पटना में छले गए सदी के महानायक
पटना में छले गए सदी के महानायक
हिंदुस्तान पटना के अक्कू श्रीवास्तव की कलाकारी
‘हिन्दुस्तान’ ने स्व.हरिवंश राय बच्चन के व्यक्तिगत संबंधों का किया व्यवसायीकरण: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पटना में छल का शिकार हुए। अमिताभ अपने पिता और उनके द्वारा लिखे पत्रों के नाम पर किस तरह छले गए जब यह माहनायक जानेगा तो उन्हे कितना दुख होगा यह हर कोइ्र भलि भांति समझ सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अमिताभ से छल करने वाला दूसरा कोई नहीं बल्कि उनके पिता के काफी करीबी रह चुके स्व. के के बिड़ला के अखबार समूह ‘हिन्दुस्तान’ के ही लोग हैं।
मामला कुछ यूं है। हरिवंश राय बच्चन के एक मित्र उमाशंकर वर्मा पटना के निवासी थे। बच्चन और वर्मा जी में अक्सर साहित्यिक मसलों पर पत्राचार होता था। जीवन के अंतिम पड़ाव में जब वर्मा जी की नजर कमजोर थी तभी उनके बेटे अरविंद उज्जवल के नाम से हरिवंश राय बच्चन का पत्र आया। 16 मई1985 को लेखे इस पत्र में बच्चन जी ने अरविंद उज्जवल को संबोधित करते हुए लिखा था कि ‘मधुशाला की स्वर्ण जयंति पर नीचे लिखी एक नई रुबाई अपने पिता श्री को सुना देना।’ हरिवंश राय बच्चन और उमाशंकर वर्मा के बीच 1948 से पत्राचार का सिलसिला चला जो 1992 में उमाशंकर वर्मा की मौत के बाद खत्म हुआ। इस बीच उमाशंकर वर्मा ने बच्चन जी द्वारा उनके नाम से लिखी 165 चिठ्ठियों का संकलन ‘बच्चन के पत्र उमाशंकर वर्मा के नाम’ एक किताब के रुप में प्रकाशित करायी। इस किताब में उस पत्र को नहीं जोड़ा गया जो हरिवंश राय बच्चन ने मधुशाला की स्वर्ण जयंति पर उमाशंकर वर्मा के पुत्र के नाम भेजा था। फिर भी वर्मा जी के पुत्र और पटना हाइकोर्ट में सरकारी अधिवक्ता अरविंद उज्जवल ने उस पत्र को सहेज कर रखा था।
अब आगे की कहानी जानिए। पिछले दिनों अमिताभ बच्चन अपनी फिल्म आरक्षण के प्रमोशन के सिलसिले में पटना आए। युवा तो उनके दर्शन के लिए बेताब थे ही पटना हिन्दुस्तान के कार्यकारी संपादक अकु श्रीवास्तव, सेल्स हेड नटराजन व स्पेशल प्रोजेक्ट के को-ऑर्डिनेटर व मुर्धन्य पत्रकारों में माने जाने वाले श्रीकांत ने भी अमिताभ के पटना दौरे को लेकर कुछ एक्सक्लूसिव करने की सोंची। प्रकाश झा से विनती की गई कि वह तीनों को अमिताभ से मिला दें । इस बीच इन तीनों ने अरविंद उज्जवल को गफलत में रख उनसे उनके पिता की लिखी एक किताब और हरिवंश राय बच्चन द्वारा अरविंद उज्जवल को लिखे पत्र की छाया प्रति मांग ली। अरविंद चुकी वकालत के साथ पटना हिन्दुस्तान में विधि संवाददाता हैं और सरल स्वभाव के हैं इसलिए वह इन तीनों महारथियों की मंशा नहीं समझ सके। खैर हिन्दुस्तान के इन तीनों महारथियों को अमिताभ बच्चन से मिलने के लिए 4 अगस्त को सुबह दस बजे का समय मिला। जब तीनों उनसे मिलने पहुंचे तो तीनों को गेट पर ही रोक दिया गया और कहा