साकेत गुप्ता हत्याकांड


साकेत गुप्ता हत्याकांड

  • नाजायज शराब बिक्री विवाद में हुई हत्या!
  • हत्या की सुपारी देने वाला मुकेश है जहानाबाद का निवासी
  • मखदुमपुर थाना के मनहत्ता बिगहा में है मुकेश का घर
  • शराब व्यवसाय से पटना में बनायी लाखों की संपत्ति
  • पुलिस ने आईओसी स्थित आवास पर की छापेमारी, पाया गया फरार
विनायक विजेता
( Senior Journalist of Bihar )


पटना: डीजी सह पुलिस  भवन निर्माण निगम के निदेशक ए के गुप्ता के शराब व्यवसायी भाई साकेत गुप्ता की हत्या नाजायज शराब बिक्री विवाद के कारण की गई। साकेत की हत्या की सुपारी देने वाले जहानाबाद निवासी मुकेश के बारे में की गई छानबीन के बाद यह निष्कर्ष सामने आ रहा है। मूल रुप से जहानाबाद के मखदुमपुर थाना अंतर्गत जमनगंज पंचायत के मनहत्ता बिगहा गांव का रहने वाला मुकेश राजद शासन काल से ही शराब व्यवसाय से जुड़ा है। मुकेश खुद तो बढ़ई जाति का है पर उसका संबंध शराब के जायज नाजायज कारोबार से जुड़े एक जाति विशेष के ऐसे सिंडीकेट के साथ है जिसका पटना में प्रभुत्व माना जाता है। की गई छानबीन में यह बात सामने आ रही है कि मुकेश और उसका सिंडीकेट राजधानी और इसे सटे इलाकों में नाजायज रूप से शराब की सप्लाई किया करता है जिन शराबों को शहर में स्थित चाय-पान व अन्य छोटे दूकानदारों के माध्यम से बेचा जाता है। ऐसे कामों के लिए  विभिन्न सिंडीकेटों के बीच क्षेत्र के आधार पर बंटवारा है। सूत्र बताते हैं कि इसी नाजायज बिक्री को लेकर साकेत गुप्ता और मुकेश के बीच काफी दिनों से अनबन चल रही थी जिसका असर मुकेश और उसके सिंडीकेट के व्यवसाय पर पड़ रहा था। आशंका है कि इसी व्यवसायिक अदावत के कारण साकेत की हत्या भाडे के अपराधियों से करा दी गई। सूत्र बताते हैं कि मुकेश और उसका सिंडीकेट राज्य के कई जगहों पर देशी विदेशी शराब के ठेके पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता था। फरवरी माह में जहानाबाद में अरुण कुमार नामक शराब व्यवसायी की हत्या को अब इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। मुकेश और उसके पार्टनरों ने बीते मार्च महीने में जहानाबाद में भी  देशी-विदेशी शराब की दुकानों के ठेके के लिए आवेदन दिया था पर वह उन ठेके को पाने में सफल नहीं हो सका और जहानाबाद शहरी क्षेत्र सहित अधिकांश जगहों के ठेके कूर्था के महद्दीपुर गांव निवासी एक दूसरे मुकेश नामक व्यक्ति के नाम हो गए। अब यह आशंका है कि निलामी प्रक्रिया के पूर्व ही अरुण की हत्या इसलिए की गई कि ताकि कोई अन्य शराब व्यवसायी दहशत के कारण ठेके में शामिल नहीं हों। हालांकि अरुण हत्या मामले में किसी को नामजद नहीं किया गया पर पटना में सोमवार को साकेत गुप्ता की हुई हत्या के बाद उस मामले में भी शक की सुई मुकेश के तरफ ही घूम रही है। गौरतलब है कि फरवरी माह में मारा गया अरुण उसी मुकेश का नजदीकी रिश्तेदार था जिसने जहानाबाद में कई शराबदूकानों के ठेके हासिल किए हैं। साकेत हत्याकांड के सूत्रधार के रुप में आ रहे नाम मुकेश के बारे में यह भी पता चला है कि उसने साझेदारी में मीठापुर बस स्टैंड और कंकड़बाग सहित कई स्थानों पर शराब दूकान के ठेके ले रखे हैं। सूत्र बताते हैं कि मुकेश के साझीदारों में टेहटा (जहानाबाद) थाना अंतर्गत मदारीचक गांव निवासी धमेन्द्र यादव भी है। धमेन्द्र के पिता पुलिस विभाग में  हैं और राजधानी में ही पदस्थापित हैं। सूत्र बताते हैं कि मदारीचक गांव के ही एक युवक को टेहटा पुलिस ने चार दिन पूर्व एक नाइन एमएम पिस्टल के साथ गिरफतार किया था। सूत्र बताते हैं कि शराब के जायज-नाजायज व्यवसाय से ही मुकेश ने पटना में लाखों की संपत्ति भी अर्जित कर रखी है। हालांकि पुलिस को पटना में मुकेश के ठिकाने का पता चल गया है और मंगलवार को इंडियन आयल  कारपोरेशन रोड स्थित उसके आवास पर पुलिस ने छापेमारी भी की पर वह हाथ नहीं लग सका।


