कब्रिस्तान हीं अब घर है
कब्रिस्तान हीं अब घर है
अमेरिका की मानवता
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इराक के सबसे बडे कब्र्गाह नजफ़ में रहने के लिये वहां के बेघरबार हुये लोग बाध्य हैं। यह कब्रगाह शिया समुदाय के लिये बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अली इमाम के
मकबरे के नजदीक है । युद्ध का दर्द झेल रहे इराक के लिये इससे बडी त्रासदी नही हो सकती । कब्रगाह को घेरघार कर अस्थायी रुप से बनाये गये दो कमरे में नौ बच्चे और तीन बीबीयों के साथ रहने वाले पिता का कहना है कि घर चलाने के लिये उसके बेटे मुस्लिम अब्दुल खलील को कब्रों पर सेंट छिडकने और उनकी साफ़ सफ़ाई का काम करना पडता है । युद्ध से बेघर हुये दर्जनों परिवार इस कब्रगाह में रहने के लिये बाध्य हैं । रात में डर के कारण ये परिवार कुरान
को सिर के पास रखकर सोते हैं। ऐसे परिवारों के लिये यह कब्रगाह हीं उनके बच्चों के खेलने की जगह भी है । पानी सहित सभी सुविधाओं से महरुफ़ यह कब्रिस्तान हीं बेघर लोगों का सहारा है । इराक को इस हालात में पहुंचाने के लिये अमेरिका सबसे बडा गुनाहगार है । नीचे दिये वीडियों को देखें ।टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें
अमेरिका की मानवता
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इराक के सबसे बडे कब्र्गाह नजफ़ में रहने के लिये वहां के बेघरबार हुये लोग बाध्य हैं। यह कब्रगाह शिया समुदाय के लिये बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अली इमाम के
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