तीन देवियों से हारा था अल्लाह : सलमान रश्दी





भगवान या अल्लाह या जो नाम ले, उसने इंसान को बनाया या नही यह अभीतक विवाद का विषय है लेकिन इन सभी धर्मों  के भगवान को इंसान ने बनाया इसका सबूत है। मंदिर , मंस्जिद , चर्च और गुरुद्वारा इंसानों ने बनायें  जहां ये भगवान आराम फ़रमाते हैं, अगर इन धार्मिक पूजा स्थलों को इंसान ने नहीं बनाया होता तो ये सारे के सारे भगवान को कोई याद भी नही करता पूजा करना तो दूर की बात है ।

एक देवबंद नामक संस्था है , उसने सलमान रश्दी के भारत आने का विरोध  किया है , रश्दी २००७ में भी भारत आये थें। मजेदार बात यह है कि न सिर्फ़ उलेमाओं ने बल्कि सभी राजनीतिक दलों ने यहांतक की भाजपा ने भी विरोध  किया है ।  उसका कारण है रश्दी द्वारा लिखी गई पुस्तक सैटेनिक वर्सेज यानी शैतान की आयतें। इस पुस्तक में इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की चर्चा रश्दी ने की है । वस्तुत: इस पुस्तक के चैप्टर छह में जाहिलिया नामक स्थान का जिक्र है। रिट्र्न आफ़ जाहिलिया । जाहिलिया रश्दी के उपन्यास सैटेनिक वर्सेज में मक्का को दर्शाता है । कहानी भारतीय चरित्रों के आसपास गुंथी गई है , बहुत मजेदार और पढने लायक उपन्यास है। दो भारतीय मुस्लिम सिनेमाई चरित्र गीब्रील फ़रिश्ता और सलाद्दीन चमचा जो बहुत हद तक भारतीय सिनेमा के अमिताभ बच्चन एवं रामा राव पर आधारित हैं। उनके आधार पर यह उपन्यास लिखा गया है ।इस उपन्यास में अमिताभ के साथ -साथ रेखा का भी जिक्र है कैसे अपने फ़ायदे के लिये रेखा का इस्तेमाल अमिताभ ने किया था। मेरा जूता है जापानी गाने का भी जिक्र है। ऐसा नही है कि इसमे इस्लाम या किसी धर्म की आलोचना की गई है वस्तुत: कट्टरपंथ पर एक कटाक्ष है । गणेश का भी जिक्र है , एक महिला कहती है जब तुम गणेश का मुखौटा लगाकर सेक्स करते हो तो ज्यादा आनंद आता है । यह भी कटाक्ष है । भ्रष्ट संतो पर ।  इस उपन्यास का वह छठा पार्ट हीं सबसे बडा कारण है इस्लाम की अधकचरी जानकारी रखनेवाले संगठनों के विरोध का । रश्दी ने यह बताने का प्रयास किया है कि कुरान दुबारा लिखा गया । पहली बार मोहम्मद साहब या अल्लाह  के संदेश वाहक जो आप कहें उन्होनें उस समय मूर्ती पूजा को अपनाते हुये तीन देवियों को अल्लाह की जगह पर भगवान के रुप में वर्णित किया परन्तु बाद में उसमे बदलाव लाया गया क्योंकि मूर्ती पूजा के विरोध में हीं इस्लाम को स्थापित करना था। अयातुल्लाह खोमेनी का भी एक चरित्र है उस उपन्यास में जब वह पाकिस्तान में निर्वासन की जिंदगी गुजार रहे थें । यह भी एक बडा कारण रहा ईरान द्वारा रश्दी को मारने का फ़तवा जारी करने का । हालांकि मुझे रश्दी का एक उपान्यास जो भुटो पर आधारित था , शेम , सैटेनिक वर्सेज से ज्यादा रोचक लगता है लेकिन हम विवादास्पद चीजों को पसंद करते हैं जैसे तस्लीमा नसरीन का थर्ड क्लास उपान्यास लज्जा । खैर जब मैं हीं सब बता दूंगा तो मजा नही आयेगा। मैं रश्दी के उस विवादास्पद उपन्यास का लिंक दे रहा हूं । भारत की सरकार ने इसे बैन कर दिया था लेकिन बैन करने का क्या फ़ायदा जब यह नेट पर उपलब्ध हो । वैसे इस्लाम को मानने वाले मुर्ती पूजा करते हैं और खुब करते हैं । मुर्ती का मतलब आकार होता है ।
