गया के प्रशिक्षु आइपीएस ( एएसपी) बाबू राम की गुंडागर्दी

गया के प्रशिक्षु आइपीएस ( एएसपी) बाबू राम की गुंडागर्दीनिर्दोष लोगो को पिटा और झुठा मुकदमा भी कियानागरिकों में आक्रोशगया के आमस थाना स्थित हमजापुर नामक एक स्थान है जहां गत बुधवार १८ मई को पंचायत चुनाव था । बिहार मीडिया के संवाददाता राहुल कुमार भी वहां मौजूद थें। वहां से फोन द्वारा सुचना मिली कि पुलिस आमलोगों को दौडा-दौडा कर मार रही है । ए एस पी बाबूराम द्वारा लोगों की पिटाई करवाई जा रही है । गुस्साये लोगों के द्वारा ए एस पी बाबूराम का घेराव भी किया गया । बाद में आमस के पूर्व बीडीओ शफ़ीक अहमद ने लोगों को शांत करवाया । आज उक्त ए एस पी के इशारे पर हमजापुर के ५० से ज्यादा निर्दोष लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है तथा पांच लोगों को , सहताल अशरफ़ी, वसीम, मंजर, एहसान खान, तथा जमशेद के १३ वर्षीय लडके को नामजद अभियुक्त बनाया गया है । । हमजापुर का वह स्थान जहां पर लोगों को दौडा-दौडा कर पुलिस ने पिटा उसकी दुरी मतदान केन्द्र से ८०० मीटर है । पुलिस ने बैदा गांव की महिलाओं को भी पिटा । बिहार मीडिया के राहुल से बात करते हुये हमजापुर के सामाजिक कार्यकर्ता यासीन खान ने बताया की हमलोग अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं ्यही कारण है कि पुलिस से लेकर केन्द्रीय बल तक हमलोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं। नियमत: पुलिस निहत्थे लोगों पर बल प्रयोग नही कर सकती है । बिहार की पुलिस जो दिन में भी नक्सल ग्रस्त क्षेत्रों में अपने जान के भय से जाने की हिम्मत नही करती , निर्दोषों पर जुल्म ढा कर अपनी बहादुरी का इजहार करती है। पुलिस की इस हरकत को चोरी फ़िर सीनाजोरी कहा जा सकता है । वैसे भी पुरे मुल्क में सिर्फ़ बिहार हीं ऐसा राज्य है जहां किसी भी तरह के मतदान के दिन प्रशासन द्वारा दहशत का माहौल पैदा कर दिया जाता है जिसके कारण मतदाता घर में हीं रहना मुनासिब समझते हैं। पुलिस की इस तरह की हरकत को चुनाव को प्रभावित करने वाले कर्त्य के रुप में देखा जा सकता है तथा चुनाव आयोग को भी आतंक पैदा कर मतदाताओं को भयभीत करने वाले अधिकारियों पर कडी कार्रवाई करने की जरुरत है । हमजापुर में पुलिस द्वारा किये गये अत्याचार के कारण लोग आक्रोशित हैं और आंदोलन छेडने की चेतावनी भी लोगो ने दी है । आमस थाना क्षेत्र के आसपास का क्षेत्र नक्सल प्रभावित है । गरीब , सताये हुये लोगों का नक्सलवाद से जुडने का एक कारण पुलिस का रवैया भी है । नियमत: हमजापुर की घटना के लिये ए एस पी बाबूराम पर मुकदमा होना चाहिये था लेकिन नीतीश की तानाशाह सरकार पुलिसिया गुंडो के बल पर हीं टिक गई है । पहले निर्दोष लोगों के साथ मारपीट फ़िर उनके उपर झुठा केस , शायद पुलिस सोचती है कि ये निरीह लोग पुलिस का क्या बिगाड लेंगे । लेकिन यही निरीह और गरीब लोग जब पुलिस के जुल्म से तंग आकर हथियार उठा लेते हैं और नक्सलवाद की राह पर चल पड्ते है तब ए एस पी बाबूराम जैसे अधिकारी की हिम्मत नही होती है उनसे मुकाबला करने की । इस तरह की परिस्थिति न पैदा हो तथा शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांगो पर विचार किया जाय तो बहुत हद तक नक्सलवाद को भी कम किया जा सकता है । अब यह प्रशासन के उच्चाधिकारियों की जवाबदेही है कि ए एस पी बाबूराम के उपर मुकदमा दर्ज करें तथा हमजापुर की जनता को मुआवजा दे।




हमजापुर से राहुल की रिपोर्ट



यासीन खान , सामाजिक कार्यकर्ता, हमजापुर




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