बिहार चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा दाव पर



बिहार चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा दाव पर



गया नगर निगम चुनाव: पदाधिकारियों की अविवेवकपूर्ण हरकत

मतदाता वार्ड के , उनके बीच स्थित मतदान केन्द्र दुसरे वार्ड का ।

बिहार में सबसे बडी समस्या भ्रष्ट अधिकारी और पक्षपातपूर्ण कार्य करने वाले अधिकारी हैं। नियमत: नगर निकाय चुनाव में जिला निर्वाचन पदाधिकारी संबंधित जिले की जिलाधिकारी होती हैं। लेकिन चुनाव के कार्य के लिये सहायक निर्वाचन पदाधिकारी सहित अनेको अधिकारियों को जिम्मेवारी सौपी जाती है। यह ताजा मामला मतदान केन्द्रों के परिवर्तन का है। गया के वार्ड संख्या 48  में तीन मतदान केन्द्र वहां मतदाताओं के बीच स्थित स्कुल उर्दु प्राथमिक विद्यालय पठानटोली में स्थित था । ये तीनों मतदान केन्द्र मतदाताओं के बीच स्थित थें तथा वार्ड संख्या 48  मे थें। यह वार्ड मानपुर प्रखंड के क्षेत्राधिकार में है। इस क्षेत्र में कोयरी जाति का जातीय संगठन चलाने वाले एक नेता इन्द्रदेह विद्रोही  ने मतदान केन्द्र को वार्ड संख्या  47  में होने की शिकायत की ।  मानपुर के बीडीओ तथा सीओ  से जांच कराई गई , उक्त दोनो अधिकारियों ने अनुशंसा कर दी कि मतदान केन्द्र वार्ड संख्या 47  में अवस्थित है । यह आश्चर्य करने वाली  अनुशंसा थी  जब किसी मतदान केन्द्र के चारो तरफ़ रहने वाले मतदाता उस वार्ड के हैं तो मतदाताओं के बीच स्थित मतदान केन्द्र कैसे दुसरे वार्ड का हो सकता है ।

यह मामला बिहार मीडिया के सामने लाया गया। बिहार मीडिया अपने स्तर पर जांच किये बगैर कोई रिपोर्ट नही प्रकाशित करता है । हमने वहां  के मतदान केन्द्र की फ़ोटोग्राफ़ी कराई (जिसे हम यहां रिलीज कर रहे हैं ) । मतदाताओं  की राय ली । जो तस्वीर उभर कर सामने आई , उसके अनुसार विगत चुनाव मे भी उस वार्ड के मतदान केन्द्र को वार्ड संख्या  47  में रखा गया था । यह सबकुछ एक जातिवादी नेता इन्द्रदेव विद्रोही के दबाव पर किया गया । उक्त वार्ड  48 में कोयरी मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है । मतदान केन्द्र को मतदाताओं के बीच से हटा  देने के बाद मतदाताओं के लिये दुर जाकर मतदान करना संभव नही होगा , विरोधी उम्मीदवार के मतदान का प्रतिशत कम हो जायेगा । जातिवाद का बेहद कुरुप एवं गंदा चेहरा उभर सामने आया। उक्त तीनो मतदान केन्द्रों पर तीन हजार वोट है जिसमे से  700-800 वोट अल्पसंख्यक मतदाताओं के हैं। अल्पसंख्यक मतदाताओं को भयभीत करने के लिये जानबूझकर उनके मतदान केन्द्र पर संप्रदायिक मानसिकता वाले उम्मीदवार हंगामा पैदा करवा देते हैं ।

चुनाव आयोग को भी बिहार मीडिया ने अपने स्तर से इसकी सूचना इमेल से दी। चुनाव आयोग ने छह मई को  फ़ायनल  मतदान केन्द्रों की सूची अपने वेबसाइट्स पर जारी की । उसके लिंक पर लिखा था Matdan Kendra Details ( Final Publication) : Municipal Election 2012  उक्त सूची में मतदान केन्द्रों को वार्ड संख्या  48  में स्थित उर्दु प्राथमिक  स्कुल पठानटोली में दर्शाया गया है जबकि आज १३ मई को  जो सूची चुनाव आयोग ने जारी  की , उस सूची में तीन मतदान केन्द्रों में से दो  को बदलकर वार्ड संख्या  47 स्थित खंजहांपुर मध्य विद्यालय पुराना भवन तथा एक केन्द्र को म्ध्य विद्यालय खंजहांपुर नया भवन में कर दिया गया है । खंजहांपुर मध्य विद्यालय नया भवन सिर्फ़ वार्ड संख्या  48  में स्थित है । चुनाव आयोग के इस लिंक पर भी लिखा हुआ है Matdan Kendra Details ( Final Publication) : Municipal Election 2012  ।
चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान केन्द्रों की फ़ायनल लिस्ट छह मई

चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान केन्द्रों की फ़ायनल लिस्ट   तेरह मई

चुनाव आयोग आंख मुंदकर अपने जिला स्तरीय कर्मचारियों पर विश्वास कर रहा है । जिलाधिकारी के अलावा मात्र एकाध चुनाव पदाधिकारी  हीं निष्पक्ष कार्य कर रहे हैं अन्यथा जातिवाद , संप्रदायिकता और पैरवी पर काम हो रहा है । चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान केन्द्रों की फ़ायनल लिस्ट छह मई  तेरह मई

चुनाव आयोग द्वारा बार बार अपने वेबसाइट्स पर फ़ायनल लिस्ट में बदलाव के कारण उसकी भी विश्वसनियता दाव पर लग गई है । चुनाव आयोग की हरकत कभी मगध प्रमंडल के आयुक्त रहे और वर्तमान में पटना के आयुक्त के पी रमैया के कार्यशैली की याद दिला देता है । के पी रमैया महाभ्रष्ट हैं यह सबको पता है । उक्त के पी रमैया जब मगध के आयुक्त थें तो मुकदमें में अपना लिखा फ़ैसला भी घूस के कारण  बदल देते थें। डाक होता था फ़ैसले के लिये जो ज्यादा देता था , उसके पक्ष में फ़ैसला होता था। हमे पता है बिहार का चुनाव आयोग भ्रष्ट नही है और न हीं गया की जिलाधिकारी , लेकिन उनके अंदर के जो पदाधिकारी गया के निर्वाचन कार्य में लगे हैं उनमें से एक दो को छोडकर बाकी  निष्पक्ष नही हैं । चुनाव आयोग को मतदान केन्द्रों के फ़ायनल प्रकाशन के पहले अच्छी तरफ़ जांच कर लेने की जरुरत थी ।

चुनाव आयोग मतदाताओं के संविधान प्रदत मौलिक अधिकार के साथ भी मजाक कर रहा है । आज अंतिम क्षण में मतदान केन्द्रों की सूची जारी करने का अर्थ मतदाताओं को उच्च न्यायालय के सामने जाने से वंचित करना है ।

अपने अथक प्रयास के बावजूद भी गया के मतदान केन्द्रो का निर्धारण गलत है। घर के बगल में स्थित मतदान केन्द्र पर नाम नही है और दो किलोमीटर से ज्यादा दुर मतदान केन्द्र पर नाम है ।

अभी भी वक्त है चुनाव आयोग , गया की जिलाधिकारी जांच करके सुधार करें।


चुनाव आयोग द्वारा जारी दुसरी फ़ायनल सूची तेरह मई ( पेज ११७ से १२० तक )





चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान केन्द्र की फ़ायनल लिस्ट छह मई ( पेज ११७ से १२० देखें )


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