मगध विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद कुमार की नियुक्ति को उच्च न्यायालय ने गलत ठहराया
मगध विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद कुमार की नियुक्ति को उच्च न्यायालय ने गलत ठहराया
बिहार के गया जिले में स्थित मगध विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल उनकी नियुक्ति से हीं विवादास्पद रहा है। उनकी नियुक्ति पर सरकार के मानव संसाधन विभाग के एक पदाधिकारी के के पाठक ने सवालिया निशान लगाये थें । बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के कारण राज्यपाल देवनंद कुंवर पर भी उंगलियां उठी थी। कारण था भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे लोगों की नियुक्ति करना । मगध विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति भी पैसे लेकर की गई थी । बिहार से प्रकाशित सभी अखबार यह जानते थें लेकिन विग्यापन का लालच ऐसा हावी था कि कभी भी किसी अखबार ने हिम्मत नही की खिलाफ़ में लिखने की । वर्तमान कुलपति के आने के बाद मगध विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया था। कालेजों को मान्यता देने, परीक्षा केन्द्र स्थापित करने, बाह्य शिक्षक कि नियुक्ति जैसे मामलों में खुलेआम पैसे की मांग की जाती थी । छात्रों और अभिभावकों की शिकायत के बावजूद किसी भी पत्रकार ने कुलपति के भ्रष्ट आचरण के खिलाफ़ आवाज उठाना गवारा नही किया । मैने बिहार रिपोर्टर में इसके खिलाफ़ लिखा । कुलपति को फ़ोन करके उनसे , उनके उपर लग रहे आरोपो के संबंध में पुछा तो वे आने का निमंत्रण देने लगें। एक बार समाचार छपने के बाद पैरवीकारों का फ़ोन और आफ़र आने लगा । खैर लडाई लंबी है यह मुझे पता था। विरोध जारी रहा । कुलपति की नियुक्ति के रद्द किये जाने के बाद भी बहुत सारे प्रश्न अनुतरित हैं। कुलपति की नियुक्ति में अहम भुमिका निभाई थी आई ए एस अफ़जल अमानुल्लाह ने जो उस समय कुलपति के साथ जुडे थें। उनकी पत्नी परवीन अमानुल्लाह नीतीश सरकार के खिलाफ़ एक स्वंयसेवी संस्था के माध्यम से मोर्चा खोले बैठी थी और पटना मेडीकल कालेज अस्पताल में फ़ैली कुव्यवस्था पर रोज ढेरो खबरे आ रही थीं। अचानक सबकुछ शांत हो गया , अफ़जल अमानुल्लाह ने राज्यपाल देवबंद कुंवर और नीतीश को एक टेबल पर बैठाया । दोनो में समझौता हो गया । रोडे अटका रहे के के पाठक को शंटिंग पद पर भेज दिया गया । कुलपति को आजादी हासिल हो गई । अमानुल्लाह की पत्नी परवीन अमानुल्लाह जद्यू की टिकट पर विधायक बन गई और फ़िर मंत्री । पटना मेडीकल कालेज की हालत में सुधार तो नही हुआ लेकिन अमानुल्लाह पति-पत्नी को अनुमान से ज्यादा फ़ायदा हुआ । आज अमानुल्लाह ईलाज हेतु केन्द्र की प्रतिनियुक्ति पर हैं। न्यायालय द्वारा रद्द की गई नियुक्ति के बाद नीतीश कुमार और राज्यपाल देवनंद कुंवर भी कठघरे में हैं । मंत्री परवीन अमानुल्लाह और अफ़जल अमानुल्लाह की भी अहम भुमिका रही है एक गलत आदमी को कुलपति नियुक्त करवाने में । हालांकि कुछ भी नही होना है । पूर्व में बुटा सिंह राज्यपाल थें उनके दो पुत्र बंटी-बबली के कारण राजभवन भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया था । आरोप – प्रत्यारोप लगे लेकिन कुछ भी नही हुआ ।
Comments
Post a Comment
टिपण्णी के लिये धन्यवाद