कौन है बृंदा करात, राधिका राय और अरुंधती राय
कौन है बृंदा करात, राधिका राय और अरुंधती राय
सीपीएम का प्रणव मुखर्जी के
समर्थन का सच
मीडिया , सोशलाईट,
व्यवसायिक घरानो एवं राजनीतिक दलों के रिश्ते का मकडाजाल !
बांम्बे डांईंग और विमल सुटिंग्स की लडाई देश के स्थापित औधयोगिक घराना
और नव कुबेर बनने की चाह लिए धीरु भाई के बीच हुए शर्मनाक व्यवसायिक युद्ध का गंदा उदाहरण है
। नव कुबेर बनने की चाह लिए धीरु भाई ने वेश्याओं की तरह राजनेता और दलों का
इश्तेमाल किया । राजनीतिक दल तथा नेताओ पर हुए खर्च को धीरु भाई निवेश मानते थे जो
हजार गुणा फ़ायदा दे सकता था ।धीरु भाई अंबानी का निवेश सफ़ल साबित हुआ । प्रणव
मुखर्जी के माध्यम से धीरु भाई ने कांग्रेस मे अपनी पैठ बनाई । नुस्ली वाडिया की
बांबे डाईंग को समाप्त कर दिया और अपना साम्राज्य स्थापित किया । प्रणव
मुखर्जी ने वित मंत्री के रुप मे टैक्स के कानूनो मे फ़ेर बदल किया जिसका फ़ायदा
सिर्फ़ रिलायंस को मिला क्योंकि रिलायंस ने हीं पोलियेस्टर के दानो से धागे बनाने का
सयंत्र लगाया था । देश की सभी कंपनियों को कपडा निर्माण के लिए रिलायंस
से धागा खरीदना पडता था । रिलायंस का एकाधिकार पोलियेस्टर धागो के क्षेत्र में
स्थापित हो गया ।
राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव
मुखर्जी रिलायंस की पसंद है । नीतीश कुमार और सीपीएम जैसा राजनीतिक दल प्रणव मुखर्जी का समर्थन कर रहा है ।
सीपीएम मे सर्वोच्चय पद जेनेरल
सेक्रेटरी का होता है । प्रकाश कारत जेनरल सेक्रेटरी हैं । बृंदा करात
प्रकाश कारत की पत्नी हैं । बृंदा करात की बहन हैं राधिका राय जो एन डी टीवी के
संस्थापक प्रणव राय की पत्नी हैं । एन डी टीवी के खिलाफ़ सीबीआई ने १९९८ में
अपराधिक षडयंत्र एवं भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत 3.52 करोड के घपले का मुकदमा
दर्ज किया था । वह पूंजीवाद के परवान चढने का दौर था । सता पर रिलायंस का कब्जा था
। प्रणव राय एवं मुकेश अंबानी , दोनो काउंसिल आन फ़ारेन
रिलेशन इंटरनेशनल एडवायजरी बोर्ड के सदस्य हैं । मुकेश अंबानी की मदद प्रणव राय को
हासिल है । प्रणव राय की साली हैं
बृंदा करात । यह बहुत
मजबूत मकडाजाल है । मुकेश अंबानी प्रणव मुखर्जी को समर्थन दे रहे हैं । मुकेश के
मित्र प्रणव राय और प्रणव राय के साढु प्रकाश कारत का दल सीपीएम भी प्रणव मुखर्जी
को मदद कर रहा है ।
अरुंधती राय एक उपन्यास लिखकर
सुपर लेखिका बन गई । छद्दम धर्मनिरपेक्ष एवं स्वंयभू मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं
। अरुंधती राय को काश्मीर का आंतकवादी संगठन हुरियत का हितैषी माना जाता है
। आतंकवादी की मौत इन्हे सेना का अत्याचार दिखता है लेकिन कश्मीर के विस्थापितो का
दुख इन्हे संप्रदायिक नजर आता है । अरुंधती राय राधिका राय और
बृंदा करात की अपनी चचेरी बहन हैं ।
देश के बडे व्यवसायिक घरानो ने जिनमे नारायन मूर्ति , अजीम प्रेमजी जैसे साफ़ सुथरी छवि होने के दावेदार शामिल हैं , मनमोहन सिंह की आलोचना करते हुए आर्थिक सुधार (वास्तव मे यह आर्थिक विनाश है ) की गति को मंद बताया था । मनमोहन सिंह ने भी अपने काउंसिल आफ़ ट्रेड
ईंडस्ट्रीज की सभा मे इन सबको लताड लगाई थी । देश के सभी बडे व्यवसायी जो देश की
बर्बादी के जिम्मेवार हैं , उस सभा मे उपस्थित थें ।
