गया नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति अवैध

गया नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति अवैध
बिहार के अधिकारी अक्षम और नकारा हैं
उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले ने पटना उच्च न्यायालय के फ़ैसले को गलत ठहराया
बिहार की नगरपालिकाओं के सुचारु रुप से चलाने के लिये बिहार नगरपालिका अधिनियम २००७ को लागू किया गया , लेकिन सरकार के निरंकुश अधिकारियों ने हमेशा अपने फ़ायदे के लिये तोड-मरोड कर कानून की गलत व्याख्या की , परिणाम अधिकांश मामलों में न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड रहा है। नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नये मेयर के चुने जाने की स्थिति में सात सदस्यों का मनोनयन शपथ ग्रहण करने के सात दिन के अंदर कर देने का परिणाम है। लेकिन नगर विकास विभाग के अधिकारियों ने एक अधिसुचना Govt. Memo No.6020 dated 12.12.2009 जारी करके यह निर्देश दिया की मेयर के बदलने की स्थिति में भी सशक्त स्थायी समिति नही बदलेगी । वस्तुत: यह नगरपालिका अधिनियम के प्रावधान के विपरित था। सरकार के अधकचरी जानकारी रखनेवाले अधिकारियों के इस आदेश का परिणाम यह हुआ की गया नगर निगम के नये मेयर के निर्वाचन के बाद मेयर द्वारा मनोनीत सदस्यों को जिलाधिकारी ने शपथ दिलाने से इंकार कर दिया । मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा और CWJC No. 1067 of 2010 में उच्च न्यायालय ने मेयर द्वारा मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाने का आदेश पारित किया । पुराने सदस्यों को यह नागवार लगा और उन्होनें न्यायालय के आदेश के खिलाफ़ फ़ुल बेंच में याचिका LPA No. 618 of 2010 दाखिल की उच्च न्यायालय की फ़ुल बेंच ने सिंगल बेंच द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया । पटना नगर निगम की भी यही स्थिति थी । वहां भी नये मेयर का चुनाव हुआ था , मेयर ने सशक्त स्थायी समिति के सात सदस्यों का मनोनयन किया था परन्तु सरकार ने शपथ दिलाने से ईंकार कर दिया । मामला फ़िर पटना उच्च न्यायालय पहुंचा लेकिन वहां उच्च न्यायालय के फ़ुल बेंच के आदेश एल पी ए न० ६१८/ २०१० का हवाला देते हुये याचिका को खारिज कर दिया । पटना नगर निगम के मेयर ने उच्चतम न्यायालय में एस एल पी २१९२८/२०१० दायर की । उच्चतम न्यायालय ने उसे सिविल अपील २८४३ / २०११ में परिवर्तित करते हुये फ़ैसला दिया और पटना उच्च न्यायालय के एल पी ए ६१८ / २०१० जितेन्द्र कुमार बनाम बिहार सरकार को खारिज कर दिया । चुकी उच्च न्यायालय के इसी आदेश के तहत पुरानी सशक्त स्थायी समिति कार्यरत थी अब जब उस आदेश को हीं उच्चतम न्यायालय ने सिविल अपील २८४३ / २०११ के द्वारा खारिज कर दिया तो ऐसी स्थिति में गया नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति गैर कानूनी है । इस पुरे प्रकरण का सबसे हास्यापद पहलु यह है की गया नगर निगम में अभी तक पुरानी सशक्त सथायी समिति कार्य कर रही है । उच्चतम न्यायालय का आदेश आने के बाद पुरानी समिति के द्वारा लिये गये सभी निर्णय भी गैर कानूनी हैं । सरकार ने पटना नगर निगम के नये सदस्यों को तो शपथ दिला दिया लेकिन जिस नगर निगम के मामले में आये फ़ैसले के खिलाफ़ पटना नगर निगम ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी उस गया नगर निगम में अभी भी पुरानी सशक्त स्थायी समिति कार्यरत है । देखना यह है की बिहार सरकार के अक्षम और नकारा अधिकारी कब अपनी इस गलती को सुधारते हैं। यहां उच्चतम न्यायाल्य के फ़ैसले के उस अंश को दिया गया है जिसके अनुसार पटना उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है ।
38। As noted above, the interpretation sought to be placed on section 27 by the respondents requires addition of words in section 21 (3) of the Act। Even after adding the necessary words, the result will be incongruous to a democratic functioning in as much as the nomination on the Empowered Standing Committee will be a onetime act and the newly elected Mayor will be at the mercy of the other members of the Empowered Standing Committee। Such a reading will be also be contrary to section 21 of the Act and the newly elected Mayor will be treated dissimilarly as against the earlier elected Mayor for no justifiable reason। Thereby section 27 will be ultra vires to Article 14 of the Constitution। The legislature cannot be attributed such an intent. On the other hand, reading section 27 by making a cross-reference and making the same subject to sections 25 (4), 23 (3), 21 (3) and 21 (4) will lead to a harmonious functioning of the Municipal Corporation and will also save the section from being ultra vires Article 14. The judgment of the Division Bench of the Patna High Court in Jagdish Singh Vs. State of Bihar (supra) and that of the full bench of that Court in Jitendra Kumar Vs. State of Bihar (supra) do not lay down the correct legal position and are overruled. ( इसी मुकदमें के आदेश के आलोक में गया नगर निगम की पुरानी सशक्त स्थायी समिति कार्यरत थी )

39. In the circumstances, we allow this appeal. Impugned judgment and order passed by the Division Bench of the Patna High Court in Writ Petition bearing No. CWJC 9981/2010, dated 8th July, 2010, is set aside. The said writ petition filed by the appellant herein stands allowed in part. Section 27 of the Bihar Municipal Act 2007, shall be read down harmoniously with and subject to sections 25 (4), 23 (3), 21 (3) and 21 (4) of the said Act. The respondent no.3, the District Magistrate, Patna, Bihar is consequently directed to administer the oath of secrecy under Section 24 of the Act to the seven Municipal Councillors nominated by the appellant to the Empowered Standing Committee. The appellant as well as the members of the Empowered Standing Committee shall be entitled to exercise all the powers as the Mayor and the members of the Empowered Standing Committee as provided in the Bihar Municipal Act, 2007, in accordance with law.

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