कामलोलुप महान पेंटर एम एफ़ हुसैन नही रहें


भारत माता 
कामलोलुप महान पेंटर एम एफ़ हुसैन नही रहें
संप्रदायिक थें हुसैन
एम एफ़ हुसैन की ९५ साल की उम्र में मौत हो गई। भारत में पैदा हुये , सिनेमा के पोस्टर बनाने वाले एम एफ़ ने पुरी दुनिया में अपनी पेंटिंग की बदौलत कम और उससे जुडे विवाद के कारण ज्यादा नाम कमाया था। भारत की सरकार ने भी ढेर सारे इनाम देकर उनको महान बनाने में अहम भुमिका निभाई थी । महाराष्ट्र के पंढारपुर जिले में १७ सितंबर १९१५ को जन्में मकबुल फ़िदा हुसैन की पेंटिंग का पसंदीदा विषय सेक्स रहा है । एम एफ़ हुसैन को हिंदु धर्म की देवियों में सबसे ज्यादा सेक्स दिखा और यही कारण रहा की उन्होने तकरीबन सभी देवी- देवताओं को अपनी पेंटिंग में नग्न दिखाया । एम एफ़ हुसैन मानसिक स्तर पर संप्रदायिक थें। उन्होने मुस्लिम विद्वानों और अपने परिवार की भी पेंटिंग बनाई लेकिन उन्हें पुरी तरह वस्त्रों से ढंका दिखाया । ऐसा भी नही कहा जा सकता की हुसैन प्रगतिशील विचारधारा के थें , अगर ऐसा होता तो वे अपनी पेंटिंग में बुर्का का महिमामंडन करते नही दिखतें। भारत में सेक्युलर होने का अर्थ बाकी दुनिया से अलग है। यहां साम्यवाद को माननेवाले हीं सेक्युलर हैं। न सिर्फ़ हिंदु देवी-देवताओं बल्कि हिंदु अभिनेत्रियों में भी हुसैन को सेक्स दिखा और कुछ फ़िल्में भी उन्होनें बनाई। उनका अपनी सेक्स लाईफ़ भी विवादास्पद रही है और उन्हें होमोसेक्सुअल भी कहा जाता रहा है । शायद जिंदगी में सेक्स की दमित चाह ने हुसैन को सेक्स के प्रति विकर्अत मानसिकता वाला पेंटर बना दिया । हुसैन को आप ( pervert ) परवर्ट कह सकते हैं। हुसैन की संप्रदायिकता मानसिकता उनकी पेंटिंग से परिलक्षित होती है। यहां हम हुसैन की कुछ पेंटिंग दे हैं ।हुसैन नें दुर्गा, लक्षमी, सरस्वती, पार्वती, सीता, गांधारी, भारतमाता, हनुमान द्रौपदी की नग्न पेंटिंग बनाई वहीं अपनी माता , पुत्री, मुस्लिम विद्वान, नमाज पढती मुस्लिम महिलाओं की पेंटिंग पुरे वस्त्रों में बनाई । हुसैन अच्छे पेंटर थें या प्रसिद्ध पेंटर थें यह भी विवाद का मसला रहा है ।









पार्वती 


द्रौपदी 
हनुमान एवं सीता
गंधारी 
मुस्लिम महिला 

हुसैन की मां
































Comments

  1. क्या बताया जाये, हमारे देश की मीडिया इस का गुणगान कर रही है.

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