राज्यपाल बेचेंगे चार विश्वविद्यालय , नीतीश बेचेंगे दो
राज्यपाल देवनंद कुंवर के खिलाफ़ क्या होगी जांच ?
राज्यपाल बेचेंगे चार विश्वविद्यालय , नीतीश बेचेंगे दो
राज्यपाल देवनंद कुंवर ने विश्वविद्यालयों में शिक्षा को बाधित किया
कुलपति पद के लिये डाक बोलने का दौर शुरु
बिहार के छह विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का मामला अभी तक अटका हुआ था , लेकिन बिहार मीडिया को प्राप्त खबर के अनुसार अब राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच सौदा तय हो गया है । चार विश्वविद्यालय यथा ; मगध विश्वविद्यालय ( गया ), बाबा साहब भीम राव अंबेदकर विश्वविद्यालय ( मुजफ़्फ़रपुर ) , ललित नारायन मिश्रा विश्वविद्यालय (दरभंगा ) , जय प्रकाश विश्वविद्यालय ( छपरा ) में कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल अपने मन से करेंगें। तथा , तिलका मांझी भागलपुर, वीर कुंवर सिंह ( आरा ) के कुलपति नीतीश कुमार का होगा। मगध विश्वविद्यालय , बोधगया और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के कुलपतियों की नियुक्ति से हीं राज्यपाल और नीतीश के बीच रिश्ते में खटास पदी थी । अब इन दोनो विश्वविद्यालयों में से एक मगध के कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल और कुंवर सिंह विश्वविद्यालय , आरा के कुलपति की नियुक्ति नीतीश करेंगें, जहां मगध में अरविंद कुमार पुन: लौट रहे हैं , वहीं कुंवर सिंह में नये कुलपति के आ रहे हैं । शायद हिंदुस्तान का प्रथम राज्य बिहार है जहां छह में से पांच पर कार्यकारी कुलपति कार्यरत हैं , वाह रे कांग्रेस की नीति ।
अप्रशिक्षित शिक्षको की बिहार में नियुक्ति पर भारत सरकार के सहमत होते हीं इस डील की संभावना बढ गई थी । कांग्रेस अभी भी नीतीश को अपने साथ लाना चाहती है । हालांकि नीतीश की प्रधानमंत्री पद की अदम्य ईच्छा इसमें बाधक है । मगध विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति अरविंद कुमार की पुन : वापसी की संभावना बढ गई है । अरविंद कुमार ने तो १२ करोड रुपये राज्यपाल देवानंद कुंवर को दिये थें। यह पैसा यूजीसी के अध्यक्ष पद के लिये दिया था, लेकिन दिल्ली दरबार में मामला अटक गया इनके नाम पर विचार भी हुआ लेकिन किसी कारणवश मामला गडबड हो गया तो इन्हें कुलपति बनाकर ढाढस बंधाया गया , अब जब वह भी चला गया तो अरविंद कुमार को पुन: मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर वापस लाकर पैसे चुकाना चाहते हैं देवानंद कुंवर । राज्यपाल के पद की मर्यादा को तार-तार करने वालों में देवानंद कुंवर सबसे आगे हैं । बिहार का राजभवन सौदा का केन्द्र बन गया है । सरकार और राज्यपाल के बीच मध्यस्थ या दलाल की भुमिका निभानेवालों में अफ़जल अमानुल्लाह आइएएस मुख्य है । उनकी पत्नी परवीन अमानुल्लाह को इसीलिये मंत्रीपद से नवाजा गया है । पी के शाही भी अब दलाली करने में लग गये हैं। वैसे तो पहले से भी उनपर बहुत सारे अभियोग लगे हुये हैं। कांग्रेस भ्रष्ट राज्यपालों को प्रश्रय देने में भी आगे है । बिहार में एक राज्यपाल आया था बुटा सिंह , उसके काल में बंटी-बबली नाम के बुटा के बेटों ने राज्यपाल को दलालों का अड्डा बना दिया था । आज तक कांग्रेस ने स्वीकार भी नही किया की वह बुटा सिंह भ्रष्ट था और न हीं नीतीश ने बुटा सिंह के समय हुये भ्रष्टाचार की कोई जांच करवाने की जहमत नहीं उठाई वैसे भी नीतीश यथास्थितिवादी हैं।
बिहार के वर्तमान राज्यपाल देवानंद कुंवर ने राज्य के विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार के केन्द्र में बदल दिया है । करोड लेकर कुलपति की नियुक्ति होती है , राज्य में योग्य शिक्षाविद रहते हुये , दुसरे राज्य से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे व्यक्ति को राज्यपाल बनाया जाता है , कारण मात्र लेन-देन है । अभी उच्च न्यायालय ने देवानंद कुंवर के द्वारा नियुक्त दो राजयपालों की नियुक्ति को अवैध घोषित करते हुये रद्द कर दिया , । उनमें से एक कुलपति हैं मगध विश्वविद्यालय के अरविंद कुमार । इन्होने मगध विश्वविद्यालय को लूट के अड्डे में तब्दील कर दिया । पहले जहां विश्वविद्यालय के प्रेस में उतर पुस्तिका छपती थी अरविंद कुमार ने बाहर से खरीदने का आदेश पारित किया । प्रेस में छपनेवाली उतर पुस्तिका की लागत जहां छह रुपये आती थी , वहीं बाहर से यह पांच गुणे दर पर खरीदी जा रही है । न्यायालय द्वारा अरविंद कुमार को हटाये हुये आज एक माह से ज्यादा हो गया है परन्तु नये कुलपति की नियुक्ति नही हुई है कारण है लेन-देन का पुरा न होना लेकिन अब जब देवानंद कुंवर और नीतीश के साथ समझौता हो गया है तो एक सप्ताह के अंदर कुलपति की नियुक्ति हो जाने की संभावना है । हालांकि अभी चार व्यक्ति इस दौड में शामिल हैं । ज्यूलोजी के हेड सीडी सिंह , अच्छे शिक्षक है लेकिन ट्यूशन पढाते हैं यह नैतिक रुप से गलत है , दुसरे हैं बी बी शर्मा डीएसड्ब्लू , ये रीडर हैं हालांकि डीएसड्ब्लू के पद के लिये योग्यता प्रोफ़ेसर होना है । एक और दावेदार हैं हरिद्वार सिंह अभी फ़िलहाल ए एन कालेज , पटना में प्रिंसिपल हैं। ्वर्तमान उप कुलपति भी इस दौड में शामिल हैं। कुलपति की नियुक्ति का मामला पैसे के कारण अट्का हुआ है । अरविंद कुमार दस करोड से ज्यादा देकर आये थें, कुमार का हश्र देखकर कोई करोडो द्ने को तैयार नही है । एक उम्मीदवार ने तो बिहार मीडिया को स्पष्ट बताया की करोड हैं नही तो दे कहां से। दस-बीस लाख की बात होती तो व्यवस्था करते और बाकी बाद में कमा कर चुका देतें । अब यह देखना है की राज्य सरकार क्या करती है । वैसे मंत्री तथा नेताओं से पैरवी करवाने का सिलसिला शुरु हो चुका है । इन सभी उम्मीदवारों में आर्थिक रुप से हरिद्वार सिंह सबसे सक्षम हैं। लेकिन अरविंद कुमार के करोड की वसूली अभी नही हुई है इसलिये उनके हीं आने की संभावना है .।
भ्रष्टाचार के आरोपों को झेल रही कांग्रेस ने अभी हाल हीं में हुये विधानसभा चुनाओं में असम, बंगाल तथा केरल में प्राप्त विजय को अपने भ्रष्ट शासन पर जनता की मुहर समझ लिया है । आजादी के बाद से इस मुगालते में रहने वाली कांग्रेस ने की इस देश में प्रजातंत्र उसी की बदौलत है , हमेशा प्रजातांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने और अपने स्वार्थ के लिये उनका उपयोग किया है । उन संस्थाओं में से एक है , राज्यपाल । अभी भारद्वाज की कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा को खारिज करने के बाद नियमत: भारद्वाज को वापस बुलाना चाहिये था । एक राज्यपाल जब राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करे और उसकी अनुशंसा तथ्यहीन पाई जाय तथा खारिज कर दी जाय तो उसे अपने पद पर बने रहने का अधिकार नही है ।
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यह खबर और इसका लहजा बहुत अच्छा है। कम से कम नीतीशी चश्मा से तो नहीं देखा गया है।
ReplyDeleteक्योंकि कुछ मूर्खों को नीतीश का सब काम बुद्धि वाला ही लगता है।
ReplyDeleteबिहार का यही नंगा सच है जो एक दिन सामने आएगा..
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