मिलें डा० सुधा राय (यूपी ) डा० अजीत पांजा (बंगाल ) डा० प्रेम कुमार (बि०) से
अयोग्य पीएचडी धारको की लिस्ट
यूपी की सुधा राय , बंगाल के अजीत पांजा, स्व० नागेन्द्र झा, कैबिनेट मंत्री प्रेम कुमार
बिहार के दो विश्वविद्यालय पीएचडी की डिग्री खुले हाथ से बाटते हैं। यहां से डाक्टरेट करनेवालों की लिस्ट देख कर एक बार हर कोई चौक जायेगा । यूपी के एक बडे नेता हुआ करते थें कल्पनाथ राय । वहां के घोसी क्षेत्र से सांसद रहे और लगातार १९८९ से लेकर मरने के दिन तक उन्होनें घोसी का प्रतिनिध्त्व किया । सुधा राय उन्हीं कल्पनाथ राय की दुसरी पत्नी है जिनके साथ अपनी पहली पत्नी के मौत के दो साल बाद १९८५ में कल्पनाथ राय ने विवाह किया था। उक्त सुधा राय ने बिहार के मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी की है । दुसरे व्यक्ति हैं बंगाल के अजीत पांजा , उन्होने भी यहीं से पीएचडी किया था। बिहार सरकार के मंत्री हैं प्रेम कुमार वह भी पीएचडी हैं। बिहार क्या पुरे मुल्क के नेताओं को डाक्टर लिखने का इतना शौक है की वे येन केन प्रकरेण पीएचडी करना चाहते हैं। बिहार के दो विश्वविद्यालय , मगध विश्वविद्यालय , बोधगया और ललित नारायन मिश्रा विश्वविद्यालय में ३०-४० हजार रुअप्ये खर्च करके कोई भी पीएचडी डिग्री हासिल कर सकता है । गाईड यानी सुपरवाईजर आपको पीएचडी कराने का ठेका लेते हैं। कही से कांटकर और चिपका कर थीसिस जमा कर दी जाती है । किसी पुरानी थीसिस के टापिक एवं सिनोपसिस को बदलकर जस का तस टाईप करवा दिया जाता है । बाहर से आनेवाले बाह्य परीक्षक को कुछ गिफ़्ट और नकदी दे दिया जाता है और काम पुरा । बहुत जल्द बिहार मीडिया मगध विश्वविद्यालय से इस तरह के पीएचडी धारी महानुभावों के नाम और वास्तविकता को सामने लायेगा ।
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यूपी की सुधा राय , बंगाल के अजीत पांजा, स्व० नागेन्द्र झा, कैबिनेट मंत्री प्रेम कुमार
बिहार के दो विश्वविद्यालय पीएचडी की डिग्री खुले हाथ से बाटते हैं। यहां से डाक्टरेट करनेवालों की लिस्ट देख कर एक बार हर कोई चौक जायेगा । यूपी के एक बडे नेता हुआ करते थें कल्पनाथ राय । वहां के घोसी क्षेत्र से सांसद रहे और लगातार १९८९ से लेकर मरने के दिन तक उन्होनें घोसी का प्रतिनिध्त्व किया । सुधा राय उन्हीं कल्पनाथ राय की दुसरी पत्नी है जिनके साथ अपनी पहली पत्नी के मौत के दो साल बाद १९८५ में कल्पनाथ राय ने विवाह किया था। उक्त सुधा राय ने बिहार के मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी की है । दुसरे व्यक्ति हैं बंगाल के अजीत पांजा , उन्होने भी यहीं से पीएचडी किया था। बिहार सरकार के मंत्री हैं प्रेम कुमार वह भी पीएचडी हैं। बिहार क्या पुरे मुल्क के नेताओं को डाक्टर लिखने का इतना शौक है की वे येन केन प्रकरेण पीएचडी करना चाहते हैं। बिहार के दो विश्वविद्यालय , मगध विश्वविद्यालय , बोधगया और ललित नारायन मिश्रा विश्वविद्यालय में ३०-४० हजार रुअप्ये खर्च करके कोई भी पीएचडी डिग्री हासिल कर सकता है । गाईड यानी सुपरवाईजर आपको पीएचडी कराने का ठेका लेते हैं। कही से कांटकर और चिपका कर थीसिस जमा कर दी जाती है । किसी पुरानी थीसिस के टापिक एवं सिनोपसिस को बदलकर जस का तस टाईप करवा दिया जाता है । बाहर से आनेवाले बाह्य परीक्षक को कुछ गिफ़्ट और नकदी दे दिया जाता है और काम पुरा । बहुत जल्द बिहार मीडिया मगध विश्वविद्यालय से इस तरह के पीएचडी धारी महानुभावों के नाम और वास्तविकता को सामने लायेगा ।
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