है हिम्मत तो जांच करायें नीतीश

है हिम्मत तो जांच करायें नीतीश
गया नगर निगम का उप मेयर भ्रष्ट है ; करोडो का है भ्रष्टाचार
गया नगर निगम भ्रष्टाचार के लिये हमेशा याद किया जायेगा। इस नि्गम का उप मेयर है मोहन श्रीवास्तव , यह शायद हजार बुरा आदमी मरा होगा तो एक मोहन श्रीवास्तव पैदा हुआ होगा। राजद के शासनकाल में लालू के दो दुलारे सालों में से एक का अति निकट रहा था । बिहार के प्रसिद्ध अतुल अपहरण कांड का यह मुजरिम भी था तथा उस अपहरण कांड के कारण राजद के बाहुबली विधायक और मंत्री सुरेन्द्र यादव को मंत्री पद गवाना पडा था हालांकि उस मुकदमें में यह रिहा हो चुका है लेकिन रिहाई  रहस्मय है। जज महोदय हीं बेहतर जानते हैं रिहा होने का कारण । राजद के एक मंत्री का भी यह पीए रह चुका है । पीए रहने के दरम्यान इसने करोडो कमाये और बाद  में खुद राजनीति में आ गया । ब्यूटी पार्लर के  मालिक मोहन के पार्लर में बाहर की लडकिया मालिश का काम करती हैं। राजद के एक विधायक ने बातचीत के क्रम में बताया था कि जब वे मंत्री थे तो मोहन से उनकी निकटता का कारण कम उम्र की लडकिया थीं  जो मोहन उन्हें उपलब्ध  कराता था । विगत चुनाव में मोहन को गया नगर से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था । कांग्रेस का टिकट मोहन को दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका कांग्रेस के एक विधायक अवधेश सिंह की थी , जो स्वंय वेश्या प्रेमी थें।अवधेश सिंह कांग्रेस के सम्मानीत नेता हैं , मंत्री रह चुके हैं ।  बाहर से कांग्रेस के आब्जर्बर आये थें और उन्हें भी पैसा तथा लडकियों से प्रसन्न किया था मोहन ने। कांग्रेस का सदस्य भी मोहन  नही था लेकिन टिकट मिला ।   राजनिति में गलत आदमी कैसे आगे बढते है मात्र यह दर्शाने के लिये यह सब बताया मैने।
अब भ्रष्टाचार की बात करता हूं । अभी नीतीश का बयान आया है कि अब बिचौलियों की बारी है , जैसे बाकी सब ठिक हो चुका है । बिचौलिया सिर्फ़ पंचायत या मुहल्ले के स्तर पर नही हैं । असली बिचौलिये  तो नीतीश की सरकार के मंत्रियों के साथ हैं। गया में कुडा साफ़ करने का ठेका एक  प्रायवेट कंपनी रैम्की को मिला है । शहर से कितना कुडा उठाया गया , उसके वजन के आधार पर भुगतान होता है । साल में तकरीबन चारपाच करोड का भुगतान उक्त कंपनी को नगर निगम करता है । कंपनी भुगतान के एवज में बीस प्रतिशत सिर्फ़ मेयर और उप मेयर को देती है । यह पैसा कुडे के वजन को बढाकर दिखाने से प्राप्त होता है ।

निगम ने शहर में जगहजगह पर हाइ मास्ट यानी रोशनी देनेवाले बडे बडे बिजली के मिनारनुमा पोल लगाये हैं । हर सडक पर , गली में वैपर लाइट लगाई गई है । तकरीबन एक करोड के सामान की खरीद नगर निगम ने ठेकेदार से किया लेकिन जानबुझकर ठेके की शर्त में एक प्रावधान ऐसा डाला गया कि ठेका एक विशेष फ़र्म को हीं प्राप्त हो, उस फ़र्म के बेनामी यानी उपरी पार्टनर जिनका नाम किसी कागजात मे नही है, मोहन श्रीवास्तव भी हैं। और बिचौलिये की भूमिका निभाने का काम एक महिला पार्षद का पति अनील शर्मा करता है जिसके नीतीश सरकार के मंत्रियों से अच्छे संबंध हैं। इस टेंडर की  खासियत यह है कि अगर इमानदारी से टेंडर निकलता और पक्षपात नही होता तब तीस लाख रुपये की बचत सरकार को होती । २१०० के एक सामान को २९०० रुपये में नगर निगम खरीद रहा है । दुसरे ठेकेदार २१०० में देने के लिये तैयार हैं , अपना प्रस्ताव भी निगम को दे चुके हैं । इस सौदे में निगम आयुक्त , कार्यकारी अभियंता हरे कर्ष्ण , सहायक अभियंता विनोद कुमार , उप मेयर मोहन श्रीवास्तव तथा मेयर ने पैसे लेकर जानबूझकर सभी टेंडर को रद्द करते हुये एक टेंडर स्विकार  किया ।

नगर निगम ने एक करोड के ट्रैक्टर की खरीद की । इस सौदे में भी बीस लाख रुपये का भुगतान नगर निगम के मेयर , उप मेयर तथा सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के बीच हुआ । मैने जब इस मामले पर लिखा तो तत्कालीन नगर आयुक्त ने एक बार कहा मुझसे अपने जिंदगी की सबसे बडी भूल हुई ।

पहले भी तीन लाख के जेनरेटर सेट को नौ लाख रु्पये में गया नगर निगम खरीद चुका है ।

इस तरह के सौकडे मामले हैं , लेकिन नीतीश कुमार को शिकायत करने के बावजूद कुछ नही होता है । बिहार मीडिया के पास आडियो तथा वीडियो साक्ष्य उपलब्ध है लेकिन उसे तभी हम देंगें जब सरकार विजिलेंस जांच कराने की घोषणा करें।   नीतीश अखबारो के द्वारा भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं ।



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