पटना में कैदी फ़रार, गहने की लूट

विचाराधीन कैदी पटना होटल से फ़रार
पटना के गिविंद मित्रा रोड स्थित जनता होटल से एक कैदी अमित मंडल फ़रार हो गया । उसे मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर इलाज के लिये मुंगेर जेल से पटना पीएमसीएच लाया गया था। साथ आये पुलिस कर्मियों के साथ वह अस्पताल के बजाय अपनी पत्नी और बेटे के साथ होटल में आंनद ्मना रहा था .यह एक सामान्य सी खबर है लेकिन बिहार सरकार के सुशासन की पोल खोलती है । अभी कुछ दिन पहले गोपालगंज के जेल में डाक्टर की हत्या कैदियों ने कर दी थी। उसका जो कारण बताया गया था , वह था कि एक कैदी को इलाज के बहाने बाहर जाने का मन था लेकिन डक्टर ने उसके लिए अनुशंसा नही की । वास्तविक कारण क्या था यह तो सरकारी अधिकारियों को हीं पता होगा , क्योंकि जेल में स्थापना के लिये डाक्टर अच्छी खासी रकम खर्च करते हैं जिसकी वसूली कैदियों की दवा बेचकर, स्वस्थ ्कैदी को जेल के अस्पताल में रखकर और बाहर भेजने की अनुशंसा करके करते हैं। अभी अमित मंडल नामक कैदी जो फ़रार हुआ , उसने एक हीं साथ अपने खिलाफ़ गिरोह के तीन लडकों की हत्या करके सनसनी फ़ैला दी थी। हत्या सहित दर्जनों संगीन मामलो के अभियुक्त अमित को मेडिकल बोर्ड के निर्देश पर इलाज के लिये पटना भेजा गया था। बाकई गंभीर रुप से बिमार कैदियों को तबतक बाहर नही भेजने की अनुशंसा मेडिकल बोर्ड नही करता जबतक वह मरने की हालत मंं न पहुंच जाये। अभीतक बिहार के कितने कैदियों को जेल से बाहर पटना जाकर इलाज करवाने की अनुशंसा जिले के मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई है , इसकी अगर जांच हो जाये तो डाक्टरों की असलियत का भी पता चल जायेगा। लेकिन बिहार क्या किसी भी राज्य या देश की पुलिस कभी भी व्यापक जांच नही करती है । अमित के फ़रार होने के बाद उसकी पत्नी और ५-७ साल के बेटे को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है लेकिन छह पुलिसकर्मी जो साथ थें उन्हें निलंबित कर अपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश हुआ है । पत्नी की गिरफ़्तारी तो समझ में आती है परन्तु छोटे से बच्चे को क्यों गिरफ़्तार किया गया , यह बात पुलिस हीं अच्छी तरह बता सकती है ।

पटना में सुनार की हत्या कर २० लाख के गहने की लूट
कल १७ जून को पटना के एक सुनार मनोज गुप्ता की साढे छह बजे सुबह में कुछ अपराधियों ने उस समय हत्या कर दी जब वह २० लाख के गहने लेकर समस्तीपुर क्र लिये जा राहे थें। वैसे तो अपराध की घटनाओं में पटना में अप्रत्यासित वर्द्धि हुई है । पुलिस ने इस घटना के बाद ३ व्यक्तियों को संदेह के आधार पर गिरफ़्तार किया है , उनमें से एक मनोज गुप्ता का पूर्व कर्मचारी सोनू भी है । बिहार मीडिया आम अखबारों या टीवी चैनलों की तरह सिर्फ़ समाचारों को प्रकाशित नही करता बल्कि उनके पिछे का सच, इस तरह की घटनाओं का कारण भी बताता है । मनोज गुप्ता सुबह साढे छह बजे २० लाख के गहने लेकर पटना से समस्तीपुर जा रहे थें। सोने के गहनों का व्यापार दो नंबर का होता है । करोडो के गहने और सोना बिना किसी लिखा पढी के खरीदे – बेचे जाते हैं। जहां गैर कानूनी काम होगा , वहां से आमदनि का रास्ता दो वर्ग के लोग तलाश लेते हैं। एक पुलिस दुसरा अपराधी। दो नंबर के काम में पैसा तो बहुत है लेकिन क़न का खतरा हमेशा बना रहता है । अपहरण कभी किसी किसान, ठेला चालक, मजदूर का नही होता है , अभियंता, डाक्टर, दो नंबर से करोडो कमानेवाले व्यवसायी का हीं अपहरण होता है । देश के कानून में भी प्रावधान है कि अगर किसी मुकदमें के अन्वेषन के दौरान अन्या अपराध का पता चलता है तो पुलिस कार्रवाई कर सकती है । आज तक कभी भी जांच एजेंसी ने यह काम नही किया । मनोज गुप्ता के हत्यारे को निश्चित रुप से सजा मिलनि चाहिये लेकिन साथ हीं साथ इसकी भी जांच होनी चाहिये की गहने एक नंबर के थे या दो नंबर के और कौन – कौन लोग इस व्यवसाय से जूडे हैं। हत्या के संदेह में मनोज गुप्ता के पूर्व कर्मचारी सोनू को पकडा गया है । हो ्सकता है कि वह हत्या और लूट में शामिल हो , लेकिन इसकी भी जांच होनी चाहिये कि क्या सोनू को नियमानूकुल वेतन और बाकि सुविधायें मिलती थी ? जबतक अपराध के कारण को खत्म नही किया जायेगा तब तक न तो अपराध खत्म होगा और न हीं भ्रष्टाचार ।


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