गया मेयर –डिपुटी मेयर चुनाव : बेंगो की खरीद-बिक्री शुरु


गया मेयरडिपुटी मेयर चुनाव : बेंगो की खरीद-बिक्री शुरु

मेढक को आम जन की भाषा में बेंग कहते हैं । बेंग का एक लक्षण है , उसे कभी भी एक बर्तन में आप नही रख सकते हैं। एक बेंग को पकडकर टोकरी में रखा तबतक दुसरा बेंग उछल कर बाहर । नगर निगम के पार्षदों में यह गुण पुरी तरह से मौजूद है। शायदनाली साफ़ करवाते करवाते उन्होने यह गुण बेंगो से ग्रहण कर लिया है । यह मैं नही कहता बल्कि पार्षद स्वंय भी एक दुजे को प्यार से बेंग कहते हैं। गया नगरनिगम का चुनाव संपन्न हो गया । तिरपन बेंग जितकर आये हैं। बेंगो की सरकार बननी है । कौन मेयर बनेगा और कौन उप मेयर इसके लिये बेंग-  दौड शुरु हो गई है। इस दौड के नियम पहले आपको बता देता हूं । कौन कितने बेंग को खरीदता है इसपर निर्भर है मेयर या उप मेयर बनना । जिसके टोकरी में ज्यादा बेंग  होगा वही मेयर बनेगा । पिछली बार पचास हजार से तीन लाख तक में बेंग बिके थें। इसबार पुराने बेंग ज्यादा जितकर आये हैं , अब वे मक्कार बन गये हैं , उनका मकसद है ज्यादा से ज्यादा किमत वसूलना । । पुराने पार्षदों नें पांच साल में पैसा भी अच्छा खासा कमा लिया है । इसबार तीन लाख पर रेट हीं खुला है । अभीतक चार ग्रुप खरीदार हैं । जातिय स्तर पर दो ग्रुप अभी सक्रिय दिख रहे  हैं । एक यादव और एक भुमिहार ग्रुप  । मुसलमानों का एक ग्रुप है।कायस्थों का भी एक ग्रुप है  लेकिन कायस्थों के  पास कोई भी महिला प्रत्याशी नही है जिसके श्रीमान धनबेंग (धनपशु) हों । कायस्थ में जो महिला प्रत्याशी हैं वे उप मेयर को इमोशनल ब्लैकमेल कर के मेयर बनना चाहती हैं जो संभव नही है । इसके अलावा  एक दुसरा कारण भी है । उप मेयर के दो कायस्थ उम्मीदवार हैं । दोनो को पता है मेयर तथा उप मेयर , दोनो पद पर  कायस्थ को कोई भी पार्षद स्वीकार नही करेगा।  ये ग्रुप मेयर के लिये है । उप मेयर के लिये अलग ग्रुप है।उप मेयर पद के दो मुख्य दावेदार हैं , निवर्तमान उप मेयर मोहन श्रीवास्तव एवं चितरंजन वर्मा । दोनो एक हीं गुरु यानी बेला विधायक सुरेन्द्र यादव  के खेमें के  हैं ।  वैसे मेयर -उप मेयर के लिये जोड तोड , आपस मे साठगाठ , समझौता भी होगा। यानी अगर कोई ग्रुप मेयर नही बना पा रहा हो तो उप मेयर वाले ग्रुप से समझौता करके दोनो पदों पर अपना उम्मीदवार खडा करेगा।

जैसे नया मौलवी ज्यादा नमाज पढता है कुछ वैसी हीं स्थिति यहां भी है । भूमिहार समाज से एक नया चेहरा सोनी कुमारी हैं जो विक्की शर्मा की दुसरी पत्नी हैं । राजनीति में हर समाज या जाति अपने समाज के अपराधी तत्व को हीं नेता मानता है । विक्की शर्मा भूमिहार समाज के नेता बन गये हैं और उनकी पत्नी मेयर की उम्मीदवार । हालांकि विक्की शर्मा की पत्नी को भूमिहार समाज के हीं पार्षद वोट नहीं देंगें। अनिल शर्मा की पत्नी भी चुनाव जितकर आई है। वर्तमान में अनिल शर्मा उप मेयर मोहन श्रीवास्तव के दाहिने हाथ तथा काले धंधे के पार्टनर हैं। मोहन श्रीवास्तव तथा विक्की शर्मा में ३६ का आंकडा है । अनिल शर्मा एवं विक्की शर्मा मे व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता भी है । अनिल शर्मा अपनी  ठेकेदारी बचाये रखने के उद्देश्य से मेयर के लिये शगुफ़्ता परवीन तथा उप मेयर पद के लिये मोहन श्रीवास्तव को मदद करेंगें। दोनो में से किसी भी पद में बदलाव अनिल शर्मा के लिये व्यवसायिक रुप से घातक है । विक्की शर्मा की पत्नी की सद्स्यता भी दाव पर है । गलत शपथ - पत्र देने का आरोप लगा हुआ है ।

