भ्रष्टाचार का महासमुंद्र है गया नगर निगम








भ्रष्टाचार का महासमुंद्र है गया नगर निगम
भ्रष्टाचार से लडने का नीतीश का दावा खोखला है ।


गया: गया नगर निगम भ्रष्टाचार के कारण अपनी विश्वसनियता खो चुका है । सरकारी कर्मचारी से लेकर जन प्रतिनिधि यानी पार्षद तक सभी खुलेआम इस लूट में शामिल हैं। आज दिनांक ५ मई को गया नगर निगम ने सफ़ाई कार्य हेतु खरीदे गये ४० टेंपु टिपर के लिये एक करोड रुपये का भुगतान आज चेक के माध्यम से किया । नगर निगम के सशक्त स्थायी समिति के सदस्य चितरंजन वर्मा ने बताया की उक्त चेक के निर्गत करने के एवज में ४ लाख रुपये का लेन –देन हुआ है । उक्त राशि मे से ८० -८० हजार रुपये , मेयर शगुफ़्ता परवीन , उप – मेयर मोहन श्रीवास्तव , नगर आयुक्त धर्मेश्वर ठाकुर तथा ८० हजार रुपये कार्यालय के कर्मचारियों के बीच बाटे गयें तथा बाकी बचे ८० हजार रुपया को सशक्त स्थायी समिति के सात सदस्यों तथा एक दलाल के बीच बाटने का जिम्मा उप-मेयर और मेयर ने अपने उपर लिया । सात सदस्यों में से छह सदस्य धर्मेन्द्र कुमार , जिे्तेन्द्र कुमार , बर्ज भुषण प्रसाद , विनोद कुमार मंडल , इन्दु देवी, सुमित्रा देवी को १०, ५०० प्रति सदस्य के हिसाब से भुगतान किया गया। एक सदस्य चितरंजन वर्मा को धर्मेन्द्र कुमार ने फ़ोन करके कहा कि आपका पैसा मेयर के पति निजाम के पास है वह आपको दे देगा , चितरंजन वर्मा ने बिहार मीडिया को बताया की मैं किसी भी तरह के लेनेदेन के खिलाफ़ हूं तथा मुख्यमंत्री को पत्र और ई-मेल के माध्यम से इसकी सुचना देने तथा विजिलेंस के द्वारा नगर निगम में फ़ैले भ्रष्टाचार की जांच की मांग करने जा रहा हूं। बिहार मीडिया ने फ़ोन द्वारा नगर आयुक्त से एक करोड के चेक निर्गत करने की जानकारी मांगी तो उन्होने भुगतान को स्विकार किया । नगर निगम में लूट का यह आलम है कि सफ़ाई हेतु कार्यरत रैम्की नामक संस्था को सफ़ाई कार्य की राशी के भुगतान के लिये होली के समय दो लाख रुपये देने पडे थे । नगर निगम निर्धारित दर से अधिक राशी पर निविदा का आवंटन करता है तथा निगम के सभी भ्रष्ट अधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधी यह प्रयास करते हैं कि निविदा मैनेज हो जाये मतलब कोई प्रतिद्वंदिता न रहे । नगर निगम को लूट के केन्द्र के रुप में परिवर्तित करने में सबसे अहम रोल उप-मेयर मोहन श्रीवास्तव का रहा है। इस एक करोड के भुगतान में चार लाख का कमीशन दिलवाने में असद परवेज उर्फ़ कमांडर ने अहम भुमिका निभाई तथा कमीशन भी खाया । इस प्रकार गया नगर निगम पूर्णत: लूट का केन्द्र बन चुका है , यह स्थिति तब है जब नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार गया नगर निगम के निवासी हैं यानी मंत्री का घर तथा चुनाव क्षेत्र गया शहर है । इन परिस्थितियों में लोगों का मानना है कि बिना मंत्री की सहमति के यह नही हो सकता । देखना है की मुख्यमंत्री विजिलेंस की जांच बैठाते हैं या उनकी भ्रष्टाचार से लडने की घोषणा सिर्फ़ हवा – हवाई बनकर रह जाती है ।

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