फ़ुर्सत के क्षण में यशवंत



फ़ुर्सत के क्षण में यशवंत ।

यह गाना दो साल पहले का है लेकिन आज के यथार्थ को दर्शाता है । पत्रकार लिखते रहते हैं सता के कान पे जूं भी नही रेंगती । यूपी लोकसभा चुनाव में यशवंत ने समाजवादी पार्टी के लिये प्रचार किया था । यह वादा भी किया था कि अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है और पत्रकारों के उपर कोई जुल्म होता है तो वह उनको इंसाफ़ दिलायेगा । आज यशवंत खुद जुल्म का शिकार हो गया । माफ़िया टीवी मीडिया ने अपने चक्रव्यूह मे फ़ास लिया । लेकिन लडने का जज्बा रहे तो घबराने की बात नही । जेल मे बहादुर जाते हैं । जेल जाने के बाद सत्य के लिये लडने का इरादा और मजबूत हो जाता है ।


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