जिलाधिकारी ने अपराधी को दी जीत की बधाई
जिलाधिकारी ने अपराधी
को दी जीत की बधाई
सुशासन में निर्विरोध
जीतते हैं दुर्दांत अपराधी
बिहार में नगर निकाय का चुनाव होने जा रहा है । गया नगर निगम का
चुनाव १७ मई को है। नामांकन वापसी के बाद एकमात्र व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित
घोषित किया गया है । वह सामाजिक कार्यकर्ता नही है न हीं शरीफ़ आदमी जिसके पक्ष में लोग
सामुहिक रुप से चुनाव न लडने का निर्णय लें। पंचायत या वार्ड का चुनाव निर्विरोध
होना बहुत हीं अच्छी बात है , बशर्ते बगैर भय के कोई निर्विरोध निर्वाचित हो
लेकिन यह व्यक्ति जिसका नाम इबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां है वह शातिर अपराधी रहा
है और आज भी अपराध तथा भय का आतंक पैदा किये हुये है। अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां
के उपर दर्जनों मुकदमें थें। लेकिन इसी सुशासन के काल में वह अधिकांश मुकदमों में
बरी हो गया। गवाहों को भयभीत करके वह रिहा हुआ है । आज की तारीख में वह आतंक है
लेकिन मात्र एक मुकदमा उसके उपर है , हो सकता है उसमें भी वह
बरी हो जाय ।
पहले भी यह एकबार निर्विरोध निर्वाचित हुआ था । लेकिन दुसरी बार दिल्ली की एक महिला पत्रकार ने उसके खिलाफ़ चुनाव लडने की हिम्मत दिखाई । हालांकि वह हार गई , उसके साथ प्रचार के लिये भी कोई नही निकला । यह घटना है गया नगर निगम के वार्ड संख्या 25 की । यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है हालांकि इस क्षेत्र में हिंदु मतदाता भी हैं । इसलिये यह अभियोग भी नही लगाया जा सकता है कि संप्रदायिकता के कारण मुस्लिम मतदाताओं ने एक अपराधी के खिलाफ़ उम्मीदवार नहीं उतारें।
एकबार पहले भी बच्चू यादव नामक एक माफ़िया सरगना निर्विरोध निर्वाचित हुआ था । उसकी पत्नी महापौर बनी थी । मुझे नगरपालिका अधिनियम का जानकार मानते हैं लोग और बिहार में सबसे पहला मुकदमा महापौर को हटाने के लिये उक्त अधिनियम के तहत मैने हीं किया था। उस समय तक किसी को यह पता भी नही था कि महापौर को हटाने के लिये मुकदमा हो सकता है और अधिनियम के कौन से प्रावधान के तहत मुकदमा किया जा सकता है । खैर बच्चू यादव के निर्विरोध निर्वाचन से तकलीफ़ हुई थी । मैने निश्चय किया था कि अगर भविष्य में ऐसी नौबत आती है कि कोई गलत व्यक्ति भय या पैसे कि बदौलत निर्विरोध निर्वाचित होने का प्रयास कर रहा हो तो मैं वहां से खडा होउंगा , जितने के लिये नही, उक्त व्यक्ति के भय को समाप्त करने के लिये।
भोला मियां ने बहुत हीं शातिराना रास्ता अपनाया । उसने अपने हीं आदमी से नामांकन दाखिल करवाया तथा उसके आदमी या चमचा जो कहा जाय , उसने अंतिम क्षण में नामांकन वापस ले लिया । भोला मियां का निर्वाचन अवैध है । उसने भय पैदा करके अपने खिलाफ़ उम्मीदवार नहीं खडा होने दिया और जानबूझकर एक डम्मी उम्मीदवार खडा कर दिया । यह निष्पक्ष चुनाव की मूलभूत भावना की आत्मा की हत्या है । प्रजातंत्र का मजाक है भोला मियां का निर्विरोध निर्वाचन। चुनाव आयोग की ड्यूटी है यह देखना कि कोई व्यक्ति भय या आतंक पैदा करके तो चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित नही हो रहा है । अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां का निर्विरोध निर्वाचित होना गया के जिला प्रशासन के लिये शर्मनाक बात है । उसका निर्वाचन यह जाहिर करता है कि राजद के आतंक वाले शासन की समाप्ति के बाद भी आतंक समाप्त नही हुआ है ।
