी तरह नियम की आड में हीं होता है बल्कि जिन मामलों में भ्रष्टाचार की बात होती है , वहां नियम के पालन का दिखावा कुछ ज्यादा हीं होता है ताकि कानून की नजर से बचा जा सके । बियाडा घोटाला का मुद्दा यह नही है कि नियम का पालन हुआ या नही । मुद्दा यह है कि मंत्रियों , विधायकों और अफ़सरों की औलादों को फ़ायदा पहुंचाया गया , बहुत हीं कम दाम पर जमीन का आवंटन कर दिया गया । यह अभियोग साबित हो चुका है । शिवानंद तिवारी पहले हीं बयान दे चुके हैं कि २००६ में विग्यापन और टेंडर की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई । यहां प्रश्न यह उठता है कि २००६ के पहले तक ये सारे लाभान्वित कहां थें । इ - गवर्नेंस के इस युग में जहां पारदर्शिता को बढावा देने की बात है , वहां विग्यापन की प्रक्रिया को बंद करने का औचित्य क्या था ? नीतीश जी एक छोटा सा प्रश्न है , वैसे लोग जो मंहंगी कीमत पर जमीन खरीद सकते थें , सिर्फ़ उन्हें हीं जमीन क्यों आवंटित की गई ? उद्योग का अनुभव होना एक अनिवार्य शर्त थी , जिन्हें जमीन आवांटित की गई , उनमें से कितने को अनुभव है उद्योग का ? राज्य के गरीब बेरोजगारों के लिए क्यों नहीं व्यवस्था की गई ? शिक्षा को उद्योग नही घोषित किया गया है फ़िर शैक्षिक संस्थाओं को वह भी माफ़ियाओं को जमीन क्यों दी गई । नीतीश जी आपके अदंर नैतिक बल नही है , आप सिर्फ़ राजद का हव्वा खडा कर के सता में हैं , आप अगर किसी अन्य देश के राज्य के मुख्यमंत्री होते तो अभीतक जेल में होते । आपका बयान कि होश में रहते गडबडी नही होगी पढकर ठहाके लगाने का मन करता है , इसलिए नही कि मुझे यह बुरा लगा , इसलिए की इस तरह के बेहुदा बयान देने का मतलब लोगों को मुर्ख बनाना । अब आपके होश में रहने की बात है तो आपके माथे पर बैठा हुआ है के पी रमैया , पटना का कमिश्नर , बिहार का सबसे ज्यादा भ्रष्ट आई ए एस , मै आपको ई मेल कर के मांग कर चुका हूं , आप जांच कराओ अपने हीं विजिलेंस से, लेकिन आपकी हिम्मत नही हुई । आपके जिलाधिकारी संजय सिंह हैं , आपसे रिश्तेदारी भी है , घर पे बुलाकर पुछ लिजिएगा गया के पुराने भुसुंडा मेला जमीन घोटाला । आप के अदंर शर्म तो रही नही इसलिए जो लिखा वह बुरा लगा होगा यह सोचना बेकार है । लिखा भी इसलिए की सभी पत्रकार नपुंसक नही हैं और न हीं बिकाउ , याद दिलाने के लिए ।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
ईतिहास थूकेगा नीतीश पर
बियाडा जमीन आवंटन घोटाले पर मुख्यमंत्री द्वारा एक जांच कमेटी बनाई बनाई गई थी और बिहार के मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी को जांच का जिम्मा दिया गया था। उन्होने कल २५ जूलाई को क्लीन चीट दे दी , कोई अनियमितता नही पाई जमीन आवंटन में। सरकार के अधिकारी को हिम्मत भी कहां है कि अनियमितता रहते हुये भी बता दे। इस घोटाले के बाद नीतीश कुमार का एक बयान आया जब तक होश - हवास में हूं गडबडी नही होगी। रिपोर्ट क्या आयेगी हम सभी को मालूम था । रिपोर्ट आने के एक दिन पहले हीं , बिहार मीडिया के कार्यालय में बैठे एक पत्रकार ने संपादक को बताया था कि क्लीन चीट मिल गई है । अनुप मुखर्जी ने कहा है कि आवंटन नियमानूकुल हुआ है । ए राजा ने भी यही बात टूजी घोटाले में कही है । सर्वप्रथम