जनवादी कवि आलोक धन्वा ने क्रांति भट्ट उर्फ़ असीमा भट्ट से प्रेम विवाह किया था। असीमा के पिता सुरेश भट्ट साम्यवादी विचारधारा के क्रांतिकारी थें । जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुडे सुरेश भट्ट बिहार के नवादा जिले के धनी परिवार के थें परन्तु दिल के किसी कोने में अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की भावना ने इन्हें क्रांतिकारी बना दिया । लालू , नीतीश , सुरेश भट्ट को गुरु कहा करते थें । जार्ज फ़र्नाडिस जैसा समाजवादी नेता भी सुरेश भट्ट का बहुत सम्मान करते थें । आज सुरेश भट्ट दिल्ली के एक ओल्ड एज होम में बिमार अवस्था में मौत का इंतजार कर रहे हैं । सुरेश भट्ट की पुत्री क्रांति भट्ट ने अपने से दुगुने उम्र के आलोक धन्वा से विवाह किया । आलोक धन्वा कहने को तो समाजवादी विचारधारा के होने का दिखावा करते थें लेकिन वास्तव में पुरुष प्रधान समाज के एक ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होने प्रेम सिर्फ़ शरीर की चाह के लिये किया था । असीमा भट्ट रंगमंच की कलाकार हैं । प्यार भी यातना देता है , जिंदगी को नर्क बना देता है लेकिन जिवन की चाह एक झटके में सबकुछ तोडकर , रिश्तो को...
ज़हालत की हद है जनाब. इतना भी नहीं जानते कि "कपालभाति" प्राणायाम होता है "कपालभारती" नहीं? कलम पकड़ने का शऊर नहीं है चले आये हैं लेखक बनने.
ReplyDeleteश्रीमान यह एक हास्य था जिसमें शब्दों का प्रयोग भी भारत के संदर्भ में किया गया है । यानी भारत के रामदेव का कपाल भारती। वैसे आपको बुरा लगा हो तो क्षमा चाहता हूं और आपकी ईच्छा अगर मेरे गुरु बन कर वर्तना यानी स्पेलिंग सिखाने की है तो उसका भी स्वागत है बिना किसी दुर्भावना के। वैसे कलम नहि कम्पयूटर का उपयोग करता हूं लिखने के लिये ।
ReplyDeleteभाति शब्द लोहार की भाति से लिया हुआ है ।
ReplyDeleteIS TARAH KA MAJAK HINDU DHARM KE SATH HE KYON KIYA JATA HEIN
ReplyDeleteइस तरह का मजाक केवल हिन्दू प्रतीकों के लिए होता हैं और धर्मों का मजाक बनाने के हिम्मत नहीं हैं।
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