राज्यपाल देवनंद कुंवर के खिलाफ़ क्या होगी जांच ?



राज्यपाल देवनंद कुंवर के खिलाफ़ क्या होगी जांच ?राज्यपाल देवनंद कुंवर ने मगध विश्वविद्यालय में शिक्षा को बाधित किया



कुलपति पद के लिये डाक बोलने का दौर शुरुभ्रष्टाचार के आरोपों को झेल रही कांग्रेस ने अभी हाल हीं में हुये विधानसभा चुनाओं में असम, बंगाल तथा केरल में प्राप्त विजय को अपने भ्रष्ट शासन पर जनता की मुहर समझ लिया है । आजादी के बाद से इस मुगालते में रहने वाली कांग्रेस ने की इस देश में प्रजातंत्र उसी की बदौलत है , हमेशा प्रजातांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने और अपने स्वार्थ के लिये उनका उपयोग किया है । उन संस्थाओं में से एक है , राज्यपाल । अभी भारद्वाज की कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा को खारिज करने के बाद नियमत: भारद्वाज को वापस बुलाना चाहिये था । एक राज्यपाल जब राश्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करे और उसकी अनुशंसा तथ्यहीन पाई जाय तथा खारिज कर दी जाय तो उसे अपने पद पर बने रहने का अधिकार नही है । कांग्रेस भ्रष्ट राज्यपालों को प्रश्रय देने में भी आगे है । बिहार में एक राज्यपाल आया था बुटा सिंह , उसके काल में बंटी-बबली नाम के बुटा के बेटों ने राज्यपाल को दलालों का अड्डा बना दिया था । आज तक कांग्रेस ने स्वीकार भी नही किया की वह बुटा सिंह भ्रष्ट था और न हीं नीतीश ने बुटा सिंह के समय हुये भ्रष्टाचार की कोई जांच करवाने की जहमत नहीं उठाई वैसे भी नीतीश यथास्थितिवादी हैं। अभी एक और राज्यपाल आया है देवानंद कुंवर , इसने राज्य के विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार के केन्द्र में बदल दिया है । करोड लेकर कुलपति की नियुक्ति होती है , राज्य में योग्य शिक्षाविद रहते हुये , दुसरे राज्य से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे व्यक्ति को राज्यपाल बनाया जाता है , कारण मात्र लेन-देन है । अभी उच्च न्यायालय ने देवानंद कुंवर के द्वारा नियुक्त दो राजयपालों की नियुक्ति को अवैध घोषिट करते हुये रद्द कर दिया , । उनमें से एक कुलपति हैं मगध विश्वविद्यालय के अरविंद कुमार । इन्होने मगध विश्वविद्यालय को लूट के अड्डे में तब्दील कर दिया । पहले जहां विश्वविद्यालय के प्रेस में उतर पुस्तिका छपती थी अरविंद कुमार ने बाहर से खरीदने का आदेश पारित किया । प्रेस में छपनेवाली उतर पुस्तिका की लागत जहां छह रुपये आती थी , वहीं बाहर्से यह पाच गुणे दर पर खरीदी जा रही है । न्यायालय द्वारा अरविंद कुमार को हटाये हुये आज बीस दिन से ज्यादा हो गया है परन्तु नये कुलपति की नियुक्ति नही हुई है कारण है लेन-देन का पुरा न होना । अभी चार व्यक्ति इस दौड में शामिल हैं । ज्यूलोजी के हेड सीडी सिंह , अच्छे शिक्षक है लेकिन ट्यूशन पढाते हैं यह नैतिक रुप से गलत है , दुस्रे हैं बी बी शर्मा डीएसड्ब्लू , ये रीडर हैं हालांकि डीएसड्ब्लू के पद के लिये योग्यता प्रोफ़ेसर होना है । एक और दावेदार हैं हरिद्वार सिंह अभी फ़िलहाल ए एन कालेज , पटना में प्रिंसिपल हैं। ्वर्तमान उप कुलपति भी इस दौड में शामिल हैं। कुलपति की नियुक्ति का मामला पैसे के कारण अट्का हुआ है । अर्विंद कुमार का हश्र देखकर कोई भी एक करोड द्ने को तैयार नही है । एक उम्मीदवार ने तो बिहार मीडिया को स्पष्ट बताया की एक करोड हैं नही तो दे कहां से। दस-बीस लाख की बात होती तो व्यवस्था करते । अब यह देखना है की राज्य सरकार क्या करती है । वैसे मंत्री तथा नेताओं से पैरवी करवाने का सिलसिला शुरु हो चुका है । इन सभी उम्मीदवारों में आर्थिक रुअप से हरिद्वार सिंह सबसे सक्षम हैं।

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