तो यह जान लेना जरुरी है कि कोई भी भ्रष्टाचार पुरी तरह नियम की आड में हीं होता है बल्कि जिन मामलों में भ्रष्टाचार की बात होती है , वहां नियम के पालन का दिखावा कुछ ज्यादा हीं होता है ताकि कानून की नजर से बचा जा सके । बियाडा घोटाला का मुद्दा यह नही है कि नियम का पालन हुआ या नही । मुद्दा यह है कि मंत्रियों , विधायकों और अफ़सरों की औलादों को फ़ायदा पहुंचाया गया , बहुत हीं कम दाम पर जमीन का आवंटन कर दिया गया । यह अभियोग साबित हो चुका है । शिवानंद तिवारी पहले हीं बयान दे चुके हैं कि २००६ में विग्यापन और टेंडर की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई । यहां प्रश्न यह उठता है कि २००६ के पहले तक ये सारे लाभान्वित कहां थें । इ - गवर्नेंस के इस युग में जहां पारदर्शिता को बढावा देने की बात है , वहां विग्यापन की प्रक्रिया को बंद करने का औचित्य क्या था ? नीतीश जी एक छोटा सा प्रश्न है , वैसे लोग जो मंहंगी कीमत पर जमीन खरीद सकते थें , सिर्फ़ उन्हें हीं जमीन क्यों आवंटित की गई ? उद्योग का अनुभव होना एक अनिवार्य शर्त थी , जिन्हें जमीन आवांटित की गई , उनमें से कितने को अनुभव है उद्योग का ? राज्य के गरीब बेरोजगारों के लिए क्यों नहीं व्यवस्था की गई ? शिक्षा को उद्योग नही घोषित किया गया है फ़िर शैक्षिक संस्थाओं को वह भी माफ़ियाओं को जमीन क्यों दी गई । नीतीश जी आपके अदंर नैतिक बल नही है , आप सिर्फ़ राजद का हव्वा खडा कर के सता में हैं , आप अगर किसी अन्य देश के राज्य के मुख्यमंत्री होते तो अभीतक जेल में होते । आपका बयान कि होश में रहते गडबडी नही होगी पढकर ठहाके लगाने का मन करता है , इसलिए नही कि मुझे यह बुरा लगा , इसलिए की इस तरह के बेहुदा बयान देने का मतलब लोगों को मुर्ख बनाना । अब आपके होश में रहने की बात है तो आपके माथे पर बैठा हुआ है के पी रमैया , पटना का कमिश्नर , बिहार का सबसे ज्यादा भ्रष्ट आई ए एस , मै आपको ई मेल कर के मांग कर चुका हूं , आप जांच कराओ अपने हीं विजिलेंस से, लेकिन आपकी हिम्मत नही हुई । आपके जिलाधिकारी संजय सिंह हैं , आपसे रिश्तेदारी भी है , घर पे बुलाकर पुछ लिजिएगा गया के पुराने भुसुंडा मेला जमीन घोटाला । आप के अदंर शर्म तो रही नही इसलिए जो लिखा वह बुरा लगा होगा यह सोचना बेकार है । लिखा भी इसलिए की सभी पत्रकार नपुंसक नही हैं और न हीं बिकाउ , याद दिलाने के लिए ।
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बोलो नीतीश कुमार की जय! यह तो साबित हो गया कि नीतीश कुमार तानाशाह नहीं हैं. अगर होते तो ऐसा लिखने का जोखिम आप नहीं उठाते. :)
ReplyDeleteआपको दिल से धन्यवाद । नीतीश क्या कोई भी रहता मेरी आवाज नही दबती । जिंदगी में जो झेला है कोई न झेले । लेकिन आतमविश्वास बढा यही फ़ायदा हुआ । शायद न्यायपालिका के बारे में आपने नही पढा है जो मैने लिखा है । हां अब हिज्जे विज्जे मत याद दिलईयेगा। हाहाहा हाहाहा हाहाहा ।
ReplyDeleteअरे, न्यायपालिका का लिंक नहीं मिल रहा है. किसी और साईट पर है क्या?
ReplyDeletehttp://biharmedia.blogspot.com/2011/06/blog-post_6412.html
ReplyDeleteये दो लिंक हैं आप पढें
http://madantiwary.blogspot.com/2010/11/retired-chief-justice-mr-k-g.html