अब याद आ रहे कुंदन कृष्णन
अब याद आ रहे कुंदन कृष्णन
स्पीडी
ट्रायॅल से ज्यादा अधिकारियों का भय होना चाहिए अपराधियों में
राजधानी
में ऐसे गिने चुने ही हैं अधिकारी ।
पटना।
राज्य के किसी हिस्से में अगर लाशें गिरती हैं तो उसका प्रभाव
उतना नहीं पड़ता जितना राजधानी में गिरने वाली
लाशों का पड़ता है। सुशासन के दावों के बीच राजधानी में जिस तरह गैंगवार में लाशें गिरने
का सिलसिला शुरु हुआ उसने यहां पूर्व में पदस्थापित और अपराधियों की नाकों का नकेल
माने जाने वाले पूर्व एसएसपी कुदन कृष्णन की याद दिला दी।
कुंदन कृष्णन के नाम की दहशत
अपराधियों में थी और अपराधियों को हमेशा यह भय
सताता
था कि कहीं उनका ‘गंगा लाभ ’ न करा दिया जाए। कुंदन कृष्णन
के कार्यकाल में रहस्यमय ढंग से लापता हुए शातिर व कुख्यात अपराधी सुल्तान मियां सहित
लगभग डेढ़ दर्जन अपराधियों का अबतक पता नहीं चल सका। कुंदन
कृष्णन ने यह उदाहरण पेश किया कि अपराधियों में स्पीडी ट्रायल का खौफ कम किसी पुलिस
अधिकारी का खौफ ज्यादा होना चाहिए। आज इसकी कमी बिहार और राजधानी पटना में है। कुद
गिने चुने ऐसे अधिकारी हैं •भी तो उन्हें शंटिंग
में रखा गया है। पूर्व में राजधानी के कई थानों में
कुछ ऐसे थानेदार पदस्थापित थे जिनका खौफ अपराधियों के सिर चढ़कर बोलता था पर वर्तमान
में वैसे थानों में ऐसे थानाध्यक्ष हैं कि जो जरुरत पड़ने पर कुछ दूर दौड़ भी नहीं
सकते। ऐसा नहीं कि कुंदन कृष्णन मुखबिरों का सहारा नहीं लेते थे पर उन्होंने ऐसे मुखबिरों
को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कभी
भी नहीं
होने दिया। आज भी पटना के कई पुलिस अधिकारियों ने मुखबिर पाल रखें हैं
जिन मुखबिरों का मुख्य काम विवादित जमीन पर कब्जा और मुखबिरी और प्रभाव के
आधार पर अपने दुश्मनों का सफाया रह गया है जिसके कई उदाहरण पिछल्ले दिनों सामने आए।
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