यादव समाज में दो उम्मीदवार हैं मेयर पद के । एक वार्ड ४३ की मीना देवी जो विनोद यादव की मां हैं। विनोद यादव सरकारी जमीन के फ़र्जी कागजात बनाकर अच्छाखासा पैसा कमा चुका है। दुसरी उम्मीदवार भी एक भू-माफ़िया की पत्नी हीं है। वे हैं इन्द्रदेव यादव की पत्नी विभा देवी ।ये भी नई मौलवी के श्रेणी में आती हैं । पहली बार पार्षद बनी हैं ।  यादव समाज में भी एकजूटता नही है। बच्चू यादव पर्दे के पिछे रहकर खेल खेल रहे हैं । मेयर पद के लिये एक कायस्थ का नाम भी बच्चू  यादव ने उछाला है । हालांकि दूर दूर तक किसी भी यादव के मेयर बनने की संभावना नही है । सुरेन्द्र यादव बेला विधायक की ईच्छा पर बहुत कुछ निर्भर है और चाहें सुरज  पुरब  की बजाय पश्चिम से क्यों न निकल जाये , सुरेन्द्र यादव किसी यादव को मेयर पद के लिये समर्थन नही देंगें। पार्षद के चुनाव में भी वार्ड ४६ में संतोष सिंह जो जाति से राजपूत हैं , उनके पक्ष में यादव समाज का अच्छाखासा वोट सुरेन्द्र यादव ने दिलवाया है। केन्दुइ यानी वार्ड संख्या ४६ बेला विधानसभा का क्षेत्र है और उस क्षेत्र से राजपूत समाज का थोक वोट सुरेन्द्र यादव को मिला था। एक महिला यादव पार्षद सुरेन्द्र यादव के खास आदमी की बहु हैं । यादव समाज से मेयर बनने की कोई संभावना नही है ।

मुस्लिम समाज से वर्तमान मेयर शगुफ़्ता परवीन मेयर की उम्मीदवार हैं। ये दौड में सबसे आगे हैं। आठ मुस्लिम पार्षद जितकर आये हैं , उसके अलावा सातआठ पार्षद शगुफ़्ता परवीन के पास पहले से हैं। यानी कुल मिलाकर १५-१६ पार्षद उनके पास हैं लेकिन दिक्कत है उनके साथ जुडे उप मेयर के उम्मीदवार चितरंजन प्रसाद वर्मा का साथ । चितरंजन वर्मा वैसे तो आर्थिक रुप से सबसे सक्षम हैं , अकेले मेयर और उप मेयर दोनो पदो को खरिद सकते हैं लेकिन जितना पैसा है उतने हीं कंजूस भी वे हैं । वे चाहते हैं कि माल तो निजाम यानी शगुफ़्ता परवीन के पति का खर्च हो ये मुफ़्त में चारपांच पार्षदों को साथ लेकर उप मेयर बन जायें। हालांकि अंत में कोई रास्ता  न होने के हालात में ये शायद गांठ खोलें और वैसी स्थिति में ये सबसे सशक्त दावेदार बन जा सकते हैं। मोहन श्रीवास्तव वर्तमान उप मेयरहैं । उप मेयर पद पर रहते हुये नाजायज रुप से करोडो की कमाइ कर चुके हैं । एक तरीके से  गया नगर निगम को बेचने का कोई मौका उन्होनें नहीं छोडा   , यह तो प्रमंडलीय आयुक्त तथा जिलाधिकारी की मेहरबानी है कि कोई जांच इन दोनो ने नहीं की , अन्यथा मोहन सहित अधिकांश पार्षद आज जेल में होते । मोहन श्रीवास्तव राजनिति के शातिर खिलाडी माने जाते हैं । किसी भी हद तक गिरकर समौझता कर ले सकते हैं। सौ कमीने आदमी मरे होगें तो एक मोहन श्रीवास्तव जैसा आदमी पैदा हुआ होगा । मोहन श्रीवास्तव उप मेयर पद के प्रबल दावेदार हैं , अंतिम  क्षण तक हार नही मानेंगें। छलबल , साम, दाम, दंड , भेद से लेकर लडकी तक का उपयोग करने से नहीं चुकनेवाले हैं मोहन श्रीवास्तव । हो सकता है अपने प्रतिद्वंदि विक्की शर्मा की पत्नी को मेयर और स्वंय उप मेयर का भी दांव खेल जायें। वैसे इस लडाई में सबसे तेज तर्रार मोहन श्रीवास्तव हीं हैं। मेयर एवं उप मेयर के चुनाव में  सुरेन्द्र यादव बेला विधायक की अहंम भूमिका होगी । दस से ज्यादा पा्र्षद वैसे हैं जो शायद एक बार अपने मांबाप की बात न मानें लेकिन सुरेन्द्र यादव की बात से ईंकार नहीं कर सकते हैं।  कल हम उन सभी पार्षदों के नाम का खुलासा करेंगें जो विभिन्न खेमे में हैं ।

निष्कर्ष : अभी तक जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है , उसके हिसाब से शगुफ़्ता परवीन मेयर की दौड में आगे हैं बल्कि मेयर बनने की सबसे ज्यादा संभावना इनकी हीं हैं।

उप मेयर पद की दौड में चितरंजन वर्मा और मोहन श्रीवास्तव हैं। वर्मा एवं मोहन श्रीवास्तव की आपसी प्रतिद्वंदिता के कारण भले हीं असमंजस जैसी स्थिति दिख रही हो वरना मेयर तथा उप मेयर का चुनाव तो हो चुका हैं  

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