तीन देवियों से हारा था अल्लाह : सलमान रश्दी
भगवान या अल्लाह या जो नाम ले, उसने इंसान को बनाया या नही यह अभीतक विवाद का विषय है लेकिन इन सभी धर्मों के भगवान को इंसान ने बनाया इसका सबूत है। मंदिर , मंस्जिद , चर्च और गुरुद्वारा इंसानों ने बनायें जहां ये भगवान आराम फ़रमाते हैं, अगर इन धार्मिक पूजा स्थलों को इंसान ने नहीं बनाया होता तो ये सारे के सारे भगवान को कोई याद भी नही करता पूजा करना तो दूर की बात है ।
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अजमेर के मजार पर जानेवाला कोई भी मुसलमान इस्लाम धर्म को माननेवाला नही हो सकता । वह मूर्ती पूजा है । कब्र के अंदर सोये एक आदमी की पूजा जो इस्लाम के खिलाफ़ है । लेकिन मैं तो धर्मों को हीं सारे विवाद की जड मानता हूं इसलिये कौन धार्मिक है और कौन अधार्मिक इस विवाद में नहीं फ़सता । वैसे हिंदु धर्म में भी तीन देवियां , लक्ष्मी दुर्गा और सरस्वती की चर्चा है । मजेदार बात यह है कि जिन देवियों की पूजा अरब में और मक्का में इस्लाम के आने के पहले होती थी , उनमें से एक की ्तस्वीर में शेर भी है । हाहाहाहा । भाजपा के नेताओं ने तो पढा भी नही होगा पुस्तक को । मैं संक्षेप में उपन्यास की कथा का वर्णन कर देता हूं ताकि समझने में सहूलियत हो। सलमान के उपन्यासों की खासियत उनका मिश्रण हैं, अलौकिकता का लौकिकता के साथ , इतिहास का वर्तमान के साथ, कामेडी का कटाक्ष के साथ, धर्म का सामाजिक बुराइयों के साथ । इस उपन्यास के माध्यम से धर्म के मर्दवादी पहलू को दिखाने का प्रयास सलमान रश्दी ने किया है। दुनिया के सभी धर्मों में सर्वोच्चय इश्वर मर्द है। धर्मगुरु तो निर्विवाद रुप से मर्द हीं हैं। इस उपन्यास के शुरु में दो व्यक्ति जो भारतीय सिनेमा के चरित्र हैं हवाई जहाज से जमीन पर से आते हैं और इस्लाम की स्थापना का प्रयास करते हैं। कुरान की रचना मानव ने की है, पहले मिश्र में तीन देवियों की पूजा होती थीं। अल उजा , अलात और मनत । इस्लाम की स्थापना काल में इनकी मुर्तियों को खंडित कर दिया गया । कुछ मुर्तियां जो म्यूजियम में उपलब्ध हैं , उन्हें मैने यहा दिखाया है । उपन्यास में मुर्तीपुजक हिंदु धर्म और इस्लाम के बीच के विरोधाभाष को भी दर्शाया गया है । अगर इस उपन्यास पर भारत की सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया होता तो इसका हिंदी अनुवाद बहुत हीं रोचक होता। वैसे संक्षेप में मैने बहुत कुछ बता दिया है। हां इसमें आयेसा बीबी और मोहम्मद साहब की अन्य पत्नियों का भी जिक्र हैं । सबमिलाकर उपन्यास पढने और विचार करने योग्य है । इस्लामिक धार्मिक नेता तथा राजनीतिक दल क्यों इसके खिलाह हैं समझ में नही आता। द विंसी कोड नामक फ़िल्म का भी विरोध हुआ था। उस फ़िल्म में इसा को एक मानव बताया गया है जो प्यार करता है, बच्चे पैदा करता है और जिसके वंशज आज भी हैं। इसाइयों ने उसका विरोध किया था क्योंकि उनके अनुसार इसा देवदूत थें , उन्होने कभी सेक्स नही किया था । हिंदु धर्म में भी रामायण और महाभारत की आलोचना का विरोध होता रहा है । बडे कमजोर होते हैं ये भगवान के बंदे , उन्हें लगता है , भगवान की आलोचना हुई नही कि उनका धंधा -पानी बंद । खैर अब आप उपन्यास का मजा लें .
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PLZ..UPNYAS..HINDIBHASHA..ME DE..MUZE''ENGLISH NHI ATI
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