 
(बिहार मीडिया ने मुकेश कुमार से उसके फ़ोन न० 9473380266 पर बातचीत की , उस बात चीत को हम यहां दिये गये वीडियो में प्रसारित  कर रहे हैं। मुकेश कुमार ने साकेत कुमार की हत्या में हाथ होने से ईंकार किया है , लेकिन पटना में शराब के सिडीकेट की बात स्वीकार की है। यह भी स्वीकार किया है कि साकेत कुमार भी उस शराब सिंडिकेट से जुडे थें । पटना के सिडींकेट का संचालन एक कमेटी बनाकर किया जाता है । शेखर नामक एक व्यक्ति सिंडिकेट के काम की देखभाल करता है । इसकी दुकान पटना के गोलघर के पास स्थित है । सिंडीकेट का गठन गैरकानूनी है तथा यह व्यवसाय में एकाधिकार स्थापित करने का कार्य करता है । एक प्रकार से यह सिंडीकेट के नाम पर शराब माफ़िया के रुप में कार्य करता है। सिंडीकेट की जांच होने पर कई बडे नाम सामने आयेंगें, एक -दो विधायक भी नपेंगें। )


2. यह नंबर 9473380266 खोल सकता है कई राज
मोबाइल का कॉल डिटेल्स खंगालने में लगी पुलिस
कई राजनेताओं और अधिकारियों से हैं मुकेश के संबंध
कई सफेदपोशों के चेहरे हो सकते हैं बेनकाब
डेढ़ वर्ष पूर्व व्यवसायिक अदावत में हुई थी मुकेश के भाई की हत्या
मुकेश ही मुख्य साजिशकर्ता या पर्दे के पीछे कोई और
हर टेंडर में देता था अलकापुरी का फर्जी पता


पटना: पटना पुलिस को मंगलवार को एक अहम कामयाबी तब हाथ लगी जब पुलिस को साकेत गुप्ता हत्याकांड में वांछित मुकेश का 9473380266 नंबर का वह पर्सनल मोबाइल नंबर हाथ लगा जिसके बारे में न तो पूर्व में किसी पुलिस अधिकारी को पता था और न ही पकड़े गए हत्यारों को। इसके पूर्व पुलिस को मुकेश का रिलायंस कंपनी (रिम) का नंबर हाथ लगा लगा था जिसके कॉल डिटेल्स की छानबीन की जा रही है। मंगलवार को जैसे ही पुलिस अधिकारियों को मुकेश के इस नए नंबर की जानकारी मिली उनकी बांछे खिल गई। अब जांच में लगे अधिकारी इस नंबर का कॉल डिटेल्स निकालकर उसकी पड़ताल में जुट गए हैं। मुकेश ने यह नंबर अबतक चालू कर रखा है। अगर यह नंबर वास्तव में मुकेश द्वारा प्रयोग किया जा रहा है तो संभव है कि इसके कॉल डिटेल के आधार पर वैसे कई सफेदपोश लोगों के चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं जिनका संरक्षण और सहयोग मुकेश और उसके सिंडीकेट को मिलता रहा है। सूत्रों के अनुसार मुकेश और उसके सिंडीकेट को कई राजनेताओं और उत्पाद विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। सूत्र बताते हैं कि ऐसे अधिकारियों में एक महिला उत्पाद अधिकारी भी हैं जिनका कुछ माह पूर्व ही पटना से अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि एक जिले में उत्पाद अधीक्षक के पद पर पदस्थापित उक्त महिला अधिकारी की अक्सर मुकेश से बातें होती हैं। सूत्रों के अनुसार मुकेश के एक भाई की हत्या डेढ़ वर्ष पूर्व पटना में ही वयवसायिक विवाद के कारण की कर दी गई थी। साकेत गुप्ता हत्या मामले में एक शंका यह भी उभर रही है कि कहीं मुकेश इस मामले में मोहरा मात्र न साबित हो और इस मामले में किसी ऐसे शख्स की भूमिका सामने न आ जाए जिसने पर्दे के पीछे रहकर काम किया हो। इस मामले में किसी बड़े सिंडीकेट के हाथ होने की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इन सारे तथ्यों का खुलासा तभी होगा जब मुकेश के गिरेबां तक पुलिस के हाथ पहुंचेंगे। जहां तक मुकेश का सवाल है तो वह इतना शातिर है शराब के किसी भी ठेके को पाने वाले दिए जाने वाले आवेदन में पटना के अल्कापुरी मोहल्ले का फर्जी पता देता था। जहानाबाद के उत्पाद विभाग ने कुछ दिन पूर्व मुकेश के इसी पते पर एक विभागीय पत्र भेजा था पर पता फर्जी होने के कारण वह पत्र बैरन विभाग को वापस हो गया।




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