नारायन मूर्ति (नारायन मूर्ति फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन की तीन कमेटी मे हैं और फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन
ने अरविंद केजरीवाल –मनीष सिसोदिया की संस्था कबीर को करोडो का अनुदान भारत , श्रीलंका एवं नेपाल मे आंदोलन चलाने के लिए दिया है ।। फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन को सीआईए की कवर एजेंसी मानाजाता है ) रतन
टाटा, राहुल बजाज, मुकेश अंबानी, अशोक गांगुली, सुनील मित्तल, दीपक पारिख के
अलावा अन्य दिग्गज भी उस सभा मे थें। मनमोहन की फ़टकार का बदला टाइम्स मैगजीन की
आलोचना के रुप मे सामने आया
मनमोहन सिंह अगली बार
प्रधानमंत्री नही बनने वाले हैं , यह सबको पता है । कांग्रेस
खेमे मे प्रधानमंत्री पद के दावेदारो में
राहुल गांधी के बाद एक और नाम है
ए के अंटोनी । देश के साफ़ सुधरी छवि वाले कुछेक नेताओं मे ए के एंटोनी शामिल हैं
। उधर बीजेपी मे एल के अडवाणी और नरेन्द्र मोदी दावेदार हैं । अमेरिका को अपना
स्वार्थ साधने के लिए भारत की जरुरत है । चाहे किसी दल का शासन हो प्रधानमंत्री
वही होगा जिसे अमेरिका चाहेगा । भारत के व्यवसायिक घराने अमेरिका के ईशारे पर काम
करते हैं । चाहे मोदी हो या अडवाणी या राहुल गांधी , सब अमेरिका की बात हीं मानेंगें
। हां राहुल गांधी के आने पर खतरा है । इंदिरा गांधी की तर्ज पर वे समाजवाद को
प्रश्रय दे सकते हैं । ए के एंटोनी का आना भी अमेरिका के हित मे नही है । अगली
सरकार बीजेपी की हो तो ज्यादा अच्छा लगेगा अमेरिका को । अन्ना आंदोलन के माध्यम से
भी इसका प्रयास अमेरिका कर रहा है ।
अन्ना का आंदोलन अप्रत्यक्ष रुप
से बीजेपी के समर्थन के लिए चलाया जा रहा है । राहुल गांधी को करारी शिकस्त यूपी
चुनाव मे मिली है । ए के अंटोनी को जेनरल वी के सिंह के माध्यम से बदनाम करने का
प्रयास किया गया। कुछ अति उत्साहित पत्रकारो को वी के सिंह में महान नेता के दर्शन
हुए और उन्होने वी के सिंह को महान साबित करने मे कोई कसर नही छोडी ।
देश के प्रमुख
दल कांग्रेस , भाजपा एवं सीपीएम एव सपा पर व्यवसायिक घरानो का नियंत्रण स्थापित हो चुका
है । व्यवसायिक घरानो का नेतर्तव मुकेश अंबानी करते हैं ।
बहुत शातिर व्यक्ति हैं मुकेश । धीरु भाई से भी दस कदम आगे ।
नए विकल्प की फ़िलहाल कोई
संभावना नही दिखती । हालांकि विकल्प का रास्ता हमेशा खुला रहता है , कभी
भी अमेरिका के अक्यूपाई वाल स्ट्रीट की तर्ज पर स्वस्फ़ूर्त आंदोलन खडा हो सकता है
। लेकिन उसके पहले जरुरी है अमेरिकी हित के पोषक इन राजनीतिक दलो को नकारने की और
यह काम उन दलो के समर्पित कार्यकर्ता हीं कर सकते हैं ।
इस लेख की अगली कडी मे हम लेकर
आयेंगे , दुनिया के मीडिया पर व्यवसायिक घरानो का नियत्रण
सौजन्य सचिन्द्र झा
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रायों की रायशुमारी पर घमन्जा। नेता, पत्रकार और उद्योगपति के मकड़जाल में अरबों रूपयों को लेकर जो धक्कामुक्की चल रहा है, उसका खुलासा करने के लिए बिहारमीडियाडॉटकॉम के मदन तिवारी और सचिन्द्र झा को मेरा सलाम
ReplyDeleteकुमार सौवीर, लखनऊ
ब्यवसायिक घरानों का नियंत्रण घातक है प्रजातांत्रिक स्वस्थ लोक तंत्र के लिए .....सादर आभार
ReplyDeletevery factual&informative
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