नीतीश से सवाल पूछने की सजा: स्टार न्यूज के पटना दफ़्तर में प्रशासन ने जडा ताला


नीतीश से सवाल पूछने की सजा: स्टार न्यूज के पटना दफ़्तर में प्रशासन ने जडा ताला

स्टार न्यूज के पटना दफ्तर पर प्रशासन ने जड़ा ताला
हाइकोर्ट ने चौबीस घंटे के अंदर बिस्कोमान प्रशासन को ताला खोलने का दिया आदेश- पटना से एक बड़ी खबर यह आ रही है कि पटना के बिस्कोमान ावन स्थित स्टार न्यूज के कार्यालय पर प्रशासन ने सोमवार की रात्रि ताला जड़ दिया। सनद रहे कि सरकार ने कुछ माह पूर्व ही बिस्कोमान को सुपरसीड कर कड़क आईएएस सीके अनिल को बिस्कोमान का प्रशासक बनाया है। स्टार न्यूज के दफ्तर पर ताला
  सी के अनिल के आदेश पर ही जड़ा गया। बताया जाता है कि स्टार न्यूज का तीन वर्षों का एग्रीमेंट खत्म हो गया था और बिस्कोमान प्रशासन नए रेट में एग्रमेंट और किराया चाह रही थी जिसके लिए पुराने दर पर किराया लेने वाले तैयार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार बिस्कोमान ने नया रेट लग32 रुपए प्रति एस्क्वायर फीट तय कर रखा है जबकि यहां पूर्व से सात रुपए से लेकर 24 रुपए एस्क्वायर फीट पर किराएदार हैं। सूत्र बतातें हैं कि बिस्कोमान ने नए दर पर स्टार न्यूज का किराया जोड़ उसे नोटिश दी थी। इधर स्टार न्यूज के सूत्र बताते हैं कि कार्यालय एग्रीमेंट खत्म होने के बावजूद लगातार बिस्कोमान को पूराने रेट के अनुसार किराए का
भुगतान करते आ रहे हैं फिर भी  बिना कोई सूचना के देर रात कार्यालय में ताला बंद कर दिया गया। हालांकि स्टार न्यूज ने
मंगलवार को इस संद
र्भ  में पटना हाइकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिस्कोमान प्रशासन को 24 घंटे
के अंदर स्टार न्यूज कार्यालय में लगाए गए ताले को खोलने का आदेश दिया है। चर्चा है कि स्टार न्यूज के पटना ब्यूरो चीफ नीतीश
सरकार के टारगेट में
तभी आ गए थे जब उन्होंने कुछ माह पूर्व कोर्ट से फरार घोषित सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह के बारे में नीतीश
से उनके जनता दरबार में सवाल पूछा था। प्रकाश कुमार के इसी सवाल के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और रामाधार सिंह को मंत्री पद से त्याग तो देना ही पड़ा था वह इस मामले में कुछ दिन जेल में   
भी  रहे। जेल से निकलने के बाद उन्हें दूबारा मंत्री बनाया गया। इधर स्टार न्यूज के कार्यालय पर तालाबंदी की घटना से पत्रकारों में उबाल है पर बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?


टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

  1. it's wrongdoing. matter is condemnable.

    ReplyDelete
  2. It's wrong doing and condemnable.

    ReplyDelete

Post a Comment

टिपण्णी के लिये धन्यवाद

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

भडास मीडिया के संपादक यशवंत गिरफ़्तार: टीवी चैनलों के साथ धर्मयुद्ध की शुरुआत