अमिताभ से मिलने की चाह में दोस्त को छला पत्रकार श्रीकांत ने



अपने पत्रकार मित्र को छलने वाला कोई साधारण पत्रकार नही है गांधी पर लेक्चर देने वाला, खुद की किताब कुत्ते का रचयिता हिंदुस्तान का पत्रकार हैं श्रीकांत, लेकिन अमिताभ के पटना आगमन पर , उनसे मिलने की जो छिछोरी हरकत की श्रीकांत ने कि अब उनका नाम लेते हीं पटना के युवा पत्रकार उनकी पुस्तक कुत्ते का नाम जोर से कुत्त्तेतेयेये कहकर उनका मजाक उडा रहे हैं लेकिन उसके बाद भी;

शर्म इनको मगर आती नहीं

जरा इस तस्वीर को गौर से देखिए। यह बिहार के वही मुर्धन्य पत्रकार हैं जिसने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भी छल दिया। हिन्दुस्तान पटना के संपादक अकु श्रीवास्तव, सेल्स हेड नटराजन और प्रबुद्ध माने जाने वाले पत्रकार श्रीकांत ने पटना आए अमिताभ बच्चन को कैसे छला इसकी कहानी ‘जनसत्ता एक्सप्रेस डाट कॉम’ और ‘बिहार मीडिया डॉट कॉम’ पर आ चुकी है।




दूसरे की किताब और दूसरे का पत्र अमिताभ को देकर वाहवाही लुटने वाले श्रीका़ंत को इतनी भी शर्म नहीं आयी कि जब उनके द्वारा की गई जालसाजी और करतूतों को पूरा बिहार यहां तक कि अमिताभ बच्च्न भी जान गए तब उन्हें अमिताभ को अरविंद उज्जवल के पिता की किताब दिखाते अपनी तस्वीर नहीं बांटनी चाहिए थी। बधाई के पात्र तो सरल स्वभाव वाले अरविंद उज्जल हैं जिन्होंने घोखा खाने के बाद भी अपने स्वर्गवासी पिता की किताब की वह तस्वीर जिसको श्रीकांत ने छल से अरविंद उज्ज्वल से प्राप्त कर अमिताभ को दिखा कर वाहावाही लूटी की तस्वीर अपने फेसबूक पर डाल दी।


सबसे शर्मनाक तो यह है कि फेसबूक पर मुर्धन्य पत्रकार श्रीकांत और उनकी भतीजी की वह तस्वीर भी है जो श्रीकांत ने अमिताभ बच्च्न के साथ खिंचवायी थी। अब सवाल यह है कि मुर्धन्य पत्रकार नेअपनी भतीजी को अमिताभ से मिलवाया पर स्व. उमाशंकर वर्मा कि जिस किताब और जिस पत्र के कारण उन्हें अमिताभ बच्चन से मिलने का समय मिला उन्हीं उमाशंकर वर्मा के पुत्र और पटना हाइकोर्ट में सरकारी वकील अरविंद उज्जवल को उन्होंने अमिताभ से मिलाना मुनासिब नहीं समझा। यहां तक कि किताब औश्र पुस्तक देखने के बाद जब अमिताभ ने अरविंद उज्जवल के बारे में पूछा तो इस मुर्धन्य पत्रकार ने एक स्वस्थ व्यक्ति को गंभीर रुप से बिमार होने की बात कह दी।


अमिताभ के साथ पटना में हुए छल की पूर्व में प्रकाशित कहानी को किसी सज्जल ने अमिताभ के ब्लॉग और ट्यूटर में भी अ‍ैग कर दिया है। जरा सोंचे जब अमिताभ उस कहानी को पढ़ेगे तो बिहार, बिहार के पत्रकार और अपने को बिहार का सर्वाधिक लोकप्रिय अखबार कहा जाने वाला हिन्दुस्तान के प्रति उनकी क्या सोंच होगी। समाचार के बजाए आंकड़ो का खेल खेलने वाले श्रीकांत को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए पर उनको यह एहसास नहीं है। सूत्रों के अनुसार वो मुख्यमंत्री के यहां अपनी पहुंच का वास्ता देकर अरविंद उज्जवल पर यह दबाव बना रहे हैं कि सीएम से कहकर वह उन्हें जस्टिस बनवा देंगे वह यह लिखकर समाचार का खंडन कर दें कि श्रीकांत जी ने जो भी किया है वह उनकी मर्जी से किया है।






और तो और जनसत्ता एक्सप्रेस और बिहार मीडिया में खबर आने के बाद ‘हिन्दुस्तान’ में इस बात को लकर घमासान मचा है कि आखिर घर के अंदर की बात बाहर कैसे निकल गई। बताया जाता है कि क्षत्रपियों को कार्यालय के ही एक चित्रगुपी पर शक है। सोमवार को इस मामले को लकर कार्यालय में घमासान भी हुआ।


-पटना से भेजे गए एक पत्रकार की रिपोर्ट

टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

  1. MADAN JI MAIN AAPKO SALAM KARTA HUN JIS TARAH AAPNE SAHAS DIKHAYA HAI IS KAM KO KARNE KA WO BADHI KE PATR HAI.........MUBARAK BAD KE SATH MAAZ KHAN(JOURNALIST) DELHI
    mohdmaazkhan@gmail.com

    ReplyDelete

Post a Comment

टिपण्णी के लिये धन्यवाद

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १