झुठ बोल रहे हैं कलाम : कलाम ने रोका था सोनिया को


झुठ बोल रहे हैं कलाम : कलाम ने रोका था सोनिया को





सुब्रमण्यम स्वामी की चुनौती:  17  मई की चिठ्ठी सार्वजनिक करें

अपनी आनेवाली किताब में भले ही पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम कह रहे हों कि उन्होंने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोका था लेकिन उस वक्त 2004 में जिन सुब्रमण्यम स्वामी को बुलाकर एपीजे अब्दुल कलाम ने सलाह मशविरा किया था, उन स्वामी ने दावा किया है कि कलाम इतिहास के साथ अन्याय कर रहे हैं. स्वामी ने कलाम को चुनौती दिया है कि वे वह चिट्ठी सार्वजनिक करें जो उन्होंने 17 मई को शाम 3.30 बजे सोनिया गांधी को लिखी थी.

स्वामी इस वक्त हांगकांग में हैं और वहीं पर एक वेबसाइट से बात करते हुए स्वामी ने कहा है कि कलाम को चाहिए कि वे वह पत्र भी प्रकाशित करें जो उन्होंने 17 मई की शाम 3.30 बजे सोनिया गांधी को लिखा था.

असल में 2004 के आमचुनाव के बाद जब कांग्रेस सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनकर उभरा तो स्वाभाविक रूप से उसे ही सरकार बनाने के लिए सबसे पहला मौका मिलना था. एनडीए के इंडिया शाइनिंग का फुग्गा फूट चुका था और कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनकर उभरा था. सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं और स्वाभाविक तौर पर उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश कर दिया था. लेकिन जैसे हीं चुनाव परिणाम घोषित हुए और सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा शुरू हुई इसका सबसे पहले गोविन्दाचार्य ने विरोध शुरू किया. उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेस की थी और कहा था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वे इसके खिलाफ पूरे देश में स्वाभिमान आंदोलन खड़ा करेंगे. उनकी यह प्रेस कांफ्रेस पूरे देश में लाइव हुई थी. उनके साथ इस प्रेस कांफ्रेस में गांधीवादी धर्मपाल भी मौजूद थे.

इस प्रेस कांफ्रेस के बाद पूरा माहौल बदल गया. राजनीतिक रूप से सक्रियता इतनी बढ़ गयी कि सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा बन गया था. आनन फानन में गोविन्दाचार्य ने आंदोलन की शुरूआत भी कर दी. उस वक्त उन्हें कई सारे दलों से समर्थन मिल रहा था कि वे देशहित का मुद्दा उठा रहे हैं. जैसे ही यह मुद्दा उठा तत्कालीन राष्ट्रपति ने सोनिया को सरकार बनाने का न्यौता देने से पहले कानूनविदों से सलाह मशविरा शुरू कर दिया. कलाम ने जिन लोगों से राय मशविरा किया था उसमें सुब्रमण्यम स्वामी भी थे. स्वामी का दावा है कि वे राष्ट्रपति से दोपहर 12.30 बजे मिले थे. स्वामी की कहना है कि उन्होंने कलाम से कहा था कि सोनिया गांधी को राष्ट्रपति बनाने में कानूनी बाधा है. स्वामी कहते हैं कि उन्हें याद है कि इस मुलाकात के बाद कलाम ने शाम को पांच बजे सोनिया गांधी से मिलने कार्यक्रम बदल दिया और जो चिट्ठी तैयार की गई थी, उसे रोक दिया.

इसके बाद 3.30 बजे सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा गया जिसमें स्वामी के अनुसार उन्हें यह सूचित किया गया कि उनके प्रधानमंत्री बनने में कानूनी अड़चने हैं. स्वामी कहते हैं कि यह पत्र आन रिकार्ड है इसलिए इसे झुठलाया नहीं जा सकता है
इस पुरे घटनाक्रम का सबसे मजेदार पहलू यह है कि कांग्रेस के हीं बहुत सारे दिग्गज नेता नही चाहते थें कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनें । उन नेताओं ने गोविंदाचार्य को उकसाया था आंदोलन करने के लिये । एक नेता ने तो दस हजार रुपये भी दिये थें । वेब मीडिया के एक चर्चित पत्रकार जो गोविंदाचार्य के साथ आंदोलन में थें उन्होने यह सारा किस्सा बिहार मीडिया को बताया है । हम अभी उनका नाम नही दे रहे हैं क्योंकि बिहार मीडिया ने उनसे रिक्वेस्ट किया है कि वे सारे सच का खुलासा करें । आशा है कल तक वह सबकुछ जो पर्दे के पिछे हुआ उसका खुलासा हो जायेगा ।


.बिहार मीडिया ने राष्ट्रपति को इमेल भेजकर उक्त विवादास्पद पत्र को सार्वजनिक करने की प्रार्थना की है ।















विस्फ़ोट मीडिया से साभार







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