्वरिष्ठ पत्रकारों ने अन्ना की जिद्द को गलत बताया

हिंदु समाचार पत्र के संपादक वरदराजन ने अन्ना के अनशन को गलत बताया


वरदराजन ने अन्ना के द्वारा ३१ अगस्त तक अन्ना लोकपाल बिल को पास करने के लिये बनाये जा रहे दबाव को गलत बताया है । उन्होनें मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खडा किये हैं तथा संतुलित कवरेज का आग्रह किया है । बिहार के सारे अखबार नीतीश कुमार के निदेश पर अन्ना हजारे के अनशन का एक तरफ़ा कवरेज दे रहे हैं। हिंदुस्तान समाचार , प्रभात खबर, दैनिक जागरण और सहारा जैसे अखबार एक मुहिम के तहत इस आंदोलन को कवरेज दे रहे हैं , विरोध का कोई समाचार नही छप रहा है । दिखाने के लिये कोने में एकाध समाचार छाप कर अपने निष्पक्ष होने का ड्रामा भर कर रहे हैं। जनता की सहभागिता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान अखबार ने सत्रह अगस्त को गया में १२०० अतिरिक्त अखबार भेजे थें जिसमे से ८६० अखबार वापस हो गया ।

वरदराजन ने प्रिंट मीडिया से ज्यादा टीवी चैनलों को पक्षपातपूर्ण कवरेज का दोषी ठहराया । वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर झा ने भी समाचार और विश्लेषण के बीच संतुलन कायम रखने पर जोर दिया और अन्ना के आंदोलन को बढा-चढाकर पेश करने के लिये मीडिया की आलोचना की । न्यूयार्क टाईम्स से जूडे कमेंटेटर संजय हजारिका ने भी टेलीविजन की भूमिका को आपतिजनक माना तथा मीडिया, राजनेता और कारपोरेट घराने के बीच पनपे अनैतिक गठजोड कि जांच कि मांग भी की। हजारिका ने तर्क दिया कि अतीत में इस तरह के आंदोलनो का कोई खास असर नही पडा है ।


वरिष्ठ पत्रकार भास्कर राय ने भी कहा है कि मीडिया को संतुलित दिमाग से काम लेना चाहिये।
बिहार मीडिया ने अपने स्तर पर पताया लगाया है कि तिहाड जेल के बाहर मात्र ३ से ५ हजार लोगों की भीड थी जिसे मीडिया ने पचास – साठ हजार में तब्दील कर दिया । रामलीला मैदान पर रात में पियक्कडो की अच्छी जमात इकठ्ठी हो रही है ।


रवीश कुमार ने भी रामलीला मैदान का कवरेज करने के दौरान यह टिपण्णी कि है मैदान में शराब की गंध के कारण घुमना मुश्किल है ।
संभावना यह भी व्यक्त कि जा रही है कि टाटा और अनिल अंबानी को टुज़ी घोटाले से बचाने के लिये यह सारा कुछ किया जा रहा है ।
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