बिहार चुनाव आयोग,गया जिला की निर्वाचन पदाधिकारी तथा पुलिस प्रशासन की यह ड्यूटी है कि गुप्त रुप से इसकी जांच करवाये कि आखिर कौन सा कारण था कि एक दुर्दांत अपराधी तथा गया का आतंक रह चुके अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां के खिलाफ़ कोई उम्मीदवार नही खडा हुआ और जो एक उम्मीदवार खडा हुआ , उसने नामांकन वापस ले लिया । लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है कि गया की जिलाधिकारी ने उक्त अपराधी भोला मियां के निर्विरोध निर्वाचन पर बधाई देते हुये कहा है कि ऐसे हीं उम्मीदवारों को चुनना चाहिये जो विकास का काम करें। jजिलाधिकारी की इस बधाई संदेश पर लोग अचंभित हैं । बिहार मीडिया गया की निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी को इस बात की चुनौती देता है कि वे भोला मियां के क्षेत्र में हुये विकास कार्यों की क्वालिटी की जांच करायें। भोला मियां भू माफ़िया भी हैं। भू माफ़िया पावर आफ़ एटार्नी के माध्यम से जमीन का व्यवसाय करते हैं ताकि कालाधन का पता न चले, सरकार को निबंधन शुल्क न देना पडे और आय कर तथा संपति कर की बचत हो । बिहार मीडिया चुनाव आयोग , जिला निर्वाचन पदाधिकारी तथा जिला पुलिस प्रशासन को भू माफ़ियाओं के खिलाफ़ मदद करने के लिये तैयार है । भोला मियां के खिलाफ़ भय पैदा करके निर्विरोध निर्वाचन की जांच कैसे हो सकती है और साक्ष्य कहां से प्राप्त होगा , इसकी जांच मे भी बिहार मीडिया मदद के लिये तैयार है । हमारा दावा है कि अगर जांच होगी तो अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां का निर्वाचन रद्द हो जायेगा । हमने नगर निकाय के चुनाव की सतत निगरानी तथा मतदाताओं को जागरुग बनाने के लिये एक ब्लाग भी ELECTIONWATCH के नाम से शुरु किया है ।
पाठक भी किसी भी प्रकार कि सूचना फ़ोन या ईमेल के माध्यम से दे सकते हैं । हम उनका नाम पता गुप्त रखेंगे और अधिकारियों के समक्ष उनकी बात को स्वंय प्रस्तुत करेंगें। अच्छे एवं योग्य व्यक्ति का चुनाव करें ।
पहले भी यह एकबार निर्विरोध निर्वाचित हुआ था । लेकिन दुसरी बार दिल्ली की एक महिला पत्रकार ने उसके खिलाफ़ चुनाव लडने की हिम्मत दिखाई । हालांकि वह हार गई , उसके साथ प्रचार के लिये भी कोई नही निकला । यह घटना है गया नगर निगम के वार्ड संख्या 25 की । यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है हालांकि इस क्षेत्र में हिंदु मतदाता भी हैं । इसलिये यह अभियोग भी नही लगाया जा सकता है कि संप्रदायिकता के कारण मुस्लिम मतदाताओं ने एक अपराधी के खिलाफ़ उम्मीदवार नहीं उतारें।
एकबार पहले भी बच्चू यादव नामक एक माफ़िया सरगना निर्विरोध निर्वाचित हुआ था । उसकी पत्नी महापौर बनी थी । मुझे नगरपालिका अधिनियम का जानकार मानते हैं लोग और बिहार में सबसे पहला मुकदमा महापौर को हटाने के लिये उक्त अधिनियम के तहत मैने हीं किया था। उस समय तक किसी को यह पता भी नही था कि महापौर को हटाने के लिये मुकदमा हो सकता है और अधिनियम के कौन से प्रावधान के तहत मुकदमा किया जा सकता है । खैर बच्चू यादव के निर्विरोध निर्वाचन से तकलीफ़ हुई थी । मैने निश्चय किया था कि अगर भविष्य में ऐसी नौबत आती है कि कोई गलत व्यक्ति भय या पैसे कि बदौलत निर्विरोध निर्वाचित होने का प्रयास कर रहा हो तो मैं वहां से खडा होउंगा , जितने के लिये नही, उक्त व्यक्ति के भय को समाप्त करने के लिये।
भोला मियां ने बहुत हीं शातिराना रास्ता अपनाया । उसने अपने हीं आदमी से नामांकन दाखिल करवाया तथा उसके आदमी या चमचा जो कहा जाय , उसने अंतिम क्षण में नामांकन वापस ले लिया । भोला मियां का निर्वाचन अवैध है । उसने भय पैदा करके अपने खिलाफ़ उम्मीदवार नहीं खडा होने दिया और जानबूझकर एक डम्मी उम्मीदवार खडा कर दिया । यह निष्पक्ष चुनाव की मूलभूत भावना की आत्मा की हत्या है । प्रजातंत्र का मजाक है भोला मियां का निर्विरोध निर्वाचन। चुनाव आयोग की ड्यूटी है यह देखना कि कोई व्यक्ति भय या आतंक पैदा करके तो चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित नही हो रहा है । अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां का निर्विरोध निर्वाचित होना गया के जिला प्रशासन के लिये शर्मनाक बात है । उसका निर्वाचन यह जाहिर करता है कि राजद के आतंक वाले शासन की समाप्ति के बाद भी आतंक समाप्त नही हुआ है ।
बिहार चुनाव आयोग,गया जिला की निर्वाचन पदाधिकारी तथा पुलिस प्रशासन की यह ड्यूटी है कि गुप्त रुप से इसकी जांच करवाये कि आखिर कौन सा कारण था कि एक दुर्दांत अपराधी तथा गया का आतंक रह चुके अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां के खिलाफ़ कोई उम्मीदवार नही खडा हुआ और जो एक उम्मीदवार खडा हुआ , उसने नामांकन वापस ले लिया । लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है कि गया की जिलाधिकारी ने उक्त अपराधी भोला मियां के निर्विरोध निर्वाचन पर बधाई देते हुये कहा है कि ऐसे हीं उम्मीदवारों को चुनना चाहिये जो विकास का काम करें। jजिलाधिकारी की इस बधाई संदेश पर लोग अचंभित हैं । बिहार मीडिया गया की निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी को इस बात की चुनौती देता है कि वे भोला मियां के क्षेत्र में हुये विकास कार्यों की क्वालिटी की जांच करायें। भोला मियां भू माफ़िया भी हैं। भू माफ़िया पावर आफ़ एटार्नी के माध्यम से जमीन का व्यवसाय करते हैं ताकि कालाधन का पता न चले, सरकार को निबंधन शुल्क न देना पडे और आय कर तथा संपति कर की बचत हो । बिहार मीडिया चुनाव आयोग , जिला निर्वाचन पदाधिकारी तथा जिला पुलिस प्रशासन को भू माफ़ियाओं के खिलाफ़ मदद करने के लिये तैयार है । भोला मियां के खिलाफ़ भय पैदा करके निर्विरोध निर्वाचन की जांच कैसे हो सकती है और साक्ष्य कहां से प्राप्त होगा , इसकी जांच मे भी बिहार मीडिया मदद के लिये तैयार है । हमारा दावा है कि अगर जांच होगी तो अबरार अहमद उर्फ़ भोला मियां का निर्वाचन रद्द हो जायेगा । हमने नगर निकाय के चुनाव की सतत निगरानी तथा मतदाताओं को जागरुग बनाने के लिये एक ब्लाग भी ELECTIONWATCH के नाम से शुरु किया है ।
पाठक भी किसी भी प्रकार कि सूचना फ़ोन या ईमेल के माध्यम से दे सकते हैं । हम उनका नाम पता गुप्त रखेंगे और अधिकारियों के समक्ष उनकी बात को स्वंय प्रस्तुत करेंगें। अच्छे एवं योग्य व्यक्ति का चुनाव करें ।
http://electionwatchbihar.blogspot.in/
संपादक
मदन कुमार तिवारी
अधिवक्ता
0631-2223223, 8797006594
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