 अजमेर के मजार पर जानेवाला कोई भी मुसलमान इस्लाम धर्म को माननेवाला नही हो सकता । वह मूर्ती पूजा है । कब्र के अंदर सोये एक आदमी की पूजा जो इस्लाम के खिलाफ़ है । लेकिन मैं तो धर्मों को हीं सारे विवाद की जड मानता हूं इसलिये कौन धार्मिक है और कौन अधार्मिक इस विवाद में नहीं फ़सता । वैसे हिंदु धर्म में भी तीन देवियां , लक्ष्मी दुर्गा और सरस्वती की चर्चा है । मजेदार बात यह है कि जिन देवियों की पूजा अरब में और मक्का में इस्लाम के आने के पहले होती थी , उनमें से एक की ्तस्वीर में शेर भी है । हाहाहाहा । भाजपा के नेताओं ने तो पढा भी नही होगा पुस्तक को । मैं संक्षेप में उपन्यास की कथा का वर्णन कर देता हूं ताकि समझने में सहूलियत हो। सलमान के उपन्यासों की खासियत उनका मिश्रण हैं, अलौकिकता का लौकिकता के साथ , इतिहास का वर्तमान के साथ, कामेडी का कटाक्ष के साथ, धर्म का सामाजिक बुराइयों के साथ । इस उपन्यास के माध्यम से धर्म के मर्दवादी पहलू को दिखाने का प्रयास सलमान रश्दी ने किया है। दुनिया के सभी धर्मों में सर्वोच्चय इश्वर मर्द है। धर्मगुरु तो निर्विवाद रुप से मर्द हीं हैं। इस उपन्यास के शुरु  में दो व्यक्ति जो भारतीय सिनेमा के चरित्र हैं हवाई जहाज से जमीन पर  से आते हैं और इस्लाम की स्थापना का प्रयास करते हैं। कुरान की रचना मानव ने की है, पहले मिश्र में तीन देवियों की पूजा होती थीं। अल उजा , अलात और मनत । इस्लाम की स्थापना काल में इनकी मुर्तियों को खंडित कर दिया गया । कुछ मुर्तियां जो म्यूजियम में उपलब्ध हैं , उन्हें मैने यहा दिखाया है । उपन्यास में मुर्तीपुजक हिंदु धर्म और इस्लाम के बीच के विरोधाभाष को भी दर्शाया गया है । अगर इस उपन्यास पर भारत की सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया होता तो इसका हिंदी अनुवाद बहुत हीं रोचक होता। वैसे संक्षेप में मैने बहुत कुछ बता दिया है। हां इसमें आयेसा बीबी और मोहम्मद साहब की अन्य पत्नियों का भी जिक्र हैं । सबमिलाकर उपन्यास पढने और विचार करने योग्य है । इस्लामिक धार्मिक नेता तथा राजनीतिक दल क्यों इसके खिलाह हैं समझ में नही आता। द विंसी कोड नामक फ़िल्म का भी विरोध हुआ था। उस फ़िल्म में इसा को एक मानव बताया गया है जो प्यार करता है, बच्चे पैदा करता है और जिसके वंशज आज भी हैं। इसाइयों ने उसका विरोध किया था क्योंकि उनके अनुसार इसा देवदूत थें , उन्होने कभी सेक्स नही किया था । हिंदु धर्म में भी रामायण और महाभारत की आलोचना का विरोध होता रहा है । बडे कमजोर होते हैं ये भगवान के बंदे , उन्हें लगता है , भगवान की आलोचना हुई नही कि उनका धंधा -पानी बंद । खैर अब आप उपन्यास का मजा लें .

आप भी सैटेनिक वर्सेज पढें और खुद निर्णय ले ।।        लिंक यहां है क्लिक करें


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