बिहार के अखबार जो नहीं छापतें
बिहार के अखबार जो नहीं छापतें
नीचे मैं चार समाचार दे रहा हूं जिनपे बिहार के अखबारों ने कोई तव्वजो नही दी। आप स्वंय बतायें क्या ये समाचार महत्वपूर्ण नहीं थें ?
बिहार में अखबारों की निष्पक्षता समाप्त हो चुकी है। प्रभात खबर के हरवंश दलाल बन गये हैं वहीं क्कू श्रीवास्तव हिंदुस्तान को अपनी नौकरी का डर है । रह गई दैनिक जागरण की बात तो वह कभी अखबार की श्रेणी में हीं नहीं माना गया , पेड न्यूज की कालिख आज भी उसमे उपर लगी हुई है । नीचे कुछ समाचार दे रहे हैं , इन समाचारों को सुर्खियों में होना चाहिये था लेकिन अधिकांश अखबारों ने इन्हें प्रकाशित हीं नही किया ।
यूपी में बिहार की बसें जप्त
नीतीश की रैली यूपी के बलिया जिले में थी , उसके पहले शरद याद व ने एक सभा बस्ती में की थी, जहां भीड नही जूट पाई थी । शरद यादव को भाषण दिये बगैर वापस लौटना पदा था . नीतीश को भी भय था कि कहीं वैसा हीं हाल उनकी सभा का न हो इसलिये बिहार सरकार की बसों से श्रोता भर भर कर ले जाये जाये गये थें। जहां सभा थी , वहां के आसपास के क्षेत्रों से भी बसो द्वारा भीड इकठ्ठी की जा रही थी । उन बसों को जप्त कर लिया गया लेकिन बिहार के अखबारों के लिये यह समाचार नही था ।
बौद्ध महोत्सव में विधायक अपमानित
३ -५ फ़रवरी तक गया के बोधगया में बिहार महोत्सव मनाया गया ्जिसका उदघाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया । उदघातन के लिये बने मंच पर मुख्यमंत्री के साथ श्याम रजक विराजमान थें। लेकिन कैबिनेट मंत्री प्रेम कुमार के लिये बैठने की कोई व्यवस्था नही थी । प्रेम कुमार , श्याम रजक के सोफ़े की बांह पर बैठे रहें। यही हाल अन्य विधायको का भी था , उनके लिये भी कोई व्यवस्था नही थी । करीब आधे घंटे बाद इन बेचारों के बैठने के लिये कुर्सियां मंगाई गई। हालांकि गया से चुने गयें जदयू तथा विधायक इसी स्तर के हैं इसलिये इन्हें कोई अपमान नहीं महसूस हुआ ।
विधायक फ़ंड से योजना न मिलने के कारण भाजपा विधायक विरेन्द्र सिंह आग बबूला
नीतीश तानाशाह हैं इसका उदाहरण उन्होनें विधायक फ़ंड समाप्त करके दिया । कारण बताया था भ्रष्टाचार । अब इस फ़ंड से योजनाओं का चयन किया जाता है तथा टेंडर निकाल कर कार्य कराया जाता है। इसमे सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। गया की जिलाधिकारी के सभागार में योजनाओ के चयन के लिये एक बैठक चल रही थी । गया मुफ़्फ़्सिल क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं विरेन्द्र सिंह बहुत हीं पुराने राजनीतिक कार्यकर्ता , आज की राजनीति के दौर में इस तरह के कार्यकर्ता कम दिखते हैं। उनके क्षेत्र से संबंधित कोई योजना विचार के लिये नही थी। विरेन्द्र सिंह ने सबसे पहले योजना पदाधिकारी बबन को लताडना शुरु किया , जब जिलाधिकारी बंदना प्रेयसी ने हस्तक्षेप कर के शांत कराना चाहा तो उनको भी दो टूक सुनाते हुये साफ़ साफ़ कहा कि जनता के बीच हम जाते हैं , हमें जवाब देना पडता है । श्याम रजक इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे थें। उन्होने भी समझाने का प्रयास किया । इसी बीच जदयू के एक विधायक ने भी जब विरेन्द्र सिंह को समझाना चाहा तो उसे भी खरी खोटी सुनाते हुये विरेन्द्र सिंह ने कहा तुमलोग मउगा हो। किसी भी अखबार ने इस खबर को नही प्रकाशित किया जबकि सभी अखबार के रिपोर्टर वहां थें। वैसे तो नीतीश के शासन में विधायकों का अस्तित्व हीं समाप्त हो गया है। जानबूझकर वैसे लोगों को जदयू – भाजपा टिकट देती है जो रीढविहिन हों।
लेंडे का तबादला नकली दवा बनानेवाले माफ़िया ने कराया था ।
एक माह पहले गया में एक सेमिनार था , मैं भी वहां था । उस सेमिनार में रामचंद्र पू्र्वे, राजनीति प्रसाद सांसद तथा किरण घई भी थीं। वहां भाजपा के विधायक रामेश्वर प्रसाद चौरसिया ने खुलेआम नीतीश सरकार पर आरोप लगाया था कि पटना के सिटी एस पी लेंडे का तबादला नकली दवा बनाने वाले माफ़िया तंत्र ने करवाया था । प्रभात खबर के पत्रकार रजनीश उपाध्याय भी वहां थें । कोई खबर किसी अखबार में नही आई । अब अगर हरवंश जी को नीतीश का दलाल कहा जाये तो क्या गलत है ? इस समाचार की सच्चाई पूर्वे जी , रजनीश उपाध्याय तथा राजनीति प्रसाद भी बता सकते हैं ।
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