क्या नीरा राडिया का हाथ है यशवंत की गि्रफ़्तारी मे ?
क्या नीरा राडिया का हाथ है
यशवंत की गि्रफ़्तारी मे ?
भडास मीडिया के संपादक यशवंत
सिंह की गिरफ़्तारी का ताना बाना बहुत पहले से बुना जा रहा था । यह बात है उस समय की जब निरा राडिया
टेप प्रकरण चर्चा के केन्द्र मे था । निरा राडिया जिसे जानबूझकर २जी घोटाले में सरकारी
गवाह सीबीआई ने बनाया ताकि टाटा की पोल न खुले अन्यथा बहुत सारे नेताओं के प्यार की
कहानी सामने आ जाती ।
निरा राडिया टेप प्रकरण को आउटलुक , ओपेन मैगजीन तथा भडास ने भी खुब प्रचारित किया था । टेप के कारण राडिया और
टाटा को कितनी फ़जीहत उठानी पडी यह किसी से छुपा नही है । निरा राडिया ने आउटलुक के
विनोद मेहता को संपादक के पद से हटवा दिया , भले हीं वे उचें
पद पर चले गये हों लेकिन कम से कम लिखने का अधिकार तो उनके हाथ से निकल हीं गया । दुसरा
निशाना बना ओपन मैगजीन जो बंद होने के कगार पर है । दो मुख्य दुश्मनों को समाप्त करने
के बाद बारी थी यशवंत सिंह की ।
इधर इंडिया टीवी की आर्थिक हालत
अच्छी नही थी । रजत शर्मा को धन की जरुरत थी । निरा राडिया का काम ही रहा कारपोरेट
घराने के पक्ष मे अधिकारियों से रिश्ते बनाने का । मौका मिला और बगैर देर किये मार
दी चोट । आज तीनो जिन्होने निरा राडिया के खिलाफ़ टेप कांड की बुनियाद डाली , उन्हे किसी न किसी तरीके से समाप्त कर दिया ।
वाह रे राडिया वाह जवाब नही तेरे जलवे का । कुछ तो है तुममे जिसपे फ़िदा है भारत की सरकार और जेल भेजने की बजाय बना दिया तुन्हें सरकारी गवाह । हालांकि निरा राडिया को वेब पोर्टल की ताकत का अंदाजा नही है । खाली पेट रहकर के भी वेब पोर्टल काम करते रहेंगें और जब कोई कबीर की तरह लूगाठी लेकर अपना घर जार कर निकल पडेगा तो दुश्मनो के घर को खाक करने मे उसे कितना समय लगेगा । इन सारे घटनाक्रम में नोयडा के एस एस पी प्रवीण कुमार की ततपरता का क्या कहना । काश ऐसी तत्परता अपराधियों को पकडने मे दिखाते तो शायद कुछ सुधार यूपी सरकार की छवि मे होता । कोई हथियार भी नही बरामद हुआ और न हीं यह अभियोग लगा है कि यशवंत ने हथियार दिखाकर रंगदारी मांगी । जो एफ़ आइ आर दर्ज हुई है उसको देखकर यही लगता है कि यह मुकदमा आइ पी सी की धारा ३८५ का हो सकता है । लेकिन धारा ३८५ जमानतीय है और यही कारण है कि जानबुझकर गैर जमानतीय धारा ३८६ लगाई गई । खैर इससे कुछ और फ़ायदा एस एस पी महोदय को भले न हुआ हो कम से कम इतना फ़ायदा तो हो हीं गया कि अगली बार इंडिया टीवी पर जब इनका कोई बाइट आयेगा तो पाच सेकंड की जगह पांच मिनट उसे इंडिया टीवी दिखायेगा । एक आइ पी एस को अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिये । आप अगर गलत करोगे तो दुसरा भी गलत कर सकता है । किसी के उपर मौत का भय दिखाकर रंगदारी मांगने का झुठा मुकदमा करोगे तो कोई तुम्हारे उपर बलात्कार के प्रयास का झुठा मुकदमा कर सकता है । नोयडा पुलिस ने अपराध किया है जानबूझकर गैर जमानतीय धारा लगाने का । खैर अभी वक्त की जरुरत है इस चक्रव्यूह से यशवंत को बाहर निकालने की ।
वाह रे राडिया वाह जवाब नही तेरे जलवे का । कुछ तो है तुममे जिसपे फ़िदा है भारत की सरकार और जेल भेजने की बजाय बना दिया तुन्हें सरकारी गवाह । हालांकि निरा राडिया को वेब पोर्टल की ताकत का अंदाजा नही है । खाली पेट रहकर के भी वेब पोर्टल काम करते रहेंगें और जब कोई कबीर की तरह लूगाठी लेकर अपना घर जार कर निकल पडेगा तो दुश्मनो के घर को खाक करने मे उसे कितना समय लगेगा । इन सारे घटनाक्रम में नोयडा के एस एस पी प्रवीण कुमार की ततपरता का क्या कहना । काश ऐसी तत्परता अपराधियों को पकडने मे दिखाते तो शायद कुछ सुधार यूपी सरकार की छवि मे होता । कोई हथियार भी नही बरामद हुआ और न हीं यह अभियोग लगा है कि यशवंत ने हथियार दिखाकर रंगदारी मांगी । जो एफ़ आइ आर दर्ज हुई है उसको देखकर यही लगता है कि यह मुकदमा आइ पी सी की धारा ३८५ का हो सकता है । लेकिन धारा ३८५ जमानतीय है और यही कारण है कि जानबुझकर गैर जमानतीय धारा ३८६ लगाई गई । खैर इससे कुछ और फ़ायदा एस एस पी महोदय को भले न हुआ हो कम से कम इतना फ़ायदा तो हो हीं गया कि अगली बार इंडिया टीवी पर जब इनका कोई बाइट आयेगा तो पाच सेकंड की जगह पांच मिनट उसे इंडिया टीवी दिखायेगा । एक आइ पी एस को अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिये । आप अगर गलत करोगे तो दुसरा भी गलत कर सकता है । किसी के उपर मौत का भय दिखाकर रंगदारी मांगने का झुठा मुकदमा करोगे तो कोई तुम्हारे उपर बलात्कार के प्रयास का झुठा मुकदमा कर सकता है । नोयडा पुलिस ने अपराध किया है जानबूझकर गैर जमानतीय धारा लगाने का । खैर अभी वक्त की जरुरत है इस चक्रव्यूह से यशवंत को बाहर निकालने की ।
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