साकेत गुप्ता हत्याकांड ; गिरफ्तारी या हत्या के भय से सरेंडर कर सकते हैं नामजद



·        गिरफ्तारी या हत्या के भय से सरेंडर कर सकते हैं नामजद

·         प्रेम का हश्र देख आरोपितों में छाया है भय

·         सभी आरोपितो ने बंद कर रखे हैं अपने मोबाइल

·         डीजीपी खुद रख रहें हैं पूरे मामले पर नजर

·         प्रतिदिन की जांच प्रगति का ले रहे जायजा अभ्यानंद

·         अपने सहयोगी के  भाई की हत्या से दुखी हैं पुलिस प्रमुख
यह समाचार विनायक विजेता के फ़ेसबुक से ली गई है
( विनायक विजेता ; बिहार के वरीय पत्रकार एवं क्राईम रिपोर्टिंग के क्षेत्र स्थापित नाम )

पटना: शराब व्यवसायी साकेत गुप्ता की हत्या में आरोपित किए गए कथित शराब व्यवसायी और अन्य फरार अपराधी इस मामले में आरोपित प्रेम सिंह के हश्र को घ्यान में रख जल्द ही चुपके से न्यायालय में आत्मसमर्पण
भी कर सकते हैं। फरार आरोपितो को जहां गिरफ्तारी पर पुलिस के डंडे या टार्चर की फिर्क सता रही है वहीं प्रेम सिंह की तरह कहीं हत्या कर दिए जाने की भी आशंका। पुलिस कस्टडी में जाने पर उनकी जान तो किसी तरह बच भी सकती है पर प्रेम की हत्या करने वाले की कस्टडी में जाने पर उन्हें कोई तारणहार मिलेगा इसकी संभावना काफी कम है। सूत्र बताते हैं कि साकेत की हत्या की सुपारी लेने वाले को यह पता नहीं था कि साकेत जहां राज्य के एक वरीय पुलिस पदाधिकारी का भाई है वहीं पुलिस विभाग में गहरी पैठ रखने वाला और बीते बीस वर्षों से पटना के आपराधिक साम्राज्य का अपरोक्ष रुप से नेतृत्व करने वाला एक गैंगस्टर का रिश्तेदार भी । शराब व्यवसाय से जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि साकेत मामले में फरार अपराधियों का पुलिस से ज्यादा उस गैंगस्टर का भय सता रहा है जिसके बारे में यह आशंका प्रकट की जा रही है कि वह प्रेम सिंह हत्या मामले में शामिल हो सकता है। प्रेम की हत्या के बाद ही इस मामले में फरार सारे आरोपितो ने अपने मोबाइल बंद कर दिए हैं। हालांकि राज्य के पुलिस प्रमुख अभ्यानंद दो दिनों के अंदर पटना में सनसनी फैला देने वाले इस दोनो  हत्याकांडों की जांच प्रगति पर पैनी नजर रखे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि डीजीपी इस मामले की प्रतिदिन हो रही जांच प्रगति की जानकारी भी ले रहे हैं। बताया जाता है कि डीजीपी अपने सहयोगी और समान रैंक के अधिकारी के भाई की हत्या से मर्माहत भी हैं और दुखी भी । बहरहाल इस संपूर्ण मामले को लेकर पटना पुलिस और इसके अधिकारियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अगर जल्द ही इस पूरे मामले का उदभेदन नहीं होता तो निकाय चुनाव के बाद इसकी गाज पटना में पदस्थापित पुलिस के वरीय पदाधिकारियों पर गिर सकती है और कई अधिकारियों का तबादला भी किया जा सकता है।





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