यशवंत को जमानत: हौसला बुलंद है , अपराध नही किया है मैने


यशवंत को जमानत: हौसला बुलंद है , अपराध नही किया है मैने

आज भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह को जमानत मिल गई है. उन्‍हें साक्षी जोशी कापड़ी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में कोर्ट ने जमानत दी है. इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर विनोद कापड़ी तथा उनकी दूसरी पत्‍नी व आईबीएन7 की एंकर साक्षी जोशी कापड़ी ने यशवंत के खिलाफ क्रमश: नोएडा के फेज टू तथा सेक्‍टर 49 थाने में अलग अलग मुकदमा दर्ज कराया था. तीस जून की दोपहर दर्ज कराए गए मामले में नोएडा पुलिस ने बहादुरी दिखाते हुए दो घंटे के भीतर ही यशवंत को गिरफ्तार कर लिया था.

साक्षी जोशी द्वारा दिए गए शिकायत पर सेक्‍टर 49 की पुलिस ने आईपीसी की धारा 294 तथा 7सीएलए के तहत मामला दर्ज किया था. बाद में परेशान करने की नीयत से पुलिस ने इसमें दो और धाराएं आईपीसी के तहत 509 तथा 72 आईटी एक्‍ट जोड़ दिया था. पुलिस ने अपनी तरफ से मामले को और ज्‍यादा लटकाने की कोशिश की परन्‍तु माननीय जज अनिल कुमार यादव ने मामले की सुनवाई करते हुए जमानत याचिका खारिज करने की मांग को अस्‍वीकार कर दिया. यशवंत की तरफ से बहस वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता शिखर ठकराल ने की.

अब विनोद कापड़ी वाले मामले में सुनवाई बीस जुलाई को होगी. पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 341, 386 और 506 के तहत मामला दर्ज किया है. हालां कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन पत्रकारों के पक्ष में यशवंत करपोरेट घरानों से उलझते और लड़ते रहे, वही पत्रकार साथी यशवंत के इस गाढे़ समय से बचते नजर आए. ऐसे जैसे कुछ हुआ ही न हो. तो कुछ लोग इस समय भी यशवंत को निपटाने में अपनी सारी ऊर्जा खर्च करते रहे. हालांकि वक्त किसी को नही बख्शता । यशवंत तो मात्र एक बहाना थें , पारंपरिक मीडिया यानी टीवी और प्रिंट ने न्यू मीडिया को टारगेट बना लिया है । यशवंत के पहले रांची से राजनामा डाट काम के संपादक मुकेश भारतीय के उपर भी १५ लाख रुपया मांगने का मुकदमा एक बिल्डर ने जिसने पायनियर अखबार की फ़्रेंचाईजी को अस्सी लाख रुपये मे विनोद सरावगी से  खरीदा था, उसने दर्ज करवाया था । कारण था मुकेश भारतीय के द्वारा आर टी आई से पायनियर केप्रसार संख्या तथा उसे सरकार से मिलने वाले विग्यापन के संबंध में जानकारी प्राप्त करना । यह पवन बजाज भाजपा का बडा नेता है तथा इधर हाल के दो सालों में अरबो रुपये कमाए है । बिल्डर का पत्रकारिता के क्षेत्र में दखल सिर्फ़ अपने काले कारनामे और कालेधन को बचाने के लिए होता है । यशवंत के उपर पतिपत्नी द्वारा अलगअलग झुठा मुकदमा करने का अर्थ साफ़ था । भडास की आवाज को दबाना । यशवंत के खिलाफ़ इस लडाई में वह सभी अखबार और टीवी चैनल शामिल हो गए है जिनके खिलाफ़ यशवंत हमेशा लिखते रहे हैं । हालांकि वेब मीडिया ने भी इसे चुनौती की तरह लिया है और हर प्रकार की लडाई लडने के लिए अपना इरादा पक्का कर चुका है । वेब मीडिया के क्षेत्र मे भी अगंभीर टाईप के लोगों का प्रवेश हो चुका है जो दावा तो पत्रकार होने का करते हैं , पत्रकारिता के संस्थानो की बडी बडी डिग्रिया दिखाते हैं परन्तु कहीं कोई उन्हे घास नही डालता है , वैसे लोगों के लिए यह मौका अच्छा लगा और उन्होने टीवी मीडिया की तारीफ़ शुरु कर दी ताकि कहीं स्टिंगर वगैरह बन जाए और भोजन भत्ते का जुगाड हो जाए । चलिए कम से कम जेल जाकर के भी यशवंत ने कुछ लोगो के भोजन भता की व्यवस्था तो कर दी । इंडिया टीवी के प्रबंध संपादक विनोद कापडी ने एक नए लडके नुकेश चौरसिया के माध्यम से अपना इन्टरव्यूव वेब मीडिया पर प्रकाशित करवाया लेकिन विनोद कापडी का यह दाव उल्टा पड गया । इन्टरव्यूव से यह साफ़ हो गया कि मुकदमा गलत है तथा एस एस पी नोएडा प्रवीण कुमार ने झुठा मुकदमा दर्ज करवाने में मदद की । दोनो फ़सते नजर आए तो उस इन्टरव्यूव के क्लीप को वेब साईट से हटा दिया । यह गंदी हरकत मीडिया खबर नाम के एक पोर्टल ने की । लेकिन एक बार क्लीप यू ट्यूब पर अप लोड हो जाने के बाद यह जिम्मेवारी यू ट्यूब की बनती है कि जरुरत पडने पर उसे न्यायालय मे प्रस्तुत करे । यशवंत को टारगेट कर के वेब मीडिया को जो चुनौती परंपरागत मीडिया ने दी है , उसे अंजाम तक पहुचाना वेब मीडिया के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जरुरी है । जेल में रहने के बाद भी यशवंत का हौसला बुलंद है , उन्होने एक वरिष्ठ पत्रकार को मिलने पर बताया कि जब मैने कोई अपराध किया हीं नही है तो डरना क्या बुलंदी के साथ साथ यशवंत की मुस्कुराहट भी बता रही थी कि वे निकलने के बाद भी उसी तरह अपनी लडाई जारी रखेंगें ।





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