भारत संप्रभुता संपन्न राष्ट्र नही है
भारत संप्रभुता संपन्न राष्ट्र नही है
पूंजीवाद को गले लगाने के पहले हमने यह भी नही सोचा कि अपने देश की संप्रभुता का क्या हश्र होगा। पूंजीवाद कुछ देशों के हाथ में अपनी अर्थ व्यवस्था को सौप देना था, यह एक प्रकार की आर्थिक गुलामी थी। आज इसका सर साफ़ दिखा। अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाया है साथ हीं यह भी घोषणा की है कि जो राष्ट्र इरान के साथ व्यवसाय करेंगें उनके साथ भी अमेरिका के व्यवसायिक संबंध खत्म हो जायेगें। हम सस्ते तेल का आयात इरान से करते हैं । १२ प्रतिशत तेल इरान से आता है । अमेरिका की इस घोषणा के बाद भारत की सरकार अमेरिका के आगे गिडगिडा रही है, माई –बाप कुछ छूट दे दें। हमारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जायेगी । शर्म आ रही है खुद को इस देश का नागरिक कहने में । आज फ़िर सोचने का वक्त आ गया । देश के सभी राजनीतिक दल , पत्रकार एवं देशभक्तों के लिये यह परीक्षा की घडी है । हमारे भी पाकिस्तान के साथ गहरे मतभेद है लेकिन क्या हम अगर प्रतिबंध लगायेंगें तो अमेरिका पाकिस्तान से अपने संबंध समाप्त कर लेगा ? कभी हम गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेता थें, एक ऐसा भी वक्त आया था जब इसी अमेरिका का सातवां बेडा पाकिस्तान की , मदद के लिये हिंद महासागर में खडा था । हम नहीं झुकें। आज भी अगर भारत हिम्मत करके यह घोषणा कर दे कि हम अपना व्यवसाय अमेरिकी हितो के लिये नहीं बंद कर सकते , उसका असर दिखेगा । दुनिया के सत्तर प्रतिशत देश अमेरिका और उसके चमचे मुल्कों के खिलाफ़ हैं। भारत , चीन, रुस बस काफ़ी है। अमेरिका पनाह मांगेगा । चीन अमेरिका को ठेंगा दिखा चुका है । चीन ने कह दिया है वह अमेरिकी प्रतिबंध को नही मानेगा तथा इरान के साथ व्यवसाय बंद नहीं करेगा । एशिया में एक भी मुल्क ऐसा नही है जो अमेरिका का पक्षधर हो, यही स्थिति अफ़्रिका सहित संपूर्ण विश्व की है । धार्मिक स्तर पर हिंदु , मुस्लिम अमेरिका के खिलाफ़ हैं। खुद अमेरिकी जनता अमेरिका की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ है । अमेरिका की पूंजीवादी व्यवस्था की उम्र पांच साल से ज्यादा नही है लेकिन स्वंय को बचाने के लिये वह इन्हीं पांच सालों में सभी मुल्कों को तबाह कर देगा । वक्त है एकजूट होकर अमेरिका के खिलाफ़ खडे होने का। पंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ आवाज उठाने का ।
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