गया कि अमिताभ से उनकी मुलाकात 11:30 में होगी। खैर अमिताभ से मिलने की चाहत में हिन्दुस्तान जैसे बड़े अखबार के छोटे कद का संपादक और दोनो महारथी डेढ़ घंटे तक कड़ी धूप में दरवाजे पर टकटकी लगाए रहे। जब उनकी अमिताभ से मिलने की बारी आइ्र तो समय को लपकने के खेल में पूर्व से ही माहिर श्रीकांत ने अमिताभ बच्चन को उमाशंकर वर्मा की किताब और बच्चन जी के द्वारा अरविंद उज्जवल को लिखे पत्र को यह कहते हुए दिया गया कि आपके पुज्य पिताजी का बिहार से काफी पुराना लगाव वह संबंध रहा है और यह है उनके लिखे पत्र । अपने पिता को देवता सामान मानने वाले अमिताभ ने जब उस किताब और पत्र को देखा तो भावुक हो उठे। उन्होंने तीनों से उनसे यादगार स्वरुप वह किताब और अरविंद उज्जवल को लिखे पत्र को अपने पास रखने की इजाजत मांगी। बस इसी पल का तीनों को इंतजार था। किताब और पत्र देने के बदले इन तीनों ने हिन्दुस्तान अखबार के 4 अगस्त के अंक को अमिताभ की तरफ बढ़ाते हुए उसपर आटोग्राफ लिया ही उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई । किताब सहेजते समय जब अमिताभ बच्चन ने अपने पिता के स्वर्गवासी मित्र के पुत्र अरविंद उज्जवल से मिलने की इच्छा प्रकट की तो तीनों ने सफेद छूट बोल दिया कि ‘अरविंद फिलहाल डायविटीज से पीड़ित हैं और बिमार चल रहें हैँ। इसपर अमिताभ ने अरविंद के शीघ्र स्वस्थ्य होने की भी कामना की।’ अरविंद उज्जवल को दुसरे दिन अपने साथ हुए छल और धोखे का पता तब चला जब उन्होंने हिन्दुस्तान में इस बारे में छपी खबर पढ़ी। दूसरे दिन हिन्दुस्तान ने ‘हिन्दुस्तान’ के मुख्य पृष्ठ पर अमिताभ बच्चन की आटोग्राफ देते हुए तस्वीर प्रमुखता से प्रकाशित कर दो दिवंगत महान आत्माओं के व्यक्तिगत संबंधों का व्यवसायीकरण कर दिया। जब अमिताभ बच्चन को इस फरेब और स्व. पिता की भावनाओं के व्यवसायीकरण का पता चलेगा तो न जाने उनपर क्या गुजरेगी। बहरहाल इस मामले ने अरविंद उज्जवल और अन्य पत्रकार साथियों को भी काफी चोट पहुंचायी है। हालांकि बिहार मीडिया के साथ बातचीत करते हुये अरविंद उज्जवल ने यह प्रकट नही किया । बल्कि बार-बार यह कहते रहें की अमिताभ के साथ भेट का कोई प्रोग्राम नही था। श्रीकांत , अक्कू और नटराजन का यह नैतिक दायित्व था कि जब अमिताभ से भेट की अनुमति मिल गई थी तो अरविंद को भी साथ रखते । अगर अनुमति नही मिली थी तभी भी अरविंद को साथ में रखते हुये अमिताभ के दर्शन का जुगाड लगाते, वैसे भी अक्कू जी जुगाड के मामले में माहिर माने जाते हैं।
- पटना से एक पत्रकार साथी सह प्रत्यक्षदर्शी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट
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अरविंद उज्जवल का नंबर - 09431094604
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एक नम्बर के धोखेबाज हैं ये लोग।
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