पत्नी सहित १५ माह के बच्चे की हत्या कोई गिरफ़्तारी नही
पत्नी सहित १५ माह के बच्चे की हत्या कोई गिरफ़्तारी नही
पुलिस दबा रही है मामले को
बिहार में सबकुछ शांत दिखता है लेकिन ऐसा है नही । पुलिस को मौखिक आदेश है मुकदमो को दर्ज न करने और अगर दर्ज करना भी पडे तो चार्जशीट दाखिल न करने का, कारण है मुकदमों की संख्या कम दिखाकर सुशासन के झुठे दावे को बचाये रखना । बिहार मीडिया के पास वैसे हत्याकांडो की जानकारी है जिसमें डीएसपी स्तर के अधिकारी ने हत्या करने में अपराधियों की मदद की । शिकायत मुख्यमंत्री तथा डीजीपी तक हुई लेकिन जांच या सजा कि जगह पर प्रोन्नति मिली । इस बार एक ऐसा हीं मामला सामने आया है । यह मामला गया के खिज़रसराय थाने का है । उक्त थाने के रौनिया गांव के अश्वनी कुमार से मटुक गांव की विभा कुमारी की शादी दिनांक ५ मई २००५ को हुई थी । उसके साथ तिलक दहेज की मांग को लेकर हमेशा मार-पीट होती रहती थी । धिरे-धिरे इतनी कटुता बढ गई की दिनांक २८ जून २०१० को विभा तथा उसके डेढ साल के बच्चे की हत्या करके ससुराल वालो ने लाश गायब कर दिया । विभा के घर वालों को कोई खबर भी नही की गई । विभा के मायके वालों को रौनिया गांव के हीं कुछ लोगो ने फ़ोन करके बताया । विभा के परिवार वाले २९ जून को हीं पहुंच गये परन्तु विभा के ससुराल में ताला लगा हुआ था । परिवारवालों ने पता लगाया तो मालूम हुआ की विभा की हत्या कर दी गई है तथा साक्ष्य मिटाने के लिये १५ माह के उसके बच्चे की भी हत्या कर दी गई है । परिवार वाले खिज़रसराय थाना गये लेकिन थाने ने मुकदमा दर्ज करने से इंकार कर दिया तथा विभा के परिवारवालों को सबुत लाने के लिये कहा । बाद में दु्सरे दिन उच्चाधिकारियों से मिलने के बाद भादवि की धारा ३०४ (बी) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ जिसका न० १३६/१० है ।मुकदमा दर्ज हुये आज सालभर होने वाला है परन्तु पुलिस ने कोई कारर्वाई नही की है । उच्चाधिकारियों से शिकायत करने का भी कोई असर नही हुआ है । पोलिटिकल प्रतिद्वंदियों के मुकदमों की त्वरित सुनवाई करवाकर येन-केन प्रकरेण सजा करवाने वाले नीतीश कुमार के लिये आमजन के मुकदमों का कोई महत्व नही है । जहां डीएसपी रैंक का अधिकारी तक पैसे के लिये हत्या करने में हत्यारों की मदद करता हो वहां न्याय की आशा भी नही की जा सकती है ।
पुलिस दबा रही है मामले को
बिहार में सबकुछ शांत दिखता है लेकिन ऐसा है नही । पुलिस को मौखिक आदेश है मुकदमो को दर्ज न करने और अगर दर्ज करना भी पडे तो चार्जशीट दाखिल न करने का, कारण है मुकदमों की संख्या कम दिखाकर सुशासन के झुठे दावे को बचाये रखना । बिहार मीडिया के पास वैसे हत्याकांडो की जानकारी है जिसमें डीएसपी स्तर के अधिकारी ने हत्या करने में अपराधियों की मदद की । शिकायत मुख्यमंत्री तथा डीजीपी तक हुई लेकिन जांच या सजा कि जगह पर प्रोन्नति मिली । इस बार एक ऐसा हीं मामला सामने आया है । यह मामला गया के खिज़रसराय थाने का है । उक्त थाने के रौनिया गांव के अश्वनी कुमार से मटुक गांव की विभा कुमारी की शादी दिनांक ५ मई २००५ को हुई थी । उसके साथ तिलक दहेज की मांग को लेकर हमेशा मार-पीट होती रहती थी । धिरे-धिरे इतनी कटुता बढ गई की दिनांक २८ जून २०१० को विभा तथा उसके डेढ साल के बच्चे की हत्या करके ससुराल वालो ने लाश गायब कर दिया । विभा के घर वालों को कोई खबर भी नही की गई । विभा के मायके वालों को रौनिया गांव के हीं कुछ लोगो ने फ़ोन करके बताया । विभा के परिवार वाले २९ जून को हीं पहुंच गये परन्तु विभा के ससुराल में ताला लगा हुआ था । परिवारवालों ने पता लगाया तो मालूम हुआ की विभा की हत्या कर दी गई है तथा साक्ष्य मिटाने के लिये १५ माह के उसके बच्चे की भी हत्या कर दी गई है । परिवार वाले खिज़रसराय थाना गये लेकिन थाने ने मुकदमा दर्ज करने से इंकार कर दिया तथा विभा के परिवारवालों को सबुत लाने के लिये कहा । बाद में दु्सरे दिन उच्चाधिकारियों से मिलने के बाद भादवि की धारा ३०४ (बी) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ जिसका न० १३६/१० है ।मुकदमा दर्ज हुये आज सालभर होने वाला है परन्तु पुलिस ने कोई कारर्वाई नही की है । उच्चाधिकारियों से शिकायत करने का भी कोई असर नही हुआ है । पोलिटिकल प्रतिद्वंदियों के मुकदमों की त्वरित सुनवाई करवाकर येन-केन प्रकरेण सजा करवाने वाले नीतीश कुमार के लिये आमजन के मुकदमों का कोई महत्व नही है । जहां डीएसपी रैंक का अधिकारी तक पैसे के लिये हत्या करने में हत्यारों की मदद करता हो वहां न्याय की आशा भी नही की जा सकती है ।
राहुल कुमार की रिपोर्ट
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