भ्रष्ट भाजपा का भ्रष्टाचार विरोध का ड्रामा
भ्रष्ट भाजपा का भ्रष्टाचार विरोध का ड्रामा
भाजपा कुछ ज्यादा हीं जोश – खरोस में नजर आ रही है । उसकी हालत पेडे कटहल , ओठे तेल वाली है । उसे लगता है कि भ्रष्टाचार के नाम पर रामदेव और अन्ना की लडाई का फ़ायदा सता में परिवर्तन के रुप में मिलेगा। भाजपा कभी देशहित में नही सोच सकती । उसको भी सता चाहिये , चाहे अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाकर हासिल हो या गुजरात में दंगो की छुट देकर । देश के बहुत सारे राज्यों में भाजपा की सरकार है । और सभी जगह भ्रष्टाचार है । बिहार में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है । यहां एक तरीके से अघोषित आपातकाल लागू है । मीडिया बिकी हुई है । सभी बडे या जिले स्तर के पत्रकार दलाल बन गये हैं। थानों में मुकदमे नही लिये जाते हैं। जिलाधिकारी और एस पी को निर्देश है ज्यादा से ज्यादा सजा करवायें। कानून का मतलब है आकंडा । अगर निर्दोष भी है तो सजा करवाओ । नीतीश के शासन में जितने लोगों को सजा हुई है , उनमें सत्तर प्रतिशत निर्दोष हैं। न्यायपालिका में भी सरकार हस्तक्षेप करती है । हर जिले में क्राईम मिटींग होती है , जिले के न्यायाधीश के कार्यालय में । वहां बस इसी बात की चर्चा होती है कि कैसे भी हो ज्यादा से ज्यादा लोगों को सजा हो। मीडिया की तरह न्यायपालिका को भी कठपुतली बना दिया है राज्य सरकार नें। नक्सलवादियों को चुनाव में टिकट देकर विधायक बना दिया गया है । गया जिले के पांच विधायक नक्सलवादियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से जुडे रहे हैं । विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायन चौधरी के नक्सलियों से रिश्ते के बारे में सबको पता है । राजेश कुमार जो लोजपा के नेता तथा सांसद थें , उनकी हत्या में उदय नारायन चौधरी का हाथ होने का आरोप लगता रहा है । सरकार ने सीबीआई जांच की मांग नही मानी । शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक का भी नक्सलियों से अच्छे संबंध हैं। औरंगाबाद के रामाधार सिंह जो पूर्व में चर्चित नक्सली नेता रह चुके हैं , उसके पुत्र ने जदयू विधायक, विनोद यादव, कर्ष्णनंदन यादव, उदय नारायन चौधरी, जितनराम मांझी जो राज्य के मंत्री हैं, उनकी समधीन को चुनाव में जिताने में अहम भुमिका निभाई थी। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि के पी रमैया जिसने गया के प्राचीन और एतहासिक भुसुंडा मेला बेच दिया , उसे पटना का कमिश्नर बनाया है नीतीश कुमार नें। भुसुंडा मेला की तकरीबन ५७ एकड जमीन के खरीदारों में सरकार के अधिकारी सहित भाजपा और जद्यू के नेता शामिल हैं। हर कदम पर घुस देना मजबुरी है।कर्नाटका का सच सबको पता है , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह स्वीकार किया कि वहां के मुख्यमंत्री ने अपने परिवार के नाम से जमीन का आवंटन करके नैतिक भुल की है । क्या नैतिक भुल करनेवाला सता में रहने का अधिकारी है ? भाजपा मनमोहन सिंह से नैतिकता के आधार पर त्याग्पत्र मांग रही है लेकिन अपने मुख्यमंत्री को नही कहती त्यागपत्र देने के लिये।
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