यूपी चुनाव: मैनेज वोटिंग से बढा प्रतिशत


यूपी चुनाव: मैनेज वोटिंग से बढा प्रतिशत

चुनाव आयोग सहित सारे दल अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि जनता ने चुनाव कि अहमियत को समझते हुये मतदान को कर्तव्य मानते हुये वोट दिया जिसके कारण मतदान का प्रतिशत बढा है । चुनाव आयोग भी प्रसन्न है । यूपी के पत्रकार भी सच नही बताना चाहतें । लेकिन बिहार मीडिया ने अपने स्तर से मतदान के प्रतिशत के बढने के कारण का पता लगाया तो जानकर आश्चर्य हुआ कि गांव के लोग राजनीतिक दल और नेताओं के बाप बन चुके हैं। अब वह जमाना नहीं रहा कि नेताओ के इशारे पर गांववासी जान दे । सब दल खुश रहे और गांव की एकता भी बनी रहे इसलिये गांव वालों ने नायाब फ़ार्मूला अपनाया । जिस घर का जितना वोट है , उस घर वाले को उतना वोट डालने दिया जाय , भले हीं मतदाता उपलब्ध हो या न । कुछेक गांव में तो सब ने मिलकर दलों के साथ सौदेबाजी की और जिस उम्मीदवार ने ज्यादा पैसे दियें अधिकांश मत इमानदारी के साथ उसे मिला। पैसा गांव के सार्वजनिक काम के लिये लिया गया । यूपी में शहर के मुकाबले गांवों में मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा । चुनाव आयोग को भी इस सच्चाइ का पता है लेकिन उसको अपना फ़ायदा नजर आ रहा है इसलिये वह कोई कदम नही उठायेगा । इस मैनेज वोटिंग ने चुनाव कर्मियों के भी बारे न्यारे कर दिया । मैनेज वोट अर्थात बोगस वोट । चुनावकर्मी तथा पुलिसबलों की सहमति के बगैर यह संभव नही था। सौ से लेकर चार सौ तक एक बोगस वोट के बदले चुनावकर्मियों को मिला । सबसे दुखद बात यह रही कि यहां भी मुसलमान मतों के ठेकेदार अपराधियों ने अपना रंग दिखाया और पैसे लेने की सबसे ज्यादा शिकायत मुस्लिम क्षेत्रों से मिली है । यूपी की आबादी का तीस से चालीस प्रतिशत राज्य से बाहर रहकर नौकरी करता है और मतदान का प्रतिशत साठ से ज्यादा । वाह रे चुनाव आयोग । किसी भी एक गांव के मतदान की रेकार्डींग देखने से इस बढे हुये मतदान का सच सामने आ जायेगा लेकिन ऐसा होगा नही ।



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