धर्म के दो बडे व्यापारी रविशंकर और रामदेव





धर्म के दो बडे व्यापारी रविशंकर और रामदेवएक है टाटा दुसरा अंबानीधर्म का धंधा बडा फ़ायदेमंद है। इस व्यवसाय में पैसा के साथ-साथ सम्मान भी बहुत मिलता है। दुसरे धंधे में लोग पैसा देने में आनाकानी करते हैं लेकिन इसमें पैर छूकर पैसा देते हैं। भारत में पुरी तरह एक कंपनी के रुप में इस धंधे को बढाने और चलानेवाले दो व्यक्ति हैं। एक तो अपने रामदेव जिनकी कलई खुल गई। दुसरे हैं रविशंकर । हालांकि रविशंकर , रामदेव की तरह मुर्ख नही हैं । उन्होनें इस धंधे से अलग हटकर कुछ नही किया है जबकि रामदेव ने तो दवा से लेकर आटा बेचना शुरु कर दिया। रविशंकर विशुद्ध धर्म व्यवसायी हैं। उनका योग शिविर लगता है, योग का प्रशिक्षण दिया जाता है और उन शिविर में जाने के लिये एक रकम अदा करनी पडती हैं। मुफ़्त की तो बात हीं छोड दें । बहुत ज्यादा रियायत मिलती है तो वह है कुछ दिनों के लिये उधार , वह भी अगर आप पुराने शिष्यों में हैं तब । विभिन्न शहरों में भी रविशंकर के संगठन हैं। रविशंकर के जो ध्यान के शिविर हैं वहां आपकी हैसियत के हिसाब से ठहरने की व्यवस्था है , यानी सब कोई एक जैसे कमरे में नहीं रह सकता है । अगर आपकी हैसियत ज्यादा पैसा देने की है तो आपके लिये एयर कंडिशन कमरे मिलेंगें। अन्यथा डोरमेट्री में रहकर रविशंकर का योग सिखना पडेगा। रविशंकर जिने की कला भी सिर्फ़ करोडपतियों को सिखाते हैं। खैर आज रविशंकर ने रामदेव को जूस पिलाकर अनशन तुडवा दिया । बिहार मीडिया ने तो रामदेव को गाइड का देवानंद बनने की सलाह दी थी, लेकिन हमें मालूम था यह आसान नही है। रामदेव क्या टीवी पर दिखने वाले सभी बाबा फ़्राड हैं। दोष बाबाओं का भी नही है । आप बिना किसी मेहनत के अपना काला धन बचाना चाहते हैंतो फ़िर फ़्राड हीं मिलेंगें न। अनशन तुडवाने में एक और बाबा आया था आशाराम